
नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के दो चयनित सदस्यों को हटाने का विरोध करते हुए शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) ने आज संसद की ओर मार्च किया। मार्च में हजारों सिख संगतों ने ’सतनाम-वाहिगुरु’ के जाप के साथ शिरोमणि अकाली दल दफ्तर से संसद की ओर रुख किया। जिससे दिल्ली की सिख राजनीति गरमा गई है। वहीं पूर्व अध्यक्ष सरना का आरोप है कि भाजपा सिखों के धार्मिक मामलों में अब सीधे हस्तक्षेप कर रही है। पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में यह मार्च शुरू हुआ, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब चौक पर बैरिकेडिंग करके रोक लिया। इसके बाद, दोनों नेताओं ने शहीद मास्टर तारा सिंह की मूर्ति के सामने संगतों को संबोधित किया।

आरोप और विरोध
अकाली नेताओं ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने राजनीतिक दुर्भावना के तहत दिल्ली कमेटी के दो चुने हुए सदस्यों की सदस्यता रद्द कर दी है। उन्होंने कहा कि यह सिखों के धार्मिक मामलों में सरकार की सीधी दखलंदाजी है। पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि भाजपा लगातार सिखों की धार्मिक कमेटियों में दखल दे रही है, और यह दखल अब दिल्ली कमेटी तक पहुंच चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने अदालत के आदेशों की अनदेखी करते हुए गैर-कानूनी तरीके से कमेटी के सदस्य बदले हैं। प्रदर्शन के दौरान, दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का पुतला जलाने से रोक दिया और पुतला फाड़ दिया, जिससे कुछ समय तक टकराव की स्थिति बनी रही।

नेताओं की प्रतिक्रिया
मनजीत सिंह जीके ने कहा कि अकाली दल यह संघर्ष सड़कों से लेकर अदालतों तक लड़ेगा और सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों का विरोध करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है और पर्दे के पीछे सरकारी कर्मचारियों को आगे करके यह खेल खेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका गुस्सा दिल्ली सरकार और दिल्ली कमेटी दोनों के खिलाफ है।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख नेता और कार्यकर्ता
इस मौके पर दिल्ली कमेटी के कई सदस्य और शिरोमणि अकाली दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे। यह प्रदर्शन दिल्ली सरकार के खिलाफ सिख संगतों की बढ़ती नाराजगी और धार्मिक मामलों में सरकार की दखलंदाजी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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