दिल्ली/शिव कुमार यादव/- जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी नीलम कृष्ण पहलवान को नजफगढ़ में सर्वसमाज का समर्थन मिल रहा है उससे तो अब यही लगने लगा है कि क्या नीलम कृष्ण पहलवान की हवा में आप व कांग्रेस उड़ जाएगी। हालांकि पिछली बार नजफगढ़ सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक थे। लेकिन इसबार हवा का रूख भाजपा की तरफ दिखाई दे रहा है।नजफगढ़ में सबसे बड़ी बहस इस बात पर छिड़ी है कि आखिर इस बार इस सीट पर कौन जीतेगा। हालांकि पिछली बार आप व भाजपा में कड़ा मुकाबला रहा था और आप प्रत्याशी कैलाश गहलोत 6231 मतों से विजयी हुए थे। और उन्हें 49.86 फीसदी वोट मिले थे। पिछली बार दिल्ली में केजरीवाल की हवा थी लेकिन इस बार केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और वो 6 महीने तक जेल में भी रहे हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी इसे भाजपा का षड़यंत्र बता रही है लेकिन सिर्फ केजरीवाल ही नही उनके कई और मंत्री भी जेल गए जिसे लेकर मतदाता कहीं न कहीं सोचने को मजबूर है। और अगर मतदाता इस भ्रष्टाचार के मामले में ज्यादा सोचता है तो आम आदमी पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ जाएगा। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने इस मामले से पार्टी को होने वाले नुकसान की काफी हद तक भरपाई करने की कोशिश की है। लेकिन अभी भी रह रहकर सवाल उठ रहे है जिन्हे अब सुलझा पाना आप के लिए कठिन हो रहा है।
बात नजफगढ़ की हो रही है तो बता दें कि पिछले चुनाव में ही नीलम कृ1ष्ण पहलवान ने अपनी ताकत दिखा दी थी जब अजीत खरखड़ी भाजपा से चुनाव लड़ रहे थे तो भरत सिंह परिवार ने खुलकर उनका समर्थन किया था और अपना पूरा दमखम झोंक दिया था। जिसकारण संभावित बड़ी हार को कड़े मुकाबले में बदल दिया। हालांकि अजीत खरखड़ी आप प्रत्याशी से हार गए और उन्हे 46.05 फीसदी मत प्राप्त हुए। जो कैलाश गहलोत से 3.81 फीसदी ही कम है। जबकि समीकरण बता रहे थे कि केजरीवाल की आंधी में भाजपा प्रत्याशी बुरी तरह से हारेंगे।
इस बार नीलम कृष्ण पहलवान को नजफगढ़ से भाजपा का टिकट मिला है और आम आदमी पार्टी से तरूण यादव चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस ने सुषमा यादव को टिकट दिया है। अब देखने की बात है कि कांग्रेस का क्षेत्र में कोई वजूद नही है। कांग्रेस जिला कार्यकारिणी ने पार्टी को पिछले 10 साल में पूरी तरह से गर्त में धकेल दिया है। वहीं आम आदमी पार्टी को नजफगढ़ में कैलाश गहलोत की कमी खलेगी। हालांकि कैलाश गहलोत को यहां का मतदाता गुमशुदा विधायक बोलता आया है लेकिन पिछले 10 साल में वह निर्विवाद नेता रहे और किसी तरह के पक्षपात का उनपर आरोप नही लगा। उन्होने पार्टी के बड़े नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पार्टी को छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि इसके पीछे भी कई तरह की अफवाहें उड़ रही है। अब बात करते हैं तरूण यादव की तो उनकों कभी पार्टी का डम्मी कैंडिडेट कहा गया तो कभी भाजपा का आदमी का ठप्पा लगा लेकिन तरूण यादव एक ऐसा नेता है जिनकी पत्नी लगातार दो बार निर्दलिय रहकर पार्षद बनी है। अब लोगों की माने तो तरूण यादव किस्मत के धनी है और दोनो चुनावों में समीकरण इस तरह के रहे की उनकी जीत हुई लेकिन इस बार तरूण यादव पर सबसे ज्यादा दबाव कैलाश गहलोत की कमी को पूरा करने का रहेगा। क्योंकि कैलाश गहलोत के समय जातिगत समीकरण और था और तरूण यादव के लिए यह समीकरण काफी उलट-पलट सकता है। क्योंकि अभी तक नजफगढ़ में जातिगत समीकरणों ने अकसर चुनावों पर अपना असर छोड़ा है। जिसे देखते हुए यह कहना कोई गलत नही होगा कि इस बार नजफगढ़ में आम आदमी पार्टी की राह आसान नही होगी।
कांग्रेस की देखी जाये तो नजफगढ़ विधानसभा में कभी कांग्रेस की तूती बोलती थी लेकिन जबसे कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के लिए सरेंडर किया है तब से कांग्रेस पार्टी गर्त में चली गई है। नजफगढ़ के बड़े कांग्रेसी भी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए। जिसकारण अब नजफगढ़ में पार्टी का नाम लेने वाले बहुत कम बचे हैं। इस बार नजफगढ़ में नीलम कृष्ण पहलवान की आंधी चल रही है और हर वर्ग का मतदाता आज उनके साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। वो जहां भी जा रही है वहीं लोग खुले दिल से उनका समर्थन कर रहे हैं। अब लोग खुलकर कह रहे है कि वो परिवर्तन चाहते है और इसबार नीलम कृष्ण पहलवान उनके लिए पक्का विकल्प है।
More Stories
‘…उसका नाम बताइए’ अमित शाह ने केजरीवाल से पूछा सवाल
महाकुंभ भगदड़ हादसे की जांच हुई तेज, रडार पर तीन बड़े अफसरों के नाम
हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों का लगा जैकपॉट, अगले 6 महीने में होंगे परमानेंट; हाई कोर्ट का फैसला
‘…बंद हो जाएंगे अमेरिकी बाजार’, भारत समेत BRICS देशों को ट्रंप की धमकी
चौथे मुकाबले में कैसी रहेगी पिच, कितना बनेगा स्कोर; किसको होगा फायदा
आज से संसद के बजट सत्र का आगाज, वक्फ बिल समेत कई विधेयक किए जा सकते हैं पेश