नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/ब्रिस्बेन/शिव कुमार यादव/- ऑस्ट्रेलिया में एकबार फिर खालिस्तानियों ने भारत विरोधी प्रदर्शनों को अंजाम दिया है। ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में बुधवार को खालिस्तान समर्थकों ने इंडियन कॉन्स्युलेट के मेन गेट को जबरदस्ती ब्लॉक कर दिया। यह कॉन्स्युलेट ब्रिस्बेन के सबअर्बन एरिया तारिंगा में है। बता दें कि एक सप्ताह पहले ही भारत में ऑस्ट्रेलिया के पीएम एल्बनीज ने ऑस्ट्रेलिया में भारत के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक लगाने का आश्वासन दिया था।
‘द ऑस्ट्रेलिया टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान समर्थक झंडे, पोस्टर और बैनर लेकर यहां पहुंचे। उन्होंने कॉन्स्युलेट में प्रवेश कर रहे लोगों को अंदर नहीं आने दिया। इसकी वजह से कॉन्स्युलेट में काम नहीं हो पाया। पिछले ही हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज भारत दौरे पर आए थे। मीडिया बीफ्रिंग के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भरोसा दिलाया था कि मंदिरों और भारतीयों पर हमलों के मामलों में खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी एल्बनीज ने 10 फरवरी को सोशल मीडिया पर एक सेल्फी शेयर की थी। एल्बनीज ने लिखा था- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्रिकेट के माध्यम से दोस्ती के 75 साल पूरे होने का जश्न।
अंदर नहीं जा पाए जरूरतमंद लोग
ऑस्ट्रेलियाई अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान समर्थकों ने कॉन्स्युलेट के एंट्री गेट को ब्लॉक कर दिया। इसकी वजह से वो लोग भी कॉन्स्युलेट के अंदर नहीं जा पाए, जिन्हें यहां जरूरी काम थे।
परविंदर सिंह क्वींसलैंड के रहने वाले हैं। उन्होंने ऑफिस से छुट्टी ली, क्योंकि उन्हें कॉन्स्युलेट में काम था। उन्हें बेटे का ओवरसीज इंडियन कार्ड लेना था, लेकिन वो कॉन्स्युलेट में जा ही नहीं सके। सिंह ने कहा- क्या अब ये खालिस्तानी हमें बताएंगे कि ऑस्ट्रेलिया में हमें कैसे रहना है? क्वींसलैंड पुलिस और सरकार को इन लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले ही तो हमें यह भरोसा दिलाया था।
ब्रिस्बेन में सराह गेट्स हिंदू ह्यूमन राइट्स की डायरेक्टर हैं। उन्होंने कहा- इंडियन कॉन्स्युलेट को जबरदस्ती बंद कराया गया। यहां सिख फॉर जस्टिस के खालिस्तान समर्थक प्रोपेगैंडा चला रहे हैं।
कौन समर्थन दे रहा है
सराह ने कहा- ब्रिस्बेन के सिख टेम्पल की बस में प्रोटेस्टर्स को यहां लाया गया। ये बहुत फिक्र की बात है। इस इलाके में रहने वाले लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता है। गेट्स के मुताबिक, जब खालिस्तानी समर्थक हंगामा कर रहे थे, तब वो खुद घटनास्थल पर मौजूद थीं।
उन्होंने कहा- मंगलवार रात ही पुलिस और स्थानीय नेताओं ने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की थी। उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि लॉ एंड ऑर्डर की दिक्कत बिल्कुल नहीं होने दी जाएगी। हर नागरिक की हिफाजत सबसे अहम जरूरत है। डेमोक्रेटिक प्रोटेस्ट अपनी जगह ठीक है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
22 फरवरी को कॉन्स्युलेट की हेड अर्चना सिंह जब ऑफिस पहुंची थीं, तब उन्हें कैंम्पस में खालिस्तान के कुछ फ्लैग मिले थे। उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने क्या कहा था
11 फरवरी को नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने कहा था- हमारा देश एक मल्टी कल्चर नेशन है। हम सबकी आस्था का सम्मान करते हैं। यहां धार्मिक स्थलों की इमारतों पर हमला करने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। 10 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एल्बनीज से चर्चा के दौरान ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों पर हो रहे हमलों को अफसोसनाक बताया था।
एल्बनीज ने कहा- ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक इमारतों पर किसी भी तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह हिंदू मंदिर हों, मस्जिद हों या चर्च हों। ऐसी गतिविधियों की हमारे देश में कोई जगह नहीं है। ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा एजेंसियां यह सुनिश्चित करेंगी कि ऐसी गतिविधियां न हों।
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में मंदिरों पर हमले हुए
मेलबर्न के उपनगरीय इलाके में थाई पोंगल त्योहार पर मुरुगन मंदिर पर हमला हुआ था। इसके बाद महाशिवरात्रि पर दो हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया। 18 फरवरी को खालिस्तानियों ने यहां रहने वाले हिंदुओं को धमकाया था। तब एक भारतीय सुधाकरन प्रकाश ने कहा था- हमारे विष्णु मंदिर पर हमला हुआ। अब खालिस्तानी हमें धमका रहे हैं। हिंदू तो कभी किसी के मामलों में दखल नहीं देते। एक और भारतीय ने कहा- खालिस्तानी समर्थक जो कर रहे हैं, उससे हम बहुत दुखी हैं। ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारतीय हाईकमीशन ने कहा था- हमने इन मामलों के बारे में ऑस्ट्रेलियाई सरकार से बात की है। जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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