केंद्र से बातचीत के लिए एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी गठित

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

केंद्र से बातचीत के लिए एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी गठित

-राकेश टिकैत शामिल नही -एसकेएम की 7 दिसंबर को फिर होगी बैठक, किसानों पर दर्ज मुकदमें वापिस लिये बिना नही हटेंगे किसान

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर तीनों विवादस्पद कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद किसान आंदोलन के भविष्य की राह तय करने को सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। इस बैठक में अपनी मांगों को लेकर केद्र सरकार से बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी 5 सदस्यीय कमेटी की घोषणा कर दी है। हालांकि इस कमेटी में भाकियू के नेता राकेश टिकैत को शामिल नही किया गया है। इस कमेटी में किसान नेता बलबीर राजेवाल, युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, अशोक तावले व शिवकुमार कक्का को शामिल किया गया हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक 7 दिसंबर को होगी। पांच सदस्यीय कमेटी अब आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी। किसानों ने कहा कि हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। आईये जानते है इस संबंध में किसान नेताओं ने क्या कहा-
                  किसान नेता जोगेंद्र सिंह उग्रांह ने कहा कि सरकार बार-बार छोटी कमेटी गठन करने की बात कह रही थी। इसलिए छोटी कमेटी बनाई गई है। पहले कृषि कानूनों का बड़ा मुद्दा था। उस समय छोटी कमेटी का कानूनों में संशोधन पर मान जाने या दबाव का डर था। लेकिन अब कानून वापस हो चुके हैं। बड़ा मुद्दा हल हो गया है। अब छोटे मुद्दों पर छोटी कमेटी का गठन किया गया है। जो सरकार से हर मुद्दे पर बातचीत कर सकती है।
               किसान नेता रणजीत सिंह राजो ने कहा कि किसान अब घर तो जाना चाहते हैं, लेकिन कब जाना है और कैसे जाना है, यह मोर्चा तय करेगा। उन्होंने कहा कि तीन कानून वापस हो गए हैं, लेकिन एमएसपी की गारंटी समेत 6 मुद्दे अभी बाकी है। अहम बात यह है कि हरियाणा सरकार के साथ किसानों की बैठक में सरकार ने मुआवजा देने से इनकार दिया है। जब सरकार ने 15 दिन पहले किसानों से माफी मांगकर कानून वापस ले लिए हैं तो अब बाकी मांगें क्यों नहीं मानी जा रही।
               मीटिंग के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि 5 लोगों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी सरकार से सभी मामलों पर बातचीत करेगी। सरकार को बातचीत करनी है तो कमेटी से संपर्क कर सकती है। अगली मीटिंग संयुक्त किसान मोर्चा की यहीं पर 7 तारीख को 11-12 बजे होगी। टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा भी ऐसे ही काम करता रहेगा।
                  किसान नेता जोगेंद्र सिंह ने कहा कि हम साफ कहते हैं कि सरकार जब तक सारे केस वापस नहीं लेगी तब तक हम नहीं जाएंगे। इसकी सरकार से लिखित गारंटी चाहिए। जोगेंद्र सिंह ने कहा कि पहले कईं बार हुआ है कि सरकार ने आंदोलन के केस वापस करने की बात बोल दी लेकिन बाद में उसमें लोगों को सजा तक हुई है।
                  21 तारीख को जो पत्र लिखा था, उसका आज तक सरकार से कोई जवाब नहीं आया। जब तक मुकदमे वापस नहीं होंगे हम यहां से नहीं जाएंगे।किसानों की मृत्यु के आंकड़े न होने वाले कृषि मंत्री ने बयान की शिवकुमार कक्का ने निंदा की।
                  इससे पहले हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने आंदोलनरत किसानों को सलाह दी थी कि वह आंदोलन खत्म करें। इसके बाद सरकार किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर विचार कर सकती है। जहां तक किसानों के जब्त वाहनों का मामला है, तो इस मुद्दे पर दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे।  
                  संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं मगर सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य किया जा रहा है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox