
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देश-विदेश/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चीन लगातार पाकिस्तान में पैर पसारता जा रहा है और पीओके में जमने के लिए अब नई चाल खेल रहा है। जिसके तहत अब चीन स्वास्थ्य गलियारें के नाम पर 2025 तक पाकिस्तान में अपने 50 लाख कामगारों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पाकिस्तान में रहेगा। चीन के सामने पाकिस्तान के सरेडर ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। वो भी चीन की पीओके को लेकर मंशा ने भारत के सामने नई चुनोती भी खड़ी कर दी है हालांकि भारत चीन की इस चाल पर नजदीक से नजर बनाये हुए है ताकि किसी भी अनहोनी से निपटा जा सके।
पहले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के निर्माण के जरिए और अब पाकिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के बहाने चीन लगातार इस देश में अपने पैर पसारता जा रहा है। सामने आया है कि चीन अगले 4 सालों में (2025 तक) निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपने 50 लाख नागरिकों को पाकिस्तान भेजेगा। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया।
पाकिस्तान की हेल्थ सर्विस एकेडमी के प्रोफेसर डॉक्टर शहजाद अली खान ने एक इंटरव्यू के दौरान चीन के 50 लाख कामगारों के आने की बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि चीन से आने वाले कामगारों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ’चीन-पाकिस्तान स्वास्थ्य गलियारे’ (सीपीएचसी) के अंतर्गत दोनों देशों के मेडिकल विश्वविद्यालयों और रिसर्च संस्थानों के बीच सहयोग भी बढ़ेगा।
डॉक्टर शहजाद ने कहा, “हम पाकिस्तानी विशेषज्ञों को आधुनिक मेडिकल तकनीक और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में मजबूत करना चाहते हैं। ये विशेषज्ञ न सिर्फ दौरे पर आए चीनी नागरिकों की जरूरत पूरी करेंगे, बल्कि उन पाकिस्तानियों की भी मदद होगी, जो वैकल्पिक चिकित्सा पर भरोसा करते हैं।“ हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस तरह के प्रोजेक्ट्स के जरिए सिर्फ पाकिस्तान सरकार पर अपना शिकंजा मजबूत करेगा। गौरतलब है कि चीन पहले ही पाकिस्तान में कई खरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स चला रहा है। सीपीईसी का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और बलूचिस्तान से भी होकर गुजरता है, जिसे लेकर भारत लगातार आपत्ति जताता रहा है।
इतना ही नहीं बलूचिस्तान के बागी संगठन भी चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमला कर चुके हैं। इसी साल अप्रैल में बलूचिस्तान के एक बड़े होटल में कार बम धमाका हुआ था। उस दौरान होटल में चीनी राजदूत भी ठहरे थे। इसके अलावा जुलाई में एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध पर काम के लिए बस से जा रहे चीनी नागरिकों की धमाके में मौत हो गई। इसकी जिम्मेदारी बलूच अलगाववादियों को दी गई थी।
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