नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कभी देष की सबसे बड़ी पार्टी व 70 साल तक सत्ता में रहने वाली पार्टी आज लोकसभा व विधानसभा चुनावों में मिल रही लगातार हार और पार्टी को छोड़ते दिग्गजों के कारण कांग्रेस अब देश में खत्म होने के कगार पर पंहुच गई है। अगर यही हाल रहा तो हो सकता है आने वाले समय में कांग्र्रेस का राष्ट्रीय दर्जा ही समाप्त हो जाये। जिसे देखते हुए अब गांधी परिवार एक बार फिर कांग्रेस को संजीवनी देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और उदयपुर में चल रहा चिंतन शिविर भी इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने के लिए पूरी तरह से बेताब दिखाई दे रही है। जो काम पहले हो जाना चाहिए था वह देर से ही सही लेकिन अब कांग्रेस उन नियमों को अपनाने की तैयारी कर रही है। चिंतन शिविर में एक परिवार एक सीट से लेकर आर्थिक नीतियों तक पर सवाल किये जा रहे है। वहीं कांग्रेसियों को पार्टी के प्रति निष्ठावान बनाये रखने के लिए शपथ व कसमें भी दिलाई जा रही हैं। हालांकि कांग्रेस में अभी तक संगठनात्मक कामकाज पर सबसे ज्यादा उंगली उठी है जिस पर इस बार कांग्रेस संगठनात्मक स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है ताकि असंतुष्टों के सवालों का जवाब दिया जा सके और कांग्रेस में एक नई जान फूंकी जा सके। अब देखना यह है कि चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस में कितना बड़ा बदलाव आता है या फिर वही ढाक के तीन पात रहने वाले हैं।
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो अभी कांग्रेस देश की राजनीति की नब्ज नही पढ़ पा रही है। कांग्रेस उन मुद्दों को अनदेखा कर रही है जिनके कारण भाजपा देश में सत्तासीन हुई है। कांग्रेस को अगर सत्ता में आना है तो भारत की 80 प्रतिशत आबादि क्या चाहती है इस पर मंथन करना होगा। देश का अल्पसंख्यक समुदाय अभी भी कांग्रेस की ओर आश लगाये बैठा है उसके साथ भी कांग्रेस को सामज्स्य बनाकर रखना होगा लेकिन इसका मतलब यह नही की आप 20 प्रतिशत के लिए 80 प्रतिशत की हमेशा उपेक्षा करते रहें। कांग्रेस को तुष्टिकरण के आरोपो से बाहर निकलकर एक नई पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनानी होगी ताकि आज जो क्षेत्रिय पार्टियां कांग्रेस को नुकसान पंहुचा रही है उसे रोका जा सके। लेकिन अभी तक चिंतन शिविर में इस तरह का कोई मुद्दा सामने नही आया जिसे देखकर यही लगता है कि कांग्रेस के दिन बहुरने वाले नही और भाजपा व क्षेत्रिय पार्टियां यही चाहती है कि कांग्रेस पूरी तरह से डूब जाये ताकि वो सत्तासीन रह सकें। यह अभी हाल के पांच राज्यों के चुनावों में भी सामने आ चुका हे।
आइए, 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि चिंतन शिविर में अब तक क्या-क्या हुआ?
1. एक परिवार को एक टिकट
चिंतन शिविर के शुरू होने से पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने प्रस्तावों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक परिवार को एक टिकट दिया जाएगा। नेता के किसी रिश्तेदार को टिकट तभी मिलेगा, जब वह पांच साल पार्टी के लिए काम कर लेगा। बूथ और ब्लॉक स्तर के बीच में मंडल बनाए जाएंगे। इस समय बूथ के बाद सीधे ब्लॉक स्तर का ढांचा काम करता है। हालांकि, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि यह फिलहाल प्रस्ताव ही है। अंतिम फैसला चिंतन बैठक में चर्चा के दौरान होगा।
2. 50 फीसदी पद युवाओं को देंगे
अजय माकन ने यह भी कहा कि बूथ से लेकर कार्यसमिति तक 50 प्रतिशत पद युवाओं को दिए जाएंगे। युवाओं के लिए 50 साल की समयसीमा तय की गई है। वहीं, कोई भी नेता किसी पद पर सिर्फ पांच साल के लिए रहेगा। तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड रहेगा, जिसके बाद वह फिर से पद की जिम्मेदारी संभाल सकता है।
3. सोनिया ने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा
चिंतन शिविर का आगाज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उद्घाटन भाषण से हुआ। इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार और आरएसएस को घेरा। उन्होंने कहा कि देश में लोग डर और असुरक्षा के साये में जी रहे हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचा है। मोदी सरकार राजनीतिक विरोधियों को धमकाने के लिए जांच संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।
4. पार्टी ने बहुत कुछ दिया, अब उसे देने का वक्त
सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि अब तक पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, अब उसे लौटाने का वक्त आ गया है। संगठन स्तर पर कई बदलाव होने हैं। असाधारण चुनौतियों का सामना करने के लिए असाधारण कदम उठाने पड़ते हैं। कांग्रेस नेता भी इसके लिए तैयार रहे, तभी हम दोबारा उस स्थिति में पहुंच सकेंगे जिसकी उम्मीद जनता कर रही है।
5. शिविर में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं
अजय माकन ने यह साफ कर दिया था कि किसी भी सदस्य को चिंतन शिविर में मोबाइल के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। नौ पैनल बने हैं, जो अलग-अलग प्रस्तावों पर चर्चा कर रहे हैं। इन चर्चाओं के बाद चिंतन शिविर में अंतिम फैसले होंगे।
6. जिन राज्यों में चुनाव है, वहां रहेगा फोकस
चिंतन शिविर में उन राज्यों पर भी फोकस है, जहां इस साल या अगले साल चुनाव होने हैं। इनमें से दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। इसके बाद भी इन राज्यों के विधायकों और बड़े नेताओं को शिविर से दूर रखा गया है।
7. युवाओं की बात ज्यादा
इस चिंतन शिविर के जरिए पार्टी यह बताने की कोशिश कर रही है कि युवाओं को अधिक से अधिक मौके दिए जाएंगे। जाहिर है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवाओं के पार्टी छोड़ने और राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच रहने वाली गहमागहमी को लेकर यह कदम उठाए जा रहे हैं। गहलोत ने भी वीडियो संदेश जारी कर यह जताने की कोशिश की कि युवाओं को मौके दिए जा रहे हैं। प्रवक्ता रागिनी नायक के नेतृत्व में पार्टी ने युवा नेताओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे किया, जिन्होंने मोदी सरकार की युवाओं से जुड़ी नीतियों पर सवाल उठाए।
8. मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमला
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमला बोला। शिविर के दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार किसान विरोधी है। इसी वजह से गेहूं का उत्पादन बढ़ने के बावजूद निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां पूरी तरह से नाकाम रही है। इसी वजह से महंगाई बढ़ रही है।
9. राहुल गांधी शामिल होंगे ग्रुप डिस्कशन में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी शनिवार को होने वाले सभी ग्रुप डिस्कशन में शामिल रहेंगे। इस दौरान वे अलग-अलग समूहों में आए प्रस्तावों को जानेंगे और उन पर अपनी राय देंगे। साथ ही भविष्य की रणनीति बनाने पर अपनी बात भी कहेंगे।
10. नजर रहेगी फैसलों पर
कांग्रेस के चिंतन शिविर में अब तक सिर्फ प्रस्ताव और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना ही सामने आई है। अब तक पार्टी संगठन में होने वाले बदलावों को सामने नहीं रखा गया है। बताया जाता है कि चिंतन शिविर के तीसरे और निर्णायक दिन अंतिम फैसले होंगे।
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