कार्य संबंधी तनाव शरीर पर डालता है नकारात्मक प्रभाव- डॉ. मनोज कुमार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 23, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

कार्य संबंधी तनाव शरीर पर डालता है नकारात्मक प्रभाव- डॉ. मनोज कुमार

-वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. तिवारी ने बताई इसके कारण, निवारण व उपचार के तरीके

सेहत/शिव कुमार यादव/- जब काम का दबाव ब्यक्ति के क्षमता से अधिक हो जाता है तो वह शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार महसूस करता है। काम से संबंधी तनाव के संकेतों को पहचानने व इससे जल्दी निपटने से इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। कार्यस्थल पर हल्का तनाव व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है परंतु दबाव व मांग बहुत अधिक हो जाए व लंबे समय तक जारी रहे तो इससे कार्य संबंधी तनाव होता है। कार्य संबंधी तनाव शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर न केवल नकारात्मक प्रभाव डालता है बल्कि काम को प्रभावी ढंग से करना कठिन बना देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में लगभग हर 40 श्रमिकों में से एक श्रमिक को कार्य संबंधी तनाव से प्रभावित पाया गया था।

कार्य संबंधी तनाव के कारणः-
– कार्य का अत्यधिक बोझ
– अवास्तविक लक्ष्य
– कार्य का अतार्किक समय सीमा
– काम करने के तरीके पर नियंत्रण की कमी
– अधिकारियों एवं सहकर्मियों से समुचित समर्थन व जानकारी न मिलना
– सहकर्मियों के साथ खराब संबंध
– कार्यस्थल पर तनावपूर्ण वातावरण
– काम के उत्तरदायित्व का अस्पष्ट होना
– तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने की क्षमता की कमी
– कार्य संपादन हेतु आवश्यक संसाधनों की कमी

कार्य संबंधी तनाव के लक्षणः-
काम से संबंधी तनाव शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। काम से संबंधित तनाव के लक्षण व्यक्ति के समायोजन क्षमता और दबाव के प्रति उसकी प्रतिक्रिया के आधार पर भिन्न-2 हो सकता है।

भावनात्मक लक्षणः-
– ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
– आत्मविश्वास में कमी
– नौकरी के प्रति अभिप्रेरणा में कमी
– निर्णय लेने में कठिनाई
– उदास महसूस करना
– बेचैनी
– छोटी-छोटी बातों पर भावुक हो जाना
– चिड़चिड़ापन
– मूड स्विंग होना

शारीरिक लक्षणः-
– जल्दी थकान महसूस करना
– ऊर्जा की कमी महसूस करना
– बार-बार दस्त कि शिकायत रहना
– खट्टी डकार
– मांसपेशियों में दर्द
– बीमार महसूस करना
– सिर दर्द
– वजन बढ़ना / कम होना
– सीने में दर्द
– यौन समस्याएं होना

’व्यवहारिक लक्षणः-’
– सामान्य से अधिक या कम खाना
– नींद की समस्या
– खुद को दूसरों से अलग कर लेना
– नशे का सेवन (शराब पीना, धूम्रपान, ड्रग्स लेना)
– अधिक गलतियाँ करना

’कार्य संबंधी तनाव का प्रबंधनः-’
– उचित व कर सकने योग्य कार्यभार ही ग्रहण करें।
– सुनिश्चित करें कि  कार्य करने की समय सीमा और लक्ष्य यथार्थवादी हो।
– अपनी योग्यता एवं कौशल बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण लेते रहें ।
– सहकर्मियों से कार्य में उचित सहयोग एवं समर्थन लें ।
– अपने काम को बेहतर ढंग से करने के लिए अनुभवी लोगों से सलाह लें।
– अपना समय बेहतर ढंग से व्यवस्थित करें।
– कार्यस्थल पर अपने कार्यों को प्राथमिकता दें।
– यदि कुछ काम दूसरों को सौंप सकते हैं, तो ऐसा करें।
– अतिरिक्त काम या जिम्मेदारी नहीं ले सकते हैं तो ना कहना सीखें।
– कार्य के दौरान आवश्यकतानुसार बीच बीच में नियमित ब्रेक ले।
– कुछ समय बाहर निकलने और टहलें।
– नियमित समय सीमा तक ही काम  करें
– छुट्टी लें, अवकाश व्यक्ति को तरोताजा करता है।
– सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध बनाए ।
– काम व परिवार या रिश्तों के बीच संतुलन रखें
– शराब व अन्य नशे का सेवन न करें, इससे तनाव बढ़ता है।
– संतुलित आहार लें, इससे कार्य करने के लिए शरीर एवं मस्तिष्क को समुचित ऊर्जा मिलती है।
– पर्याप्त नींद लें, अच्छी नींद तनावपूर्ण परिस्थितियों से निपटने में सहायक होता है।
– व्यायाम करें। व्यायाम तनाव को दूर करने और मनोदशा को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
– साँस लेने के व्यायाम, योग, ध्यान व सचेतनता का अभ्यास तनावमुक्त करने और तनावपूर्ण स्थितियों को प्रबंधित करने में मदद करती हैं।

’कार्य संबंधी तनाव का उपचारः-’
कार्यस्थल पर काम करने के ढंग एवं वातावरण में परिवर्तन करने से कार्य संबंधी तनाव को प्रबंधित करने में मदद मिलती है, किंतु उसके बाद भी यदि लगातार तनाव महसूस हो रहा है तो यह मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए प्रशिक्षित एवं अनुभवी मनोवैज्ञानिक से मदद लेने की आवश्यकता होती है। तनाव के लिए कोई दवा नहीं है, मनोवैज्ञानिक अनेक विधियों द्वारा कार्य संबंधी तनाव को कम करने में सहयोग प्रदान करते हैं। मनोवैज्ञानिक कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से चिंता व तनाव को कम करने में मदद करते हैं। पूरक उपचार के रूप में एक्यूपंक्चर और योग कार्य संबंधी तनाव को कम करने में कारगर साबित होता है।
         कार्य का चुनाव व्यक्ति को अपने क्षमता एवं रूचि के अनुसार करना चाहिए यदि कार्य व्यक्ति के क्षमता एवं रूचि के अनुरूप नहीं है तो यह व्यक्ति में कार्य संबंधी तनाव उत्पन्न करता है। कार्य संबंधी तनाव होने पर व्यक्ति को ऊपर वर्णित उपायों को अपनाकर अपने कार्य संबंधित तनाव को व्यवस्थित व नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए यदि फिर भी कार्य संबंधी तनाव नियंत्रित नहीं होता है तो व्यक्ति को प्रशिक्षित व अनुभवी मनोवैज्ञानिकों से संपर्क करके मनोवैज्ञानिक परामर्श व मनोचिकित्सा के माध्यम से कार्य संबंधी तनाव से बचा जा सकता है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox