झज्जर/बादली/- संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले 31 जुलाई को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ,़ दिल्ली, चंडीगढ़ृ व मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों में जिला एवं तहसील मुख्यालय पर एक दिन का सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया गया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने गृह जनपद मुजफ्फरनगर में चल रहे धरना स्थलों पर पहुंचकर किसानों का हौसला बढ़ाया।
चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि देश का किसान अपने ट्रैक्टरों को तैयार रखें, कभी भी एक बड़े आंदोलन की जरूरत पड़ सकती है। वहीं दिल्ली के भाकियू प्रदेश अध्यक्ष बिरेन्द्र डागर के नेतृत्व में सैंकड़ों किसानों व भाकियू पदाधिकारियों ने ढांसा बार्डर पर अपना सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया और एसडीएम बादली को पीएम के नाम भाकियू का ज्ञापन पत्र सौंपा।भारतीय किसान यूनियन ने अपनी निम्नांकित मांगों को लेकर देश के प्रधानमंत्री के नाम सभी राज्यों में ज्ञापन सौंपा- जिसे भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने जारी किया-
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किसान यूनियन पिछले 36 सालों से देश दुनिया के खेती किसानी के मुद्दे पर आंदोलनरत है मौजूदा दौर में देश की डावाडोल आर्थिक हालत को केवल कृषि ने ही अपने दम पर संबल देने का काम किया है यह किसी भी कृषि प्रधान देश के लिए गर्व की बात है लेकिन मौजूदा समय में किसान घाटे में जा रहा है और खेती की वजह से संकट का सामना कर रहा है उसकी खेती से आय लगातार घट रही है और इसकी वजह से वह शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर है। सही सरकारी नीतियों को लागू न करने से वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। अतः ज्ञापन के माध्यम से देशभर का किसान आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता है।
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एमएसपी गारंटी कानून बनाने के मामले में केंद्र सरकार की ओर से ऐसी कमेटी बनाई गई है जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा का विश्वास ही नहीं है। कमेटी में उन नौकरशाहों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को अधिक स्थान दिया गया जो 3 काले कानूनों के प्रबल समर्थक रहे हैं। ऐसे में उनसे किसान हितों के लिए एमएसपी पर कोई सही फार्मूला देने की संभावना नगण्य है। इसलिए इस कमेटी को सिरे से नकारने के अलावा उनके पास अन्य विकल्प नहीं है। हमारी एकमात्र मांग एमएसपी गारंटी कानून को अमल में लाने की दिशा में पहल किये जाने को लेकर है।
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फसलों के उचित लाभकारी मूल्य के स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार लागू करें इसके लिए सी 2 प्लस 50 के फार्मूले को लागू किया जाए।
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सात राज्य सूखे की चपेट में है और आधा दर्जन राज्य बाढ़ की चपेट में ऐसे में फसलें चौपट हो गई हैं। किसानों को जन-धन के अलावा पशुओं की हानि हुई है। सरकार तत्काल ग्राम स्तर पर नुकसान का आकलन कर किसानों को तत्काल उचित मुआवजे की व्यवस्था करें।
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अग्निपथ योजना से मात्र 4 साल बाद चयनित में से 75 फीसदी जवानों की छटनी से देश के युवा बेरोजगार होंगे। उनके भविष्य और देश की उन्नति के लिए युवाओं को देश की अन्य एजेंसियों जैसे पुलिस, अर्धसैनिक बलों में प्राथमिकता के आधार पर अनिवार्य तौर पर चयनित किया जाए। साथ ही चयन होने तक की दिशा में उन्हें बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाए।
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देश में एक अलग से किसान आयोग का गठन किया जाए।
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देश के कई राज्यों में भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रहे किसान आंदोलनों के मद्देनजर सरकार एक रूप पालिसी के आधार पर किसानों की भूमि अधिग्रहित करें और मांग के अनुरूप मुआवजा राशि सर्किल रेट से 4 गुना अधिक किसानों को दिलाने की दिशा में प्रयास करें।
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सात राज्य में किसानों को बिजली मुफ्त में देने का काम राज्य सरकारें कर रही है बाकी राज्यों में भी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाए। खाद बीज व कीटनाशक के क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में किसानों के नाम पर उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए।
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सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रूफ टॉप सब्सिडी दी जाए और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए जिससे बिजली पर गांवों की निर्भरता कम हो सके।
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एनजीटी के नियमों में किसानों के लिए ढील देने का काम किया जाए। कृषि में काम आने वाले यंत्रों व साधनों को लेकर विशेष योजना के अंतर्गत समय सीमा में छूट देने का प्रावधान किया जाए।
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प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों को चाहे वह किसान के ही क्यों न हों अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर किलोमीटर के हिसाब से उनकी मियाद की गारंटी को निर्धारित किया जाए।
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राजस्थान की ईस्टर्न कैनाल परियोजना को केंद्रीय योजना के अंतर्गत लाया जाए क्योंकि यह राजस्थान के 13 जिलों की जीवन पद्धति को प्रभावित करेगी।
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पहाड़ी राज्यों में पहाड़ी कृषि नीति के तहत स्थानीय संसाधनों और बाजार व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया जाए। प्राकृतिक खेती की दिशा में हो रहे प्रयासों के मद्देनजर पहाड़ी राज्यों को ऑर्गेनिक राज्य का दर्जा दिलाया जाए।
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आदिवासी इलाके जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन से सबक लेते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए योजनाओं को धरातल पर उतारे और उन्हें उस जमीन का मालिकाना हक दिलाएं।
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आवारा पशुओं की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। विशेष नीति के तहत छोड़े गए पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी सुनिश्चित कर किसानों की खेती की सुरक्षा और संरक्षा का ध्यान रखा जाएं।
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