मानसी शर्मा /- आंध्र प्रदेश के तिरुपति में सामने आए लड्डू विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें। जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच के समक्ष सुब्रमण्यन स्वामी के वकील ने कहा कि निर्माण सामग्री बिना जांच के रसोई घर में जा रही थी। जांच से इसका खुलासा हुआ है। इसके सुपरविजन के लिए सिस्टम को जिम्मेदार होना चाहिए। देवता का प्रसाद जनता और श्रद्धालुओं के लिए परम पवित्र है। दोनों तरफ से दी गईं दलीलें कोर्ट में दायर याचिका में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की गई है। सीएम चंद्रबाबू नायडू के द्वारा लगाए गए आरोप की जांच की मांग की जा रही है। सीएम नायडू का दावा है कि तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया। इस बीच, राज्य सरकार की एक सोसायटी प्रसादम की गुणवत्ता और लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी की जांच करने के लिए तिरुपति मंदिर भेजा गया है।
बता दें कि तिरुपति मंदिर बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ और आंध्र प्रदेश राज्य की तरफ से सीनियर एडवोकेट अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। मुकुल रोहतगी ने रखा सरकार का पक्ष आंध्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी के सवाल पर जस्टिस बीआर गवई ने उत्तर दिया। उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं। तो आपसे यह उम्मीद की जाती है कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाएगा। कोर्ट ने रोहतगी से यह भी पूछा कि आपने एसआईटी के लिए आदेश दिया। नतीजा आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत है ? आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में कोर्ट आते हैं। जिसके बाद चंद्रबाबू नायडू सरकार की तरफ से रोहतगी ने तर्क दिया कि ये ‘वास्तविक याचिकाएं नहीं हैं। पिछली सरकार द्वारा मौजूदा सरकार पर हमला करने की कोशिश की गई है।
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