गाजीपुर/शिव कुमार यादव/- गाजीपुर में अफजाल अंसारी अब आईएनडीआईए गठबंधन से समाजवादी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी हैं क्योंकि उनकी बेटी नुसरत अंसारी का पर्चा खारिज हो चुका है। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की हैसियत से अफजाल अंसारी और नुसरत अंसारी दोनों ने ही पर्चा दाखिल किया था। अफजाल अंसारी ने फार्म एबी में समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया था जबकि नुसरत ने समाजवादी पार्टी के वैकल्पिक प्रत्याशी के तौर पर अपना पर्चा दाखिल किया था। आयोग के नियमों के अनुसार मुख्य प्रत्याशी का पर्चा स्वीकृत होने की दशा में वैकल्पिक प्रत्याशी का पर्चा स्वतः ही खारिज हो जाता है और इसी नियम के तहत नुसरत का पर्चा जिला निर्वाचन अधिकारी ने खारिज कर दिया था जिसकी पुष्टि डीएम आर्यका अखौरी ने भी की थी। अब इसी को लेकर चर्चा हो रही है कि अगर अफजाल अंसारी को चुनाव लड़ने से रोका गया तो विकल्प क्या है लोग इसी को अफजाल अंसारी का सेल्फ गोल मान रहे हैं।
नुसरत के चुनाव लड़ने की क्यों थी चर्चा
अफजाल अंसारी की तीन बेटियां ही हैं जिनमें से नुसरत अंसारी सबसे बड़ी हैं। कुछ दिनों पहले नुसरत तब चर्चा में आयीं जब उन्होंने गाजीपुर में अपने पिता अफजाल अंसारी के लिये चुनाव प्रचार शुरू किया और प्रचार के पहले ही दिन वो एक शिव मंदिर में गयीं और वहां पूजा-अर्चना किया। इसके बाद 1 मई को समाजवादी पार्टी कार्यालय पर हुई आईएनडीआईए गठबंधन की बैठक में अफजाल अंसारी ने नुसरत अंसारी का सबसे परिचय कराया और बताया कि कानूनी वजहों से वो खुद चुनाव नहीं लड़ पाये तो नुसरत उनकी राजनीतिक वारिस होंगी।
अफजाल अंसारी के गैंगेस्टर मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में चल रही है और 20 मई को उसमें अगली सुनवाई होनी है। गैंगेस्टर मामले का 30 जून तक निस्तारण करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। अफजाल अंसारी के इसी मामले की वजह से उनके चुनाव नहीं लड़ने के कयास लगाये जा रहे थे और इस बात की चर्चा थी कि नुसरत चुनाव लड़ सकतीं हैं लेकिन अब इस बात की संभावना खत्म हो चुकी है और अफजाल अंसारी ही चुनाव लड़ेंगे ये तय हो चुका है।
नुसरत को अपनी राजनीतिक विरासत क्यों नहीं सौंप सके अफजाल अंसारी?
अंसारी परिवार की बात करें तो अफजाल अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे सोहेब अंसारी को सौंप चुके हैं और सोहेब अंसारी इस समय मुहम्मदाबाद से समाजवादी पार्टी विधायक हैं। अफजाल अंसारी के छोटे भाई मुख्तार अंसारी जो कि अब इस दुनिया में नहीं हैं,उन्होंने भी अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अब्बास अंसारी को पहले ही सौंप दी थी और अब्बास मऊ से सुभासपा विधायक हैं। अब्बास इस समय कासगंज जेल में बंद हैं। अफजाल अंसारी अपनी सभाओं में और मीडिया से बातचीत के दौरान भी इस बात का जिक्र बार-बार कर रहे थे कि मेरे दोनों भाई अपनी विरासत अपने बेटों को सौंप चुके हैं और जरूरत पड़ी वो भी अपनी विरासत अपनी बेटी को सौंप सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो अफजाल अंसारी इस लोकसभा चुनाव में अपनी बेटी को ही चुनाव लड़ाने के मूड में थे क्योंकि उनके ऊपर सजा की तलवार अभी भी लटक रही है और हाइकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा तो वो चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सूत्र बताते हैं अफजाल अंसारी अपनी बेटी को चुनाव मैदान में उतारना चाह रहे थे लेकिन स्थानीय समाजवादी पार्टी नेताओं के विरोध और आलाकमान की सहमति नहीं होने की वजह से उनको खुद ही चुनाव मैदान में उतरना पड़ा।
आईएनडीआईए गठबंधन पर लगता है परिवारवाद का आरोप
अफजाल अंसारी आईएनडीआईए गठबंधन से प्रत्याशी हैं और उनके चुनाव लड़ने पर घटक दलों को कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन उनकी बेटी नुसरत अंसारी के चुनाव लड़ने की बात पर सभी घटक दलों में सहमति नहीं बन पायी साथ ही इसपर स्थानीय सपा नेताओं की भी सहमति नहीं बनी। नुसरत के चुनाव लड़ने से आईएनडीआईए गठबंधन पर परिवारवाद का आरोप लगता।
इसी वजह से कहा जा रहा है की अफजाल अंसारी ने सेल्फ गोल कर लिया है क्योंकि चुनाव में जीत-हार तो 4 जून को तय होंगे लेकिन अफजाल अंसारी चुनाव जीत जाते हैं और उसके बाद हाइकोर्ट उनकी 4 साल की सजा को बरकरार रखता है तो गाजीपुर एक बार फिर सांसद विहीन जनपद होगा और यहां उपचुनाव के हालात पैदा हो सकते हैं।
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