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    नजफगढ़ आरएचटीसी अस्पताल बदहाल, तीन माह पहले हुआ था उद्घाटन

    -अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स की भारी कमी, डिलीवरी के लिए अस्पताल नर्सिंग स्टाफ पर निर्भर

    नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अच्छा ईलाज मुहैया कराने के लिए आरएचटीसी में बनाये गये एम्स रेफरल  अस्पताल की अब पोल खुलने लगी है। उद्घाटन के तीन माह बाद ही अस्पताल पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है। सबसे बड़ी विडंबना तो ये है कि डिलीवरी के लिए अस्पताल प्रशासन को अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ पर निर्भर रहना पड़ता है। चिकित्सकों की माने तो यह सिर्फ नाम का अस्पताल है यहां सुविधा नाम की कोई चीज नही है।

    नजफगढ़ में ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र (आरएचटीसी) अस्पताल में गर्भवतियों की डिलीवरी नर्सिंग स्टाफ के सहारे है। वरिष्ठ डॉक्टरों के अभाव में केवल आपातकालीन स्थिति में ही गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इन महिलाओं की डिलीवरी नर्सिंग स्टाफ करवाते हैं। जिससे जच्चा-बच्चा की जान से खिलवाड़ ही किया जा रहा है। हालांकि लोग यहां सुरक्षित डिलीवरी के लिए आते है लेकिन उन्हे पता ही नही की यहां न सीनियर डाक्टर्स है और ना ही अच्छी सुविधाऐं है।
               मौजूदा समय में अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, वरिष्ठ डॉक्टर नहीं हैं। ऐसे में महिलाओं को दूसरे अस्पताल में रेफर करना पड़ता है। डॉक्टरों की माने तो इस अस्पताल को एम्स के रेफरल अस्पताल के तौर पर विकसित किया गया है। इस अस्पताल में सुविधाओं को बढ़ाकर मध्य दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के अस्पतालों में मरीजों का बोझ घटना है। लेकिन तीन माह बाद भी अस्पताल को सीनियर डॉक्टर नहीं मिल पाए हैं। मौजूदा समय में जूनियर डॉक्टर या अन्य डॉक्टरों के सहारे सुविधाएं दी जा रही हैं।

    अस्पताल के एचओडी डॉ. श्याम सुंदर का कहना है कि अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में परामर्शदाता, प्रोफेसर या अन्य वरिष्ठ डॉक्टर नहीं हैं। यहीं कारण है कि सभी गर्भवती महिलाओं को भर्ती नहीं किया जाता। आपातस्थिति में नर्सिंग स्टाफ के सहारे सुविधाएं दी जाती हैं।
               अस्पताल में इलाज करवाने आने वाली महिलाओं का कहना है कि मौजूदा समय में गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए जाफरपुर स्थित राव तुला राव अस्पताल में जाती हैं। स्थिति गंभीर होने के बाद दर्द के साथ ही करीब 20 से 30 किमी का सफर करना पड़ता है। नजफगढ़ के अस्पताल में सुविधा नहीं होने के कारण दीन दयाल, इंदिरा गांधी अस्पताल का रुख करना पड़ता है। यहां भी सुविधा न मिलने पर सफदरजंग, आरएमएल या लेडी हार्डिंग अस्पताल जाना पड़ता है। इन बड़े अस्पतालों में काफी भीड़ रहती है। यहां एक बिस्तर पर दो से तीन मरीजों को इलाज मिलता है। ऐसे में जच्चा-बच्चा दोनों को परेशानी होती है।

    मंत्री ने दिया था आश्वासन
    25 अक्टूबर को अस्पताल का उद्घाटन के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आश्वासन दिया था कि यह अस्पताल स्थानीय आबादी, विशेष रूप से समाज के कमजोर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देगा। नजफगढ़ में इस अस्पताल की स्थिति इसे आसपास के 73 गांवों में रहने वाली 13.65 लाख की आबादी को सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।

    अस्पताल में अभी भी नही बढ़ाई गई है व्यवस्था
    डिलीवरी के बाद यदि बच्चों को कोई दिक्कत होती है तो अस्पताल के दूसरी मंजिल पर एनआईसीयू की व्यवस्था की गई है। अस्पताल में तैयार होने वाली सुविधाओं के लिए अलग से जगह आरक्षित की गई है। इन जगहों पर आने वाले दिनों में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा।

    शुरू होनी है यह सुविधाएं
    अस्पताल में कई नैदानिक और रेडियोलॉजिकल सुविधाओं को बड़े स्तर पर शुरू करना है। इसमें चिकित्सा, सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग, आईसीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू, ईएनटी, नेत्र विज्ञान, रक्त बैंक सहित अन्य सेवाएं शामिल हैं। इस अस्पताल को एम्स के रेफरल अस्पताल के तौर पर विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य एम्स, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया सहित अन्य अस्पतालों में बढ़ते मरीजों के बोझ को कम करना है। हालांकि डॉक्टरों के अभाव में अभी सुविधाएं स्वास्थ्य केंद्र की तरह ही चल रही हैं।

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