नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। इस बैन के हटने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दावा किया है कि 58 साल पहले केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी थी। पवन खेड़ा का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उस आदेश को वापस ले लिया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि 58 साल पहले क्या हुआ था और क्यों सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। आइए आपको सब कुछ विस्तार से बताते हैं…
क्या है 58 साल पुराना आदेश, सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध?
दरअसल, साल 1965 में देश में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और गोरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाने की मांग उठी थी। इसे लेकर देशभर में एक बड़ा आंदोलन शुरू हुआ और लंबे समय तक चलता रहा। वर्ष 1966 में, संत ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और गोरक्षा के संबंध में सख्त कानून की मांग करते हुए दिल्ली तक मार्च किया। 7 नवंबर 1966 को साधु-संत इस मांग को लेकर संसद के बाहर पहुंचे और आमरण अनशन की घोषणा कर दी।
दावा है कि इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की और साधु-संतों और गौरक्षकों के अलावा कई कार्यकर्ता भी मारे गए। हालांकि, मारे गए लोगों की संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और कई जगहों पर संख्या अलग-अलग बताई गई है। इस दौरान दिल्ली में कर्फ्यू लगा दिया गया और कई संतों को जेल में डाल दिया गया। इस प्रदर्शन के बाद 30 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 30 नवंबर, 1966 के मूल आदेश का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को RSS और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
RSS पर तीन बार लग चुका है प्रतिबंध
जयराम रमेश ने RSS के खिलाफ पिछली सरकारों की कार्रवाई का भी जिक्र किया है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन हुई थी और अपने 99 साल के सफर में RSS ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन, इस दौरान RSS पर तीन प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरकार ने पहली बार RSS पर प्रतिबंध लगाया। हालांकि, 11 जुलाई, 1949 को इस शर्त के साथ प्रतिबंध हटा दिया गया कि RSS अपना संविधान तैयार करेगा और प्रकाशित करेगा।
दूसरी बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को 1975 में आपातकाल के दौरान प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। इस दौरान बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों को जेल भेजा गया और 2 साल तक प्रतिबंध लगा रहा। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई तो आपातकाल हटा लिया गया। इसके बाद तीसरी बार साल 1992 में संघ को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद RSS पर 6 महीने तक प्रतिबंध लगा रहा।
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