चुनावी बॉन्ड खरीदनेवाली 5 में से तीन कंपनियों के खिलाफ आयकर जांच

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चुनावी बॉन्ड खरीदनेवाली 5 में से तीन कंपनियों के खिलाफ आयकर जांच

-1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक खरीदे गए कुल 22,217 के चुनावी बॉन्ड

नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की सारी जानकारी एससी को सौंप दी है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे चुनाव आयोग को सौंप दिया है जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने इन गुरूवार को अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिये है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात यह है कि चुनावी बॉन्ड खरीदनेवाली पांच सबसे बड़ी कंपनियों में से तीन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर (आईटी) विभाग की जांच चल रही है। इसके बावजूद इन कंपनियों ने बॉन्ड खरीदे हैं।

        स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉन्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल है। इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और माइनिंग कंपनी वेदांता के खिलाफ ईडी व आईटी की जांच चल रही है। चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों में चुनावी बॉन्ड के नंबर एक खरीदार सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है। लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,300 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। फ्यूचर गेमिंग की मार्च 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की गई थी। इसने दो अलग-अलग कंपनियों के तहत 1350 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे।

फ्यूचर गेमिंग के खिनाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच
ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। उस साल जुलाई तक उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी। इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने चुनावी बांड में 100 करोड़ रुपये खरीदे।

           ईडी ने 22 जुलाई, 2019 को एक बयान में कहा, “मार्टिन और उनके सहयोगियों ने। अप्रैल 2009 से 31 अगस्त 2010 की अवधि के लिए पुरस्कार विजेता टिकटों के दावे को बढ़ाकर 910.3 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया। 2019-2024 के दौरान कंपनी ने 21 अक्टूबर, 2020 को चुनावी बांड की पहली किश्त खरीदी।

दूसरा सबसे बड़ा डोनर बीआरडी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
राजनीतिक टलों को टसरा सबसे बड़ा डोनर हैदराबाद-बीआरडी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) है जिसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। कृष्णा रेड्डी द्वारा संचालित मेघा इंजीनियरिंग जो तेलंगाना सरकार की प्रमुख परियोजनाओं कालेश्वरम बांध परियोजना में शामिल है।
          अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई। संयोग से उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। पिछले साल, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता बीवाईडी और उसके हैदराबाद- बीआरडी पार्टनर एमईआईएल के एक अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा डोनर
अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है, जिसने 376 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी। 2018 के मध्य में, ईडी ने दावा किया था कि उसके पास वीज़ा के लिए रिश्वत मामले में वेदांता समूह की संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, जहां कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था।
          ईडी द्वारा सीबीआई को भेजे गए एक संदर्भ में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे। अगले चार वर्षों में 2020 को छोड़कर, नवंबर 2023 तक, इसने 337 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे, जिससे वेदांता द्वारा खरीदे गए बांड का संचयी मूल्य 376 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किये थे। एसबीआई चुनावी बॉन्ड का अधिकृत विक्रेता था। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को उसकी वेबसाइट पर आंकड़े अपलोड करने के लिए 15 मार्च शाम पांच बजे तक का समय दिया था।

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