नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- द्वारका सेक्टर 10 स्थित डीडीए ग्राउंड में चल रही द्वारका श्री रामलीला सोसायटी की भव्य रामलीला का पांचवीं रात्रि का मंचन अत्यंत प्रभावशाली रहा। मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत के नेतृत्व में आयोजित इस आयोजन ने श्रद्धालुओं को भगवान राम के जीवन के अद्भुत प्रसंगों से जोड़ते हुए उनके आदर्शों को आत्मसात करने का सजीव संदेश दिया। 7 अक्टूबर 2024, सोमवार की रात, रामलीला के महत्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन किया गया, जिसमें सुमंत की अयोध्या वापसी से लेकर श्री राम का पंचवटी के लिए प्रस्थान तक की घटनाएं दर्शाई गईं।
इस शाम की शुरुआत सुमंत की अयोध्या वापसी के साथ हुई, जहां दशरथ की मृत्यु के मार्मिक दृश्य ने सभी दर्शकों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद भरत को ननिहाल में स्वप्न में अयोध्या की दुर्दशा का दृश्य दिखाया गया, जिससे उनकी आत्मा में गहरा दुःख समा गया। भरत का विलाप और उनका केकैयी के साथ संवाद भी गहरा प्रभाव छोड़ने वाला था। इस संवाद ने दर्शकों को मां-बेटे के रिश्ते और कर्तव्यों की जटिलता का अनुभव कराया।
कौशल्या और भरत के बीच का संवाद और श्री राम के प्रति उनका अटूट प्रेम और समर्पण हृदय को छू लेने वाला था। श्री राम और भरत के मिलाप का दृश्य तो मानो आकाश से बरसते हुए अमृत की वर्षा जैसा था, जहां दोनों भाइयों की निश्छल भक्ति और प्रेम ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। राम के चित्रकूट से पंचवटी की ओर प्रस्थान करने के दृश्य ने मानो दर्शकों को श्री राम के आदर्शों की यात्रा पर लेकर जाने का अवसर दिया।
इस रामलीला में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे, जिन्होंने भगवान श्री राम के जीवन के इन अनमोल प्रसंगों का साक्षात अनुभव किया। दर्शकों ने श्री रामलीला का आलौकिक आनंद उठाया और आयोजन स्थल जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।
मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत ने इस मौके पर देशवासियों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, जिसमें उन्होंने भारत की भावनाओं और उसकी सांस्कृतिक धरोहर पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत भावनाओं का देश है, भावना में भाव है और भव से बेड़ा पार है।” उनका यह वक्तव्य इस बात की ओर संकेत करता है कि भारत की शक्ति उसकी सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहरों में निहित है।
श्री राजेश गहलोत ने कहा कि भगवान राम का जीवन मानवता के लिए आदर्श है। उन्होंने जीवन में सच्चाई, त्याग और धर्म के रास्ते पर चलने की शिक्षा दी। हमें भी उनके आचरणों का अनुसरण कर समाज में भाईचारे, प्रेम और शांति का संदेश फैलाना चाहिए। “राम का आदर्श हमें सिखाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य के मार्ग पर अडिग रहना चाहिए। श्री राम का जीवन प्रेरणा का स्रोत है, और हमें उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए,” उन्होंने कहा।
इस आयोजन में उपस्थित श्रद्धालुओं ने श्री रामलीला के माध्यम से भगवान श्री राम के आदर्शों और उनके चरित्र की गहराई को महसूस किया। संपूर्ण रामलीला, जिसका मंचन बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक प्रकाश और ध्वनि प्रभावों के साथ किया गया, भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव से कम नहीं थी।
द्वारका श्री रामलीला सोसायटी का यह आयोजन न केवल धर्म का संदेश फैलाता है, बल्कि यह समाज में सद्भाव और नैतिकता के मूल्यों को भी सशक्त करता है।
आगे की श्री रामलीला का मंचन भी जारी रहेगा, जिसमें और भी महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। आगामी दिनों में राम, लक्ष्मण और सीता के पंचवटी में प्रवेश, शूर्पणखा की घटना, रावण द्वारा सीता हरण, जटायु-राम संवाद, और हनुमान जी का रामसेवा में आगमन जैसे प्रेरणादायक प्रसंगों को जीवंत किया जाएगा।
श्रद्धालु इन अनमोल घटनाओं के माध्यम से श्री राम के जीवन के आदर्शों को समझेंगे और उनके आचरण से प्रेरित होकर अपने जीवन में धर्म, प्रेम और शांति के मार्ग को आत्मसात करेंगे। श्री राजेश गहलोत ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे आगे के कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें और श्री रामलीला के माध्यम से भगवान राम के आदर्शों को आत्मा में उतारें।
रामलीला के आने वाले कार्यक्रमों में नाटकीयता और भव्यता का अनूठा मिश्रण देखने को मिलेगा, जिससे रामभक्तों को एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा।
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