नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- चीन में हाल के कुछ महीनों में भारतीयों पर हमले बढ़े है। पिछले 4 महीने में ही करीब 50 से ज्यादा भारतीय छा़त्रों व नौकरीपेशा लोगों को निशाना बनाकर मारपीट की गई है। फिर भी चीनी पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नही की है। इतना ही नही चीनी मीडिया भी भारतीयों पर हो रहे हमलों को लगातार दबा रहा है। हालांकि भारतीय उच्चायोग ने इन हमलों को नस्लीय होने से इंकार किया है लेकिन फिर भी एक गाईड लाइन जारी कर सभी हमलों की तुरंत जानकारी देने की अपील की है।
चीन के ग्वांगझू शहर की मेट्रो ट्रेन में भीड़ थी, इसलिए लोग खड़े होकर सफर कर रहे थे। इसी बीच कुछ पैसेंजर्स में बहस होने लगी। देखते-देखते माहौल गर्म हो गया और कई लोग मिलकर दो लड़कों को पीटने लगे। ट्रेन स्टेशन पर खड़ी थी, गेट खुले थे, पिट रहे दोनों लड़कों को बाहर की तरफ धकेल दिया गया। वे लोग प्लेटफॉर्म पर भी इन दोनों लड़कों को लात-घूंसों से पीटते रहे। पास ही मेट्रो स्टेशन का गार्ड खड़ा था, लेकिन उसने हमलावरों को रोका नहीं।
ये मामला अक्टूबर 2022 का है। चीनी सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हुआ। पीट रहे लोग चीनी थे और पिट रहे दोनों लड़के भारतीय। कहासुनी क्यों हुई, मारने वालों पर क्या कार्रवाई हुई, पिटने वाले दोनों लड़कों का क्या हुआ, कुछ नहीं पता।
इसी तरह चीन में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र का कहना हे कि ‘चीनी मीडिया भारतीयों पर हो रहे ऐसे हमलों से जुड़े केसों को लगातार दबा रही है, पुलिस भी इन्हें सामने नहीं आने देती। मेरे एक दोस्त के साथ भी पिछले दिनों ऐसा हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। हम कर भी क्या सकते हैं।’
चीन से मिली रही जानकारी के मुताबिक हाल के महीनों में चीनी शहरों में भारतीयों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। जानकार छात्र व यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर और स्टूडेंट्स शामिल हैं। उन्होंने अपना नाम न देने की ताकीद की है। ये रिपोर्ट उन्हीं लोगों के हवाले से दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक चीन में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारी भी मानते हैं कि डोकलाम के बाद से चीन में भारतीयों पर हमले बढ़े हैं। यहां तक कि भारतीय दूतावास ने इन हमलों के आंकड़ों को इकट्ठा करना भी शुरू किया है और एक रिपोर्ट तैयार की है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक एकेडमिक ईयर की शुरुआत यानी सितंबर के बाद से चीन में भारतीय स्टूडेंट पर हमले और डकैती के 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
ये वीडियो बीजिंग का बताया गया है। मेट्रो ट्रेन में झगड़ा होने पर एक चीनी लड़की भारतीय लड़के से कहती है कि चीन से चले जाओ, ये तुम्हारा देश नहीं है। इस पर लड़का कहता है कि मैं क्यों जाऊं। वीडियो कब का है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई।
ये हमले चीन के अलग-अलग शहरों में हुए हैं। ज्यादातर केस बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू में रिपोर्ट किए गए हैं। निशाने पर स्टूडेंट या नौकरीपेशा यंग लोग हैं। उन पर कॉलेज या ऑफिस से घर लौटते वक्त हमला किया गया, कई लोगों को मार्केट में निशाना बनाया गया।
हालांकि, भारतीय दूतावास इन्हें नस्लीय हमले नहीं मान रहा है। सूत्रों के मुताबिक चीन में क्राइम बढ़ा है और ये घटनाएं उसी का नतीजा हैं। कई स्टूडेंट्स और उनके परिवारों ने सुरक्षा के बारे में चिंता जताई है और दूतावास से सिक्योरिटी बढ़ाने की गुजारिश भी की है। साथ ही भारतीय दूतावास ने लोगों की सलाह दी है कि – अकेले सफर न करें, रात में क्लब न जाएं।
ऐसे हमलों की शिकायतों के बाद उन्होंने अक्टूबर 2022 में ही स्टूडेंट्स को ‘वर्चुअल ओपन हाउस मीटिंग’ में अकेले यात्रा करने से बचने, अच्छी रोशनी और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में रहने, सेफ्टी अलार्म रखने, देर रात क्लब नहीं जाने, धर्म और राजनीति पर बहस से बचने और लोकल लोगों से मिलजुल कर रहने जैसी सलाह दी थी। साथ ही ऐसी घटना होने पर दूतावास को तुरंत जानकारी देने के लिए भी कहा था।
सूत्रों की माने तो लगातार हमलों से चीन में मौजूद भारतीय समुदाय में गुस्सा है। वे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाने की मांग कर रहे हैं। इंडियन स्टूडेंट्स यूनियन भी कई बार इस मामले में विरोध दर्ज करा चुकी है। यूनियन की मांग है कि चीन सरकार विदेशी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करे।
हमलों से जुड़े मामले विदेश मंत्रालय तक पहुंचे हैं। उन्होंने छात्रों और उनके परिवारों को भरोसा दिया है कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए काम कर रहे हैं।
पाकिस्तानी और बांग्लादेशी स्टूडेंट्स पर भी हमले
चीन में न सिर्फ भारतीय, बल्कि पाकिस्तानी और बांग्लादेशी स्टूडेंट्स के साथ भी बुरा बर्ताव हो रहा है। इनमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई करने चीन आते हैं। कुछ महीने पहले ही शान्शी प्रांत के यांग्लिंग में नॉर्थ-वेस्ट एग्रीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस में एक चीनी स्टूडेंट ने बांग्लादेशी स्टूडेंट को चाकू मार दिया था।
डोकलाम विवाद के बाद खतरा बढ़ा
ऊषा कुमारी 2017 के डोकलाम विवाद के बाद बने हालात को याद करते हुए कहती हैं कि इस विवाद के बाद ही भारतीयों को निशाना बनाया गया था। चीन में कई लोग भारतीय, पाकिस्तानी और नेपाली सिटिजन में अंतर नहीं कर पाते। इसलिए वे पाकिस्तानी और नेपाली लोगों से भी झगड़ा करने लगते थे। उनसे कहा जाता था कि तुम्हारा देश हम पर हमला कर रहा है।
जब भी भारत-चीन के बीच सीमा पर विवाद होता है, तो ऐसे मामले बढ़ जाते हैं। बीजिंग में इंडियन ऐंबैसी में काम करने वाले एक कर्मचवारी बताते हैं- माहौल इतना खराब था कि हम चेहरा ढंककर बाहर जाते थे। हम अपनी भारतीय पहचान छिपाने के लिए मजबूर थे। मेरे बच्चे बीजिंग यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे, मुझे दिन भर उनकी चिंता होती थी।
चीन में पढ़ने वाले भारतीयों की तादाद बढ़ी
बीते कुछ साल में चीन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। चीनी शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में 30 हजार से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट रजिस्टर्ड हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्टूडेंट्स का डेटा तैयार किया है और उनसे समय-समय पर समस्याओं की जानकारी ली जाती है।
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