
नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- जीवन में सुधार की आशा से तिहाड़ में कैदियों के लिए लाइफ चेंजिंग बनेगी श्रीमद्भगवद्गीता। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सबके लिए दी गई यह गीता ‘लाइफ मैनुअल’ के रूप में सहायक होगी। इसी के बारे में विस्तार से बताने के लिए इस्कॉन द्वारका ने तिहाड़ की नंबर 1 जेल में बृहस्पतिवार शाम को एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत हरिनाम संकीर्तन से हुई। श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर से कीर्तन को लीड करने पहुँचे हरिदास चैतन्य प्रभु। उनके साथ रक्षक माधव प्रभु व सच्चिदानंद प्रभु ने कीर्तन को आगे बढ़ाते हुए कैदियों को भी हरे कृष्णा महामंत्र के शब्दों का उच्चारण करने के लिए प्रेरित किया। लगभग डेढ़-से दो घंटे तक लगातार कीर्तन में कैदियों ने सकारात्मक रूप से अपनी सक्रियता बनाए रखी। इससे जहां उनके मन को शांति प्राप्त हुई वहीं नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखने का अनुभव भी मिला। अपने जीवन में सुधार लाने की आशा के भाव उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
कीर्तन के बाद उन्हें हरे कृष्ण महामंत्र के महत्व के बारे में बताया गया। उनको हरिनाम के लिए जप माला भी वितरित की गई। तिहाड़ जेल के पुस्तकालय में श्रीमद्भगवद्गीता उपलब्ध करवाई गई, ताकि यहाँ के कैदी इसका पाठ कर सके और अपने जीवन में सुधार लाने की ओर प्रेरित हों।

इस कार्यक्रम में लगभग 1000 से अधिक कैदियों ने भाग लिया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। इस्कॉन द्वारका से मुख्य वक्ता के रूप में आए श्री बलि मुरारी प्रभु ने इन कैदियों को संबोधित किया एवं भगवत गीता के महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन भी उन्हीं के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि, ‘इस परिसर में आयोजित इस तरह का आध्यात्मिक कार्यक्रम कैदियों की चेतना को शुद्ध करने का भी काम करता है। इस्कॉन द्वारका हमेशा ऐसे सुधार कार्यों के लिए तत्पर हैं।’ कार्यक्रम के उपरांत सबके लिए, प्रसादम भी वितरित किया गया।
कार्यक्रम के संचालन इस्कॉन द्वारका के सोसायटी प्रीचिंग समन्वय सुमंत पांडेय ने बताया कि इस कार्यक्रम के अतिरिक्त बीच-बीच में भी हम इन कैदियों को श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप, जपमाला व माला बैग तथा प्रभुपाद जी द्वारा लिखित अन्य प्रेरणादायक पुस्तकें वितरित करते हैं। जिससे वे यहाँ से बाहर निकलने के बाद वे इस्कॉन मंदिर आकर हमसे संपर्क करते हैं और भगवान के प्रति समर्पित किसी से जुड़ने का प्रयास करते हैं। वहाँ उपस्थित सभी अधिकारियों ने इस्कॉन द्वारका की इस कार्यशैली एवं कैदियों के जीवन सुधार हेतु प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से इन लोगों के व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा जाता है और वे स्वयं मानसिक रूप से अपने को बदलने के लिए तैयार होना चाहते हैं। और जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार के दुष्कार्यों की ओर प्रेरित न होने के लिए कटिबद्ध होते हैं।
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