
द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- द्वारका में 2 अप्रैल का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। हो भी क्यों ना कवि मनीष मधुकर के तीन-तीन काव्य संग्रहों के एक साथ लोकार्पण समारोह में देश के कोने-कोने से कवियों का हुजूम जो उमड़ा था। द्वारका के एम आर विवेकानन्द पब्लिक स्कूल का ऑडिटोरियम इस ऐतिहासिक समारोह का गवाह बना। इस समारोह में एम आर वी पब्लिक स्कूल के फाउंडर व पूर्व विधायक ओ पी बब्बर व दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के डीसीपी एस के सिंह मुख्य अतिथि रहे। इसके अलावा सुविख्यात कवि अब्दुल रहमान मंसूर, कीर्ति काले, डॉ सविता शर्मा, प्रेम बिहारी मिश्र, लक्ष्मी शंकर वाजपेई, सीमाब सुल्तान पुरी, देवेन्द्र मांझी, विजय स्वर्णकार, हंसराज रलहन व शंकर साहनी ने समारोह के विभिन्न सोपान की अध्यक्षता व सानिध्य प्रदान किया।


समारोह का आगाज अतिथियों के स्वागत से शुरू हुआ और फिर कवि मनीष मधुकर के गीत राम हो जाना इतना सरल भी नही का ऑडियो चलाया गया। इस गीत पर दर्शकों व अतिथियों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक नायाब रचना बताया। लोकार्पण समारोह में विभिन्न सोपानों में कवि मनीष मधुकर के काव्य संग्रह की तीन पुस्तकों फिर भी गीत अधुरे रह गए, खुशबू से तर हैं चिट्ठियां तथा तुम्हारे बाद दुनिया में का लोकार्पण किया गया। सभी अतिथियों व गणमान्य कवियों ने सभी काव्य रचनाओं पर अपनी टिका-टिप्पणी व समीक्षा सभी के सामने रखी। लक्ष्मी शंकर वाजपेई ने जहां इसे लाजवाब बताया वहीं सीमाब सुल्तान पुरी ने एक शेर के माध्यम से अपनी भावनाऐं व्यक्त की। उन्होने कहा तुझकों पढ़े जमाना ये अहले गालिब बन।

खुशबू से तर है चिट्ठियां अब दस वर्ष की हो चुकी है और आज इस काव्य संग्रह की दूसरी किताब का अनावरण किया गया। कवित्री कल्पना शुक्ला ने अपनी मधुर आवाज में हे शुभे शुभ कामनाऐं हो सफल परिणय तुम्हारा गाकर सबका मन मोह लिया। ट्रिनिटी संस्था के निदेशक आर के टंडन ने इसे लाजवाब बताया। तुम्हारे बाद दुनिया में व खुशबू से तर है चिट्ठियां की एक-एक रचना फकरूद्दीन अहमद व सुनिता सिंह ने दर्शकों के सामने रखी जिनकों सभी ने सराहा। समारोह के अंत में राम हो जाना इतना सरल भी नही गीत का लोकार्पण किया गया। जिसके वीडियों के साथ दर्शक व श्रोतागण झूम उठे।


मुख्य अतिथि ओ पी बब्बर ने आयोजनकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन के लिए उनके दरवाजें हमेशा खुले हैं और वह इस तरह के आयोजन के लिए वह तन-मन-धन से सेवा देने को तैयार हैं। वहीं डीसीपी ट्रैफिक एस के सिंह ने कहा कि मनीष मधुकर से मिलकर उनकी अवधारणा ही बदल गई क्योंकि वह पुलिस में होकर भी एक मृदुभाषी इंसान है और कवि वही बनता है जो सच्चा होता है और जिनका दिल साफ होता है और मनीष मधुकर में यह खुबी है।
इस अवसर पर आयोजन मंडल की तरफ से सभी को कवि मनीष मधुकर के तीनों काव्य संग्रहों की पुस्तकें भेंट की गई। इस समारोह में अभिराज पंकज, पी के त्रिपाठी, डॉ आशुतोष, दक्ष संस्था के संस्थापक डॉ रमेश जी, आईआईटीएम के डायरेक्टर आर के सिंह, कर्नल अखिल राज, एसीपी रिछपाल सिंह, विकास यश कीर्ति, असलम जावेद, ममता किरण, कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, कुसुम आहलुवालिया, अनिल मीत, जितेन्द्र प्रीतम, सुशील, अशोक वर्मा, जगदीश मित्तल, अरमान मधुकर, आयुष्मान मधुकर, आरती मधुकर, भावना बब्बर, प्रकृति भक्त फाउंडेशन से राजेश शर्मा, समाचार निर्देश के सीईओ मुकेश भोगल, टाईम भारत से ऋषिपाल चौधरी व नजफगढ़ मैट्रो न्यूज से शिव कुमार यादव भी लोकार्पण समारोह में शामिल हुए।


समारोह के अंत में कवि मनीष मधुकर ने सभी मेहमानों, अतिथियों व श्रोताओं का इस समारोह को सफल बनाने में आभार प्रकट किया और अपनी रचना राह तुम्हारी ताक रहे है इंतजार के सुखे फूल गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। लोकार्पण समारोह में आयोजकों की तरफ से जलपान की भी व्यवस्था की गई थी जिसका सभी ने लुत्फ उठाया।
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