नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से सांसद राहुल गांधी (54 वर्ष) को लोकसभा में नेता विपक्ष नियुक्त किया है। यह घोषणा मंगलवार रात इंडिया ब्लॉक की बैठक में की गई। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी। बुधवार को राहुल ने सदन में अपनी जिम्मेदारी संभाली और स्पीकर ओम बिरला की नियुक्ति के बाद औपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा बने। राहुल गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है, जिससे उनकी प्रोटोकॉल सूची में स्थान बढ़ जाएगा और वे विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के स्वाभाविक दावेदार भी हो सकते हैं। यह पहला संवैधानिक पद है, जो राहुल गांधी ने अपने ढाई दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में संभाला है। राहुल पांचवीं बार के सांसद हैं। मंगलवार को उन्होंने संविधान की प्रति हाथ में लेकर सांसद पद की शपथ ली।
संवैधानिक नियुक्तियों में अहम भूमिका
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को 1977 में संवैधानिक मान्यता दी गई थी। विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख संविधान में नहीं, बल्कि संसदीय संविधि में है। राहुल गांधी अब लोकपाल, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयुक्त, एनएचआरसी प्रमुख जैसी संवैधानिक नियुक्तियों से संबंधित कमेटियों के सदस्य होंगे। इन नियुक्तियों में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री के साथ बैठकों में भी शामिल होंगे और उनकी सहमति ली जाएगी।
विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी के कार्य
लोकसभा में विपक्ष के नेता का कार्य सदन के नेता के विपरीत होता है, लेकिन फिर भी यह जिम्मेदारी महत्वपूर्ण मानी जाती है। विपक्ष से प्रभावी आलोचना की अपेक्षा की जाती है। सत्ता पक्ष सरकार चलाता है और विपक्ष आलोचना करता है। विपक्ष का एक महत्वपूर्ण कार्य दोषपूर्ण प्रशासन पर सवाल करना और डटकर विरोध करना होता है। सरकार द्वारा लिए गए आर्थिक फैसलों में राहुल लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। इसके अलावा वे ‘लोक लेखा’ कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है। राहुल गांधी संसद की मुख्य कमेटियों में भी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल हो सकेंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।
राहुल गांधी के पास होंगी ये शक्तियां और अधिकार…
– कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक
– सरकारी सुसज्जित बंगला
– सचिवालय में दफ्तर
– उच्च स्तरीय सुरक्षा
– मुफ्त हवाई यात्रा
– मुफ्त रेल यात्रा
– सरकारी गाड़ी या वाहन भत्ता
– 3.30 लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते
– प्रति माह सत्कार भत्ता
– देश के भीतर प्रत्येक वर्ष के दौरान 48 से ज्यादा यात्रा का भत्ता
– टेलीफोन, सचिवीय सहायता और चिकित्सा सुविधाएं
गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी
यह तीसरा मौका है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभाएगा। इससे पहले सोनिया गांधी और राजीव गांधी भी इस जिम्मेदारी को संभाल चुके हैं।
कांग्रेस के पास 99 सांसद
कांग्रेस ने इस बार 99 सीटों पर जीत दर्ज की है, जिससे 10 साल बाद विपक्षी नेता का पद मिला है। 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास इतने सांसद नहीं थे कि वे नेता विपक्ष के लिए दावा कर सकें। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी संख्या लगभग दोगुनी कर ली है। 2019 में 52 सीटें और इस बार 99 सीटों पर जीत हासिल की है। 2014 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटें जीतने में सफल रही थी। 2014 और 2019 में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की मान्यता हासिल नहीं कर सकी थी। दरअसल, नियम है कि जिस पार्टी के पास 10 प्रतिशत से कम सीटें हैं, वो निचले सदन में विपक्ष के नेता के पद का दावा नहीं कर सकती।
राहुल की नियुक्ति पर कांग्रेस के विचार…
इससे पहले मंगलवार रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया ब्लॉक के फ्लोर नेताओं की बैठक हुई और इस बैठक में विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति पर निर्णय की घोषणा की गई। AICC के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि CPP चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी के फैसले के बारे में प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 18वीं लोकसभा में जनता का सदन सही मायनों में अंतिम व्यक्ति की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा और राहुल गांधी उनकी आवाज बनेंगे। राहुल ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक और मणिपुर से महाराष्ट्र तक पूरे देश का दौरा किया है। वे लोगों की आवाज उठाएंगे।
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