नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के 279वां कार्यक्रम में रविवार 10 नवंबर 2024 को वक्ताओं ने करुणा और दया को आत्म-परिवर्तन का प्रकाश और मानवीयता का चरमोत्कर्ष बताया। आरजेएस पीबीएच के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन व संचालन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। हिमाचल प्रदेश की संगीत शिक्षिका रितु कपिल टेकरा के सुमधुर गाए वंदना गीत से हुई।
कर्नाटक के दार्शनिक श्री ए. नागराज जी के “मध्यस्थ दर्शन” और “जीवन विद्या” की शिक्षाएँ को कार्यक्रम के सह-आयोजक और मुख्य वक्ता विश्व भारती योग संस्थान के संस्थापक व निदेशक आचार्य योगी कवि प्रेम भाटिया ने दयालुता और करूणा के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डाला, करुणा को केवल भावुकता के रूप में नहीं, बल्कि मानव स्वभाव के सार के रूप में महत्व दिया। उन्होंने मानव धर्म की जटिलताओं का पता लगाया और सार्वभौमिक मानवीय सुख की खोज पर प्रकाश डाला।उन्होंने “धीरता” (धार्मिक जीवन), “वीरता” (दूसरों को सशक्त बनाना), और “उदारता” (तन, मन और संसाधनों की उदारता) के महत्वपूर्ण गुणों का परिचय दिया, जो सच्ची मानवता की ओर मार्ग की रूपरेखा तैयार करते हैं।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, बीके अनुसूया दीदी ने ब्रह्मा कुमारियों के करुणा के दृष्टिकोण के साथ चर्चा को समृद्ध किया। उन्होंने आधुनिक समाज में सहानुभूति की व्यापक कमी पर शोक व्यक्त किया, बदला लेने की प्रवृत्ति और पारिवारिक और सामाजिक बंधनों के टूटने पर प्रकाश डाला। उन्होंने दूसरों के प्रति दयालुता बढ़ाने की नींव के रूप में आत्म-करुणा के महत्व पर जोर दिया। दीदी ने बताया कि सच्ची करुणा भौतिक दान से आगे बढ़कर, तनाव और असंतोष से जूझ रहे लोगों के लिए भावनात्मक और मानसिक समर्थन को शामिल करती है। उन्होंने “दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान” के सिद्धांत पर जोर दिया, प्रतिभागियों से सभी के लिए सकारात्मक विचारों और शुभकामनाओं को विकसित करने का आग्रह किया।
अनुसूइया दीदी ने पारस्परिकता के सिद्धांत पर विस्तार से बताया, यह समझाते हुए कि हमारे कार्य, शब्द और यहां तक कि विचार भी एक लहर प्रभाव पैदा करते हैं, अंततः हमारे पास लौट आते हैं। उन्होंने श्रोताओं को दयालुता के कार्यों को दान के रूप में नहीं, बल्कि अपनी भलाई में निवेश के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सर्वोच्च आत्मा की संतान के रूप में सभी आत्माओं से जुड़ी आत्मा के रूप में स्वयं की ब्रह्मा कुमारियों की समझ पर प्रकाश डाला, सार्वभौमिक भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया।राष्ट्रीय प्रेस दिवस को स्वीकार किया गया।
जीवन की जटिलताओं और राजनीति की भूमिका को संबोधित करना:
कार्यक्रम में प्रतिभागियों के चुनौतीपूर्ण प्रश्नों का समाधान किया गया, जिसमें ऐसी दुनिया में करुणा का विरोधाभास भी शामिल है जहाँ जीवित रहने के लिए उपभोग आवश्यक है। आचार्य जी ने मानव निर्मित कानूनों और अस्तित्व के अंतर्निहित कानूनों के बीच अंतर को स्पष्ट किया, एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में “समझ” के महत्व पर जोर दिया। दीदी ने जीवन और मृत्यु के प्रश्न को संबोधित किया, आत्मा की शाश्वत प्रकृति और हमारी आध्यात्मिक पहचान को पहचानने की परिवर्तनकारी शक्ति पर प्रकाश डाला।
एक प्रतिभागी ने जीवन में राजनीतिक जुड़ाव का प्रश्न उठाया। वक्ताओं ने ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी और आत्म-सुधार पर सर्वोपरि जोर दिया, यह सुझाव देते हुए कि सकारात्मक परिवर्तन व्यक्ति के भीतर से शुरू होता है। आचार्य प्रेम भाटिया ने इस भावना को प्रतिध्वनित किया, एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपने भीतर संतुष्ट व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया, जिसके विचार, समझ और कार्य संरेखित हैं.
सामुदायिक जुड़ाव और भविष्य की पहल:
प्रसारण में सामुदायिक जुड़ाव के लिए आरजेएस पीबीएच की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया, जिसमें राजेंद्र सिंह कुशवाहा जी की उनके गाँव की यात्रा की घोषणा की गई। अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस और राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर 16 नवंबर को माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवं कृषक पर्यटन स्थल के सहयोग से आयोजित वेबिनार में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के बीके सुशांत भाई आस्ट्रेलिया की डॉ. श्वेता गोयल का स्वागत सह-आयोजक राजेन्द्र सिंह कुशवाहा करेंगे। श्री मन्ना ने बताया कि 15 व 19 जनवरी 2025 को दिल्ली में क्रमशः प्रवासी दिवस मीडिया कांफ्रेंस व अंतर्राज्यीय प्रवासी भारतीय दिवस समारोह आयोजित किया जाएगा। और सुरजीत सिंह दीदेवार ने प्रतिभागियों को “दर्शन” पर एक वेबिनार में रविवार 17 नवंबर को आमंत्रित किया । सोमवार 18 नवंबर को आरजेएस युवा टोली,पटना के सदस्यों को सम्मानित करने के लिए 10 नवंबर 2024 को उदय-बिन्दा मन्ना की दिल्ली से पटना की आशीर्वाद यात्रा की घोषणा की गई। आरजेएस पीबीएच के प्रेरणास्रोत श्री राम जग सिंह और श्रीमती कार्यक्रम के अंत में बीके अनुसूया दीदी के नेतृत्व में एक निर्देशित(राजयोग ध्यान ने चर्चा किए गए सिद्धांतों का व्यावहारिक अनुप्रयोग प्रदान किया, प्रतिभागियों को अपने आंतरिक स्व और परमात्मा से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
दार्शनिक प्रवचन और व्यावहारिक सलाह से भरपूर, यह प्रसारण करुणा, समझ और व्यक्तिगत जिम्मेदारी की परिवर्तनकारी शक्ति का एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। आरजेएस पीबीएच एक अधिक दयालु और परस्पर जुड़ी दुनिया की ओर मार्ग को रोशन करते हुए सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में चमकता रहता है। रितु कपिल टेकरा के भक्ति गीत ने शांति और आध्यात्मिक सद्भाव के समग्र संदेश के साथ प्रतिध्वनित किया.
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