पंजाब के बाद अब राजस्थान व छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी मचा सियासी घमासान

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 29, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

पंजाब के बाद अब राजस्थान व छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी मचा सियासी घमासान

-टीएस सिंहदेव व सचिन पायलट ने दिल्ली में डाला डेरा, राहुल व प्रियंका से कर रहे बात -कांग्रेस भी भाजपा के नक्शेकदम पर चलने की कर रही कोशिश, प्रबंधन व संगठन में दिखा जमीन आसमान का फर्क

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/डेस्क/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नही चल रहा है। देश में 3 राज्यों में कांग्रेस की बहुमत की सरकार है लेकिन तीनों ही राज्यों में अन्तर्कलह के चलते सियासी घमासान मचा हुआ है। हालांकि पंजाब में कैप्टन को बदलकर कांग्रेस आलाकमान ने अन्तर्कलह को कम करने की कोशिश की है। लेकिन इसके साथ ही अब राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी असन्तुष्ट मुखर हो गये है और पंजाब की तरज पर दोनो राज्यों में सत्ता हस्तांतरण चाहते हैं। जिसके चलते छत्तीसगढ़ के असंतुष्ट नेता सिंहदेव व राजस्थान से सचिन पायलट ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है और दोनों नेता राहुल व प्रियंका से बात भी कर रहे है। लंकिन देखना यह है कि क्या कांग्रेस आलाकमान राजस्थान व छत्तीसगढ़ में असंतुष्टों की राह चलेगा या फिर वर्तमान मुख्यमंत्रियों को ही सत्ता पर काबिज रखेगा। हालांकि भाजपा चुनावों को देखते हुए लगातार अपनी नीति बदल रही है और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है। जिसे देखते हुए अब लगता है कि कांग्रेस भी भाजपा की राह पर चलने की कोशिश कर रही है लेकिन कांग्रेस आलाकमान को बगावत का डर भी सता रहा है जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा-कांग्रेस में संगठन व प्रबंधन के नाम पर जमीन आसमान का अंतर सामने आ रहा है।  
                       पंजाब में कांग्रेस पार्टी की ओर से कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। इसी बीच सीएम अशोक गहलोत से लंबे समय से मतभेद रखने वाले सचिन पायलट ने शुक्रवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की है। तीनों नेताओं के बीच यह एक सप्ताह में दूसरी मुलाकात है। सूत्रों का यह भी कहना है कि गुजरात जैसे किसी चुनावी राज्य में पायलट को संगठनात्मक जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। पायलट की दिल्ली दरबार में एक सप्ताह के भीतर दो बार हाजिरी से उन अटकलों को भी बल मिला है जिनमें कहा जा रहा है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। जिसके तहत छत्तीसगढ़ के असंतुष्ट कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव भी एक सप्ताह के अपने निजी दौरे के बाद दिल्ली से छत्तीसगढ़ लौटें हैं। बता दें कि सचिन पायलट पिछले साल से ही अशोक गहलोत से नाराज हैं और बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं। उनका बीजेपी में जाना भी लगभग तय माना जा रहा था हालांकि आखिरी समय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उन्हें मना लिया था। आलाकमान ने सचिन पायलट गुट से उस समय जो वादे किए थे उन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है जिसे देखते हुए सचिन खेमा आलाकमान से नाराज दिखाई दे रहा है। पायलट के एक करीबी नेता का कहना है कि हमें जल्दी ही अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि पायलट कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई आला नेताओं से पहले ही मुलाकात हो गई है और उन्हें यकीन है कि आने वाले कुछ दिनों बड़ा फैसला सामने आने वाला है।


                   वहीं छत्तीसगढ़ के असंतुष्ट कांग्रेसी नेता व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। हालांकि यह उनकी निजी यात्रा बताई जा रही थी लेकिन इस दौरान उन्होने भी राहुल व प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि वो अब वापस चले गये है लेकिन उनके खेमें के नेताओं का कहना है कि जब पंजाब में कैप्टन को हटाया जा सकता है तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री क्यो नही बदला जा सकता। वहीं रायगढ़ पंहुचते ही सिंहदेव ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ढाई साल के मुख्यमंत्री का फैसला हाईकमान का विशेषाधिकार है और उनके पास मामला सुरक्षित है। इसके लिए उन्होने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी अचानक ही फैसला सामने आया है। इसी उम्मीद में दोनो खेमों के नेता अपना पूरा जोर लगाये हुए है और पंजाब की घटना के बाद तो इस बात को काफी बल मिल रहा है।
                     हालांकि सियासी हलकों में यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए कांग्रेस भी अब भाजपा की राह पर चलकर अपने मुख्यमंत्रियों को बदल सकती है। कांग्रेस ने पंजाब में बड़ा कदम उठाकर यह सिद्ध भी कर दिया है लेकिन साथ ही भाजपा व कांग्रेस का आकलन किया जाये तो कांग्रेस में बगावत का डर ज्यादा है जबकि भाजपा का फेरबदल पूरी तरह से अनुशासित दिख रहा है। जिसे लेकर कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे केंद्रीय सत्ता का डर भी बता रहे हैं।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox