
नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- 12 नवंबर, 2024 को देवोत्थान एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह दिन विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु के जागरण का दिन होता है, जब भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन को लेकर विशेष महत्व है क्योंकि इसे “देवउठनी एकादशी” भी कहा जाता है। इस दिन व्रत और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
देवोत्थान एकादशी के मुहूर्त:
- व्रत पारण: 13 नवंबर, 2024 को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 51 मिनट तक किया जा सकता है।
देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि और महत्व:
देवोत्थान एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को तुलसी के पत्तों, पीले फूल, पीतांबर वस्त्र, फल और मिठाई अर्पित की जाती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है और व्रति फलाहार का सेवन करते हैं।
क्या न करें:
- इस दिन मांस, मच्छी, प्याज, लहसुन और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शराब का सेवन भी वर्जित है।
फलाहार में क्या खाएं:
- इस दिन फल, दूध, मेवा, और मिठाइयां खाई जा सकती हैं।
दान का महत्व:
देवोत्थान एकादशी के दिन राशि के अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है। दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
प्रमुख मंत्र और स्तोत्र:
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय “ॐ नमोः नारायणाय” और “ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके साथ ही, श्री हरि विष्णु पूजन मंत्र और श्री हरि स्तोत्र का पाठ भी शुभ फल देता है।
श्री हरि विष्णु पूजन मंत्र:
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
श्री हरि स्तोत्र:
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं,
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं,
नभोनीलकायं दुरावारमायं,
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं,
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं,
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं,
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥
देवोत्थान एकादशी पर करें श्री हरि स्तोत्र का पाठ:
श्री हरि स्तोत्र का पाठ करने से भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत और पूजा विधि न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि यह जीवन के हर पहलु में सुख और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
देवोत्थान एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त करने का भी एक माध्यम है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त कष्टों का नाश होता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। अतः इस दिन विशेष पूजा विधि और मंत्रों का जाप करके जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाया जा सकता है।
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