सेहत/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- दुनिया भर में मंकीपॉक्स को लेकर चिंता बढ़ गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। अफ्रीका और स्वीडन के अलावा भारत पर भी खतरा मंडरा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम अलर्ट पर है।इस बीच थाईलैंड ने गुरुवार (22 अगस्त) को एशिया में एमपॉक्स के नए और घातक स्ट्रोक के मामले की पुष्टि की, जो एक मरीज था और अफ्रीका से आया था। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर यह वायरस भारत में फैलता है तो कितना खतरनाक हो सकता है, क्या यह कोरोना जैसी तबाही मचा सकता है, क्या चिकन पॉक्स और स्मॉल पॉक्स जैसी बीमारियों से लड़ चुका भारत मंकीपॉक्स को भी हरा पाएगा? जानिए इन सवालों के जवाब।
भारत में मंकीपॉक्स का क्या होगा असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स को लेकर कोई खतरा नहीं है, लेकिन जब इस बीमारी को वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया गया है तो सतर्क रहने का मतलब है। अभी तक मंकीपॉक्स केवल मध्य अफ्रीका में ही होता है। हालांकि, इस साल इसके मामले दक्षिण अफ्रीका के बाहर भी देखे गए हैं।
मंकीपॉक्सम के क्या लक्षण हैं?
1-दाने, फुंसी, फफोले या रैश पड़ना, इनमें दर्द और मवाद भरना
2-बुखार, ठंड लगना
3- सिर दर्द, पीठ दर्द, गले में दर्द और खराबी
4-लिम्फ नोड में सूजन
5-मांसपेशियों में खिंचाव
क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है?
अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंकीपॉक्स का क्लेखाड 1 वेरिएंट, जो इस वक्त सेंट्रल अफ्रीका में फैल रहा है, अपने पहले आए क्लेखाड 2 स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक है। यही कारण है कि वहां इसके मामले भी आए हैं और मौतें भी हो रही हैं। इस बीमारी से मृत्यु दर 11% है।
भारत में मंकीपॉक्स की स्थिति
भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला 2022 में सामने आया था। मध्य पूर्व का एक 35 वर्षीय व्यक्ति भारत में इस संक्रामक वायरस का पहला मामला था। 2022 के बाद से, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतों की सूचना दी है। 2022 में WHO की घोषणा के बाद से भारत में कुल 30 मामले सामने आए हैं। भारत में मंकीपॉक्स का ताजा मामला मार्च 2024 में सामने आया था। मंकीपॉक्स के मौजूदा प्रकोप के दौरान WHO ने इसे वैश्विक चिंता का विषय घोषित किया था, भारत में इसका कोई मामला नहीं पाया गया है।
भारत में मंकीपॉक्स की रोकथाम कैसे करें?
डॉक्टरों के मुताबिक, चूंकि यह वायरस फिलहाल मध्य अफ्रीका और उसके आसपास मौजूद है, इसलिए भारत में सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और स्क्रीनिंग शुरू की जानी चाहिए। अगर कोई प्रभावित देशों से आ रहा है तो उसकी जांच होनी चाहिए, ताकि यह संक्रमण भारत तक न पहुंचे। साफ-सफाई और सावधानियों का ध्यान रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
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