नोएडा में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की पहली वारदात,

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 21, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

नोएडा में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की पहली वारदात,

-इंजीनियर युवती से ऐंठ लिए 11 लाख

नोएडा/शिव कुमार यादव/- साइबर जालसाज ठगी के नए-नए तरीके अपना कर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। नोएडा में इसी कड़ी में शहर में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की पहली वारदात सामने आई है। साइबर जालसाजों ने एक आईटी इंजीनियर युवती को आठ घंटे तक डराकर-धमकाकर घर में अकेले रहने पर मजबूर कर दिया और फिर उससे 11 लाख रूपये ऐंठ लिए। पुलिस अब इस मामले में गहनता से छानबीन कर रही है।
          पुलिस ने बताया कि इस दौरान पीड़िता को परिजनों या दोस्तों से बात करने की इजाजत नहीं दी गई। आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उससे 11.11 लाख रुपये की ठगी कर ली। युवती की शिकायत पर केस दर्ज कर साइबर क्राइम थाने ने मामले की जांच शुरू की। पुलिस पड़ताल में डिजिटल अरेस्ट कर वारदात का खुलासा हुआ।
         सेक्टर-34 स्थित धवलगिरी अपार्टमेंट निवासी आईटी इंजीनियर सीजा टीए के पास 13 नवंबर को अंजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राइ) का कर्मचारी बताया। कॉल करने वाले ने कहा कि युवती के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदा गया है जिसका प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। उसे बताया गया कि सिम का इस्तेमाल कर दो करोड़ रुपये निकाले गए हैं। कॉलर ने आगे की जांच का हवाला देते हुए कॉल ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद स्काइप कॉल कर कथित रूप से एक तरफ मुंबई पुलिस, दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच और कस्टम के अधिकारी बन युवती को डराया धमकाया गया।
           करीब आठ घंटे तक स्काइप कॉल से युवती की निगरानी कर बंधक बनाए रखा गया। इस दौरान युवती से कई तरह के सवाल पूछे गए। किसी से बात करने की अनुमति नहीं दी गई। जालसाजों ने आठ घंटे बाद खाते में 11.11 लाख रुपये ट्रांसफर कराने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में पिछले सप्ताह मुकदमा दर्ज किया गया था। साइबर क्राइम थाने की प्रभारी निरीक्षक रीता यादव के मुताबिक जालसाजों ने पुलिस की वर्दी पहन कर स्काइप कॉल कर युवती को डराया था।

क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल या लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिये आरोपी को उसके घर में या जहां वो है वहीं एक तरह से कैद कर दिया जाता है। इस दौरान पीड़ित न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है।

एप डाउनलोड कराकर भी रखी जाती है निगरानी
डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल साइबर जालसाज करते हैं। जालसाज पुलिस क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी के अधिकारी बनकर एप डाउनलोड कराकर वर्चुलअ जांच का झांसा देते हैं। पीड़ित से पुलिस के अंदाज में पूछताछ की जाती है। जिसके बाद मनी लॉंड्रिंग, मानव तस्करी, हवाला कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाकर लाखों की वसूली की जाती है। आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करता है।

17 दिन तक डिजिटल में रही थी फरीदाबाद की छात्रा

नोएडा में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की पहली वारदात, नोएडा में सामने आए पहले मामले से पहले फरीदाबाद में भी ऐसा मामला सामने आया था। इसमें जालसाजों ने छात्रा को एप के माध्यम से 17 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा था। छात्रा को मानव तस्करी के मामले में फंसाने का डर दिखाया गया था और स्काइप एप से लॉगआउट नहीं होने दिया गया था।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox