• DENTOTO
  • नेताओं व सरकार का काम हाईकोर्ट ने किया आसान, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की दी सलाह

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 19, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    नेताओं व सरकार का काम हाईकोर्ट ने किया आसान, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की दी सलाह

    -इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- गोरक्षा को किसी भी धर्म से जोड़ने की जरूरत नहीं, गायों को मौलिक अधिकार देने के लिए बिल लाए सरकार



    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/लखनऊ/प्रयागराज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- गाय को लेकर देश में मच रहे बवाल व गोरक्षक दलों की मनमानी को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि गोरक्षा को किसी भी धर्म से जोड़ने की जरूरत नहीं है। गाय को अब राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है। हालांकि यह काम नेताओं व सरकारों को काफी समय पहले कर देना चाहिए था लेकिन गाय पर हो रही राजनीति व वोट बैंक के कारण नेता इस मुद्दे पर ध्यान नही दे रहे है। लेकिन हाईकोर्ट ने नेताओं व सरकार का काम आसान कर दिया है और गाय को भी उसके मौलिक अधिकार दिलाने की पहल कर दी है।
    जस्टिस शेखर कुमार यादव ने सिंगल बेंच की अध्यक्षता करते हुए यह भी कहा कि गायों को मौलिक अधिकार देने के लिए केंद्र सरकार को संसद में एक विधेयक पारित करना चाहिए। हाईकोर्ट ने अपने सुझाव में कहा कि केंद्र सरकार संसद में बिल लाकर गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दे। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि जब गायों का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा। गाय भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। संसद जो भी कानून बनाए, सरकार उस पर सख्ती से अमल कराए।
    बुधवार को जावेद नाम के शख्स की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव ने ये टिप्पणी की है। जावेद पर गोहत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत आरोप हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गोरक्षा सिर्फ किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है। गाय इस देश की संस्कृति है और इसकी सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है। फिर चाहे आप किसी भी धर्म से ताल्लुक क्यों ना रखते हों।

    हाईकोर्ट की 7 बड़ी बातें-
    -मौलिक अधिकार केवल गोमांस खाने वालों का ही नहीं है, बल्कि जो गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर निर्भर हैं, उनके पास भी है।
    -जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ऊपर है और गोमांस खाने के अधिकार को कभी भी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता है।
    -गाय बूढ़ी और बीमार होने पर भी उपयोगी है। उसका गोबर और मूत्र कृषि, दवा बनाने के लिए बहुत उपयोगी है।
    -ऐसा नहीं है कि केवल हिंदू ही गायों के महत्व को समझ चुके हैं, मुसलमानों ने भी गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है।
    -पांच मुस्लिम शासकों ने गायों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाबर, हुमायूं और अकबर ने भी अपने धार्मिक त्योहारों में गायों की बलि पर रोक लगा दी थी।
    -ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां गोशाला में गायों की भूख और बीमारी से मौत हो जाती है। उन्हें गंदगी के बीच रखा जाता है। वो पॉलीथीन खाकर मर जाती हैं।
    -पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जो अलग-अलग तरह से पूजा करते हैं, लेकिन उनकी सोच एक ही है।
    जस्टिस शेखर कुमार यादव ने ये फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार को अब संसद में एक बिल लाना चाहिए। गाय को भी मूल अधिकार मिलने चाहिए। समय आ गया है कि अब गाय को एक राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए। जो भी गाय को परेशान करते हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जज ने जोर देकर कहा है कि जब तक देश में गायों को सुरक्षित नहीं किया जाएगा, देश की तरक्की अधूरी रहेगी। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने तर्क दिया कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां पर विभिन्न धर्मों के लोग साथ रहते हैं। हर कोई अलग पूजा करता है, लेकिन फिर भी सभी की देश के प्रति एक सोच दिखती है। ऐसे में कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि कुछ लोग ऐसे अपराध कर देश को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। उनके विचार देश हित में नहीं होते हैं।
    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय की हत्या के आरोपी जावेद को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस शेखर यादव की खंडपीठ ने कहा कि आवेदक ने गाय चुराने के बाद उसे मार डाला था, उसका सिर काट दिया था और उसका मांस भी रखा था। आवेदक का यह पहला अपराध नहीं है, इस अपराध से पहले भी उसने गोहत्या की थी, जिससे समाज का सौहार्द बिगड़ गया था।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox