नईं दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली पंचायत संघ गांवों की पहचान बनाए रखने के लिए आंदोलन तेज करेगा।हमारी 18सूत्री मांगो में एक है। आज भारत अपनी पुरानी विरासत में लौट रहा है। दिल्ली के गांवों को भी अपनी पुरानी पहचान व विरासत मिले। गांवों ने आजादी के समय बहुत बलिदान दिया है। गांवों को पुराना गौरव मिले।जहां गांवों ने जवान व किसान दिए आज वे गांव हासिये पर क्यों।
पंचायत संघ का कहना है कि दिल्ली के हर गांवों की पहचान बनी रहे। इसके लिए गांवों की गौरव गाथा के साथ-साथ दिल्ली गांवों के सभी दस्तावेजों कुर्सीनामा व वंशावली आदि गांव के प्रवेश द्वार पर शिलालेख या डिजिटल बोर्ड पर लगाएं सरकार।ताकि सभी गांवों के लोगों को अपनी पुरानी पहचान व रिकार्ड्स के बारे में जानकारी हो।
पंचायत संघ का कहना कि आजादी के 75वर्ष के अमृतकाल में हम हैं। लेकिन दिल्ली का रेवेन्यू विभाग आज भी मुगल काल का रिकार्ड ले रहा है।दिल्ली के रेवेन्यू विभाग की कार्यशैली आज भी मुगल काल में कैद पड़ी है। जिसके कारण गांवों व किसानों को इसकी मार झेलनी पड़ रही हैं ।
दस्तावेजों का उर्दू व फारसी में होने से गांवों के लोगों को हमेशा संदेह रहता है कि हमारे साथ धोखा तो नहीं हो रहा है।
पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव का कहना है इस पर गांवों व अधिकारियों की पुराने दस्तावेजों के विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर सभी हिन्दी में कराएं।ओर दस्तावेजों को कोई किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो इसकी वयवस्था करें।
-दिल्ली के गांवों की पहचान बनाये रखने के लिए पंचायत संघ ने की दिल्ली सरकार से मांग
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