
हैदराबाद/शिव कुमार यादव/- तेलंगाना में हाल ही में हुए सामाजिक-आर्थिक और जाति सर्वेक्षण के नतीजों पर बहस छिड़ी हुई है। जिसे लेकर अब विपक्ष भी सरकार पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है वहीं पिछड़ा वर्ग भी मंत्रीमंडल में सही प्रतिनिधित्व नही मिलने से नाराज दिखाई दे रहा है। जिसे देखते हुए राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस भी अब ओबीसी कार्ड खेलने जा रही है और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ओबीसी वर्ग को शांत करने के लिए कांग्रेस एक और डिप्टी सीएम बनाने जा रही है जो ओबीसी वर्ग से ही होगा।

इस बीच, तेलंगाना सरकार एक और उप-मुख्यमंत्री नियुक्त करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह पद पिछड़ा वर्ग से किसी नेता को दिया जा सकता है। राज्य की लगभग 50 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग से आती है। इस कदम से सरकार उनके प्रतिनिधित्व को लेकर चिंताओं को दूर करना चाहती है। साथ ही, सर्वेक्षण के नतीजों पर विपक्ष के विरोध को भी शांत करना चाहती है।

तेलंगाना में कांग्रेस में दूसरा उप-मुख्यमंत्री नियुक्त करती है या नहीं, ये आने वाला समय बताएग। अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो किसे यह महत्वपूर्ण पद मिलता है। इससे राज्य के पिछड़े वर्गों की राजनीतिक भागीदारी पर भी असर पड़ेगा। इसलिए, इस फैसले पर सबकी नज़रें टिकी हैं।
अभी, अनुसूचित जाति के माला समुदाय से भट्टी विक्रमारक उप-मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और उप-मुख्यमंत्री के अलावा, कैबिनेट में 10 अन्य मंत्री हैं। कैबिनेट में अभी भी छह पद खाली हैं। दूसरे उप-मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मंत्री पोन्नम प्रभाकर, टीपीसीसी प्रमुख बी महेश कुमार गौड़ और वन एवं धार्मिक मामलों की मंत्री कोंडा सुरेखा शामिल हैं। अगर यह पद किसी महिला को दिया जाता है, तो कोंडा सुरेखा सबसे आगे हो सकती हैं।
कांग्रेस ने किया ये दावा
हालिया सर्वेक्षण में तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग की आबादी 46.2 फीसदी दिखाई गई है। 2014 में पिछली बीआरएस सरकार द्वारा किए गए समग्र कुटुंब सर्वेक्षण (एसकेएस) में यह आंकड़ा 51 फीसदी था। इसमें काफी गिरावट आई है। कई पिछड़ा वर्ग जाति कल्याण संघों ने कांग्रेस के सर्वेक्षण के नतीजों का कड़ा विरोध किया है। इसके जवाब में, कांग्रेस सरकार ने अपने निष्कर्षों का बचाव किया है। उसका दावा है कि एसकेएस में कानूनी वैधता नहीं थी। क्योंकि इसे न तो कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और न ही विधानसभा में पेश किया गया था।
कांग्रेस बोली- सर्वेक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया गया
राज्य सरकार ने जोर देकर कहा कि उसका सर्वेक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया गया था। यह पिछड़ा वर्ग आबादी का सही प्रतिनिधित्व करता है। मुख्यमंत्री रेवंत और मंत्रियों ने यह भी कहा कि तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आबादी 51 फीसदी से बढ़कर 56 फीसदी हो गई है। इसमें पिछड़ा वर्ग-ई श्रेणी के मुस्लिम भी शामिल हैं। दिल्ली में शीर्ष नेताओं के साथ एक-एक बैठकों में, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दूसरे उप-मुख्यमंत्री की नियुक्ति के प्रस्ताव पर चर्चा की। इससे साफ़ है कि पार्टी इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। यह फैसला राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। देखना होगा कि आने वाले समय में क्या होता है।
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