-क्या है हिरासत और गिरफ्तारी में अंतर, जानें अपने 7 अधिकार -इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पुलिस हुई सतर्क

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- यूं तो मौलिक अधिकारों के नाम पर संविधान में हमें काफी अधिकार प्राप्त है लेकिन अकसर हम उनसे अनभिज्ञ ही रहते है। ये बात और है कि जब हम किसी मामले में फंसते है तो तभी हमें अपने मौलिक अधिकार याद आते है। लेकिन आज हम आपको पुलिस व आम आदमी से जुड़े ऐसे कानूनों व अधिकारों की जानकारी दे रहे है जो हर किसी को जाननी जरूरी है।
              आज हम आपकों पुलिस हिरासत के दौरान आपकों कानून ने क्या अधिकार दिये है इस पर चर्चा करेंगे। क्या पुलिस हिरासत में लेने के बाद किसी मारपीट कर सकती है, गिरफ्तार होने का बाद व्यक्ति के पास अपने बचाव के कौन से अधिकार होते हैं। साथ ही ये भी समझेंगे कि हिरासत और गिरफ्तारी में क्या फर्क होता है।
             बता दें कि हाल ही में इलाहबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कस्टडी में मारपीट करने वाले पुलिस ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। दरअसल पुलिस ने सड़क किनारे पार्किंग करने पर एक लड़के को हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद लड़के के साथ पुलिस ने कस्टडी में मारपीट की। लड़के ने पुलिस के खिलाफ कस्टडी में वायलेंस का केस कर दिया था।

आज हम द्वारका जिला कोर्ट के वरिष्ठ वकील उमेश यादव से इस बारें में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगेः-
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सवालः पुलिस कब किसी को गिरफ्तार कर सकती है?
जवाबः पुलिस कानूनन विशेष परिस्थितयों में ही किसी को गिरफ्तार कर सकती है। जैसे-
-उसने कोई कानून तोड़ा हो।
-उसके खिलाफ कोई लिखित शिकायत दर्ज की गई हो।
-पुलिस को इस बात का शक हो कि व्यक्ति कोई अपराध करने वाले हो।
-वह जमानत पर हो और जमानत के नियमों का उल्लंघन कर रहे हो।
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सवालः पुलिस कब किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती?
जवाबः इसके लिए भी कानूनन कुछ परिस्थितियां तय हैं। जैसे-
-पुलिस बगैर कारण बताए गिरफ्तार नहीं कर सकती।
-कुछ स्पेशल कंडीशन को छोड़कर पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती।
-पुलिस स्पेशल ऑपरेशन को छोड़कर बिना वर्दी में गिरफ्तार नहीं कर सकती।
-नोट- पुलिस की वर्दी की नेमप्लेट में नाम साफ लिखा होना चाहिए।
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सवालः क्या हिरासत और गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को एक जैसे अधिकार मिलते हैं?
जवाबः हां, गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए व्यक्ति को लगभग एक जैसे अधिकार मिलते हैं। गिरफ्तार व्यक्ति के पहले जैसे मौलिक अधिकार की आजादी खत्म हो जाती है लेकिन उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए कुछ अधिकार होते हैं।
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सवालः हिरासत और गिरफ्तारी में क्या अंतर होता है?
जवाबः हिरासत और गिरफ्तारी दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं। अक्सर लोग इसे एक ही समझ लेते हैं। हिरासत में व्यक्ति को पूछताछ के लिए कुछ घंटे के लिए जेल या थाने में रखा जाता है। जबकि गिरफ्तारी में व्यक्ति किसी क्राइम का दोषी होता है या शक होने पर उसे जेल भेजा जाता है। हर गिरफ्तार व्यक्ति को पहले हिरासत में लिया जाता है। पूछताछ या कोर्ट के आदेश के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है।
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सवालः एक महिला को गिरफ्तार करते समय पुलिस को किन चीजों को ध्यान में रखना होता है?
जवाबः महिला को गिरफ्तार करने के लिए कुछ अलग नियम है, इन्हे नीचे पॉइंट्स से समझते हैं।
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महिला को केवल एक महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है।
-सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले एक महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता (जब तक कि स्पेशल कंडीशन न हो)।
-स्पेशल कंडीशन में अगर रात में महिला को गिरफ्तार किया जाना है तो, महिला पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट से एक लिखित परमिशन लेनी होगी।
-अगर महिला पुलिस नहीं है, या उनके आने में देरी से जांच में रूकावट आ सकती है, तो पुरूष पुलिस भी महिला को गिरफ्तार कर सकता है। लेकिन गिरफ्तारी से ठीक पहले या बाद उसे अपने अरेस्ट मेमो में, अपनी कार्रवाई और गिरफ्तारी की वजह बताना होगा।
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सवालः किसी को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की क्या जिम्मेदारियां हैं?
जवाबः केस की जांच के साथ-साथ पुलिस द्वारा अरेस्ट किए गये व्यक्ति के लिए भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। इन्हें नीचे पॉइंट्स में समझते हैं।
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सवालः गिरफ्तारी के बाद या हिरासत में क्या पुलिस को मारपीट या वायलेंस करने का अधिकार होता है?
जवाबः पुलिस गिरफ्तारी के बाद किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं कर सकती। इस संबंध में देश की सर्वोच्च सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी किया गया है। पुलिस गिरफ्तारी के बाद थाने में मारपीट करती है तो इसे कस्टोडियल वायलेंस कहते हैं। भारत में यह गैर-कानूनी है।
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सवालः कस्टोडियल वायलेंस क्या सिर्फ मारपीट यानी फिजिकल टॉर्चर होता है?
जवाबः नहीं। पुलिस इन 3 में से किसी तरह का भी टॉर्चर करती है तो वह कस्टोडियल वायलेंस होता है।

-फिजिकल वायलेंसः इसमें पुलिस मारपीट करती है। कईं बार इससे व्यक्ति की जान भी चली जाती है। जिसे कस्टोडियल डेथ कहते हैं।

-साइकोलॉजिकल वायलेंसः इसमें गिरफ्तार किए व्यक्ति को खाना, पानी, नींद या टॉयलेट जैसी बुनियादी जरूरतों से दूर रखा जाता है। उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है जिससे व्यक्ति मेंटल रूप से कमजोर हो जाता है।

-सेक्सुअल वायलेंसः इसमें पुलिस जोर-जबरदस्ती से व्यक्ति को सेक्सुअली टॉर्चर करती है। इसमें गलत जगह छूना, रेप जैसी चीजें शामिल हैं।
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सवालः थाने में मारपीट करने पर पुलिस के खिलाफ क्या कानून है?
जवाबः पुलिस के पास मारपीट करने का अधिकार नहीं होता है। पुलिस बिना न्यायालय के इजाजत किसी भी प्रकार से मारपीट नहीं कर सकती है।
-यदि पुलिस हिरासत या गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति के साथ मारपीट करती है तो धारा 190 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 कानून के तहत मजिस्ट्रेट पुलिस के खिलाफ वारंट जारी कर देता है और उनकी गिरफ्तारी या कार्रवाई करने का आदेश भी दे सकता है।

-वायलेंस या मारपीट करने वाले पुलिस के खिलाफ आईपीसी की धारा 330 एवं 331 में भी सजा का प्रावधान दिया गया है।
नोट- अगर हिरासत में व्यक्ति की नेचुरल डेथ हो जाती है तो कोई कानून लागू नहीं होगा।
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सवालः गिरफ्तारी के बाद पुलिस थाने में मारपीट या वायलेंस करें तो कहां शिकायत कर सकते हैं?
जवाबः इसे पॉइंट्स में समझते हैं।
-पुलिस के खिलाफ एफआईआर कर सकते हैं।
-जिला के सीनियर पुलिस अधिकारी या एसपी या डीसीपी को शिकायत कर सकते हैं।
-इसकी शिकायत अगले दिन कोर्ट में मजिस्ट्रेट से कर सकते हैं।
-पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी में भी पुलिस की शिकायत कर सकते हैं।
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सवालः पुलिस स्टेशन में पुलिस एफआईआर नहीं लिखती है, तो क्या कर सकते हैं?
जवाबः पुलिस स्टेशन में यदि पुलिस एफआईआर नहीं लिखती है तो इसकी शिकायत सीआरपीसी की धारा 156(2) के तहत सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस यानी एसपी को की जा सकती है। अगर एसपी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो इस बात की शिकायत मजिस्ट्रेट कोर्ट में की जा सकती है।

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