नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/फनोम पेन्ह/शिव कुमार यादव/- चीन ने दक्षिण चीन सागर व मलक्का स्ट्रेट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक और कदम बढ़ाते हुए कंबोडिया में अपना विशाल नौसैनिक अड्डा लगभग तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि चीन इस नौसैनिक अड्डे का बाहरी ताकतों से निपटने में इस्तेमाल करेगा और इसके बन जाने से दक्षिण चीन सागर में चीन स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी। यह नेवल बेस अपनी क्षमता में अफ्रीका में स्थित जिबूती नेवल बेस की तरह ही काफी क्षमता वाला है। विश्व परिदृश्य में इसे भारत व अमेरिका को जोड़कर भी देखा जा रहा है।

चीन ने रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण पूर्वी एशियाई देश कंबोडिया में अपना विशाल नौसैनिक अड्डा लगभग पूरा कर लिया है। चीन इस अड्डे पर एयरक्राफ्ट कैरियर भी खड़ा कर सकता है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का रिआम नेवल बेस आकार और डिजाइन में ठीक उसी तरह से है जैसाकि चीनी सेना ने अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला नेवल बेस बनाया है। इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का मानना है कि चीन कंबोडिया में अपनी नौसैनिक क्षमता इसलिए बढ़ा रहा है ताकि अपनी नौसैनिक ताकत का प्रदर्शन कर सके।
चीन का यह नौसैनिक अड्डा भारत के अंडमान निकोबार द्वीप पर बने सैन्य अड्डे से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर है। चीन के बॉम्बर रिआम नेवल बेस से अंडमान तक निशाना साधने की ताकत रखते हैं। चीन और कंबोडिया दोनों ही दावा करते हैं कि चीनी सेना की इस नौसैनिक अड्डे पर कोई भूमिका नहीं है। चीन के पास अमेरिका के मुकाबले बड़ी नौसेना है लेकिन उसके पास दुनियाभर में नौसैनिक अड्डे और लॉजिस्टिक फैसिलटि नहीं है। इसकी वजह से चीन की नौसेना के युद्धपोत आसानी से दुनियाभर में अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

मलक्का स्ट्रेट में चीन को नहीं घेर पाएंगे भारत-अमेरिका!
थाइलैंड की खाड़ी के पास बने इस कंबोडियाई नेवल बेस से चीन को एक रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी। अमेरिका के एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने कहा, ’अमेरिका सरकार के अंदर इस बात को लेकर बहस चल रही है कि चीन इस नौसैनिक अड्डे का ठीक-ठीक करेगा क्या। यह दक्षिण चीन सागर या हैनान द्वीप में बने नेवल बेस से क्यों बेहतर है।’ चीन ने पिछले एक दशक में कई सैन्य अड्डे बनाए हैं ताकि दक्षिण चीन सागर पर ’कब्जा’ किया जा सके। वशिषज्ञों का कहना है कि एक दूसरे देश में चीन का नौसैनिक अड्डा होना संघर्ष की स्थिति में अमेरिकी सैन्य स्थिति को जटिल बना सकता है।
दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मीटिंग हुई। जोहांसबर्ग में हुई इस मीटिंग से अलग भारत के एनएसए अजित डोभाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात के दौरान सीमा विवाद पर भी खासी चर्चा हुई।
पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने कहा, ’अगर अमेरिका और चीन युद्ध की ओर बढ़ते हैं तो अमेरिका दक्षिण चीन सागर में मौजूद नौसैनिक अड्डों को तबाह कर सकता है। लेकिन इस नेवल बेस के मामले में हम कंबोडिया के क्षेत्र में बम गिराएंगे।’ चीनी सेना पर सीआईए के पूर्व विशेषज्ञ डेनिस वलि्डर कहते हैं कि अगर दक्षिण चीन सागर में तनाव भड़कता है और सैन्य संघर्ष में तब्दील होता है तो रिआम नेवल बेस का रणनीतिक महत्व सबसे ज्यादा होगा। इससे चीन की मलक्का स्ट्रेट तक नौसैनिक ताकत बढ़ जाएगी जो रणनीतिक रूप से चीन की जान है। इसी रास्ते से चीन का बहुत बड़े पैमाने पर निर्यात दुनिया को होता है। अगर कोई विवाद होता है तो अमेरिका और भारत दोनों ही ड्रैगन को घेर सकते हैं। भारत का अंडमान बेस भी मलक्का स्ट्रेट के पास ही है।


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