नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- दिल्ली में बन रहे केदारनाथ को लेकर उत्तराखंड तक बवाल मच गया है। दरअसल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हाल ही में दिल्ली आए थे। उन्होंने बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर का भूमि पूजन किया। अब यह निर्माणाधीन मंदिर विवादों का केंद्र बन गया है। पुजारियों ने पूछा है कि दिल्ली में दूसरा केदारनाथ मंदिर कैसे बनाया जा सकता है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) ने चेतावनी दी है कि अगर वह दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर जैसी संरचना बनाने की योजना पर आगे बढ़ती है तो वह ‘श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट’ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
‘प्रतीकात्मक केदारनाथ नहीं हो सकता’
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रतीकात्मक केदारनाथ नहीं हो सकता। केदारनाथ हिमालय में है और दिल्ली में नहीं हो सकता। शंकराचार्य ने कहा, ‘कोई प्रतीकात्मक केदारनाथ नहीं हो सकता, शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम और स्थान के साथ उल्लेख है, जब केदारनाथ हिमालय में स्थित है, तो वह दिल्ली में कैसे हो सकता है?’
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाया, ‘केदारनाथ में सोने का घोटाला हुआ है, उस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया जाता? वहां घोटाले के बाद क्या दिल्ली में बनेगा केदारनाथ? और फिर एक और घोटाला होगा। केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब है, कोई जांच शुरू नहीं हुई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अब वे कह रहे हैं कि केदारनाथ दिल्ली में बनेगा, ऐसा नहीं हो सकता।
‘दिल्ली में बनने वाला केदारनाथ…धाम नहीं..मंदिर है’
केदारनाथ धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने कहा कि दिल्ली में बनने वाला केदारनाथ मंदिर एक मंदिर है, कोई धाम नहीं। रौतेला के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। रौतेला ने कहा, ‘दिल्ली में बन रहा मंदिर ट्रस्ट (श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट, दिल्ली) द्वारा बनाया जा रहा है और इसका उत्तराखंड सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। हमारे अनुरोध पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंदिर के भूमि पूजन के लिए आए थे और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’ मंदिर का निर्माण ट्रस्टियों के सहयोग से किया गया है और उनमें से कई ट्रस्टी उत्तराखंड से हैं।
मीडिया से बात करते हुए रौतेला ने कहा, ‘देश के अलग-अलग शहरों में प्रसिद्ध धामों के नाम पर पहले से ही कई मंदिर बने हुए हैं, चाहे वह इंदौर का केदारनाथ मंदिर हो या मुंबई का बद्रीनाथ मंदिर। इन मंदिरों का उद्घाटन भी उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने किया था।
‘पूरा विवाद राजनीति से प्रेरित’
रौतेला ने कहा कि पूरा विवाद राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ”दिल्ली में बन रहे मंदिर का नाम श्री केदारनाथ धाम रखने पर विवाद महज एक राजनीतिक स्टंट है, जिससे बचना चाहिए। कुछ नेता केवल अपनी राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विवाद पैदा कर रहे हैं। उत्तराखंड का केदारनाथ धाम 12 पंथों वाला मंदिर है ज्योतिर्लिंग हम दिल्ली में केवल एक मंदिर बना रहे हैं और भारत के विभिन्न शहरों में ऐसे कई मंदिर हैं।
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