अब 7 राज्यों में बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी

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अब 7 राज्यों में बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी

- जानिए ये कितनी सेफ? बच्चों को वैक्सीन की जरूरत है भी या नहीं?

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केंद्र सरकार जल्द ही 7 राज्यों में 12-17 साल के बच्चों को वैक्सीनेशन की शुरुआत करेगी। केंद्र ने इन राज्य सरकारों से कहा है कि वो ऐसे जिलों को आइडेंटिफाई करें जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन पर गाइडलाइन भी जारी कर सकती है। इसके साथ ही भारत दुनियाभर के उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जहां बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन दी जा रही है।

आइए जानते हैं, बच्चों के वैक्सीनेशन पर सरकार का क्या प्लान है? बच्चों को कौन-सी वैक्सीन दी जाएगी और ट्रायल में वो कितनी सेफ रही है? दुनिया के किन देशों में बच्चों को किन शर्तों के साथ वैक्सीन लगाई जा रही है? क्या कहीं वैक्सीनेशन के बाद बच्चों में साइड इफेक्ट भी देखने को मिला है? और बच्चों के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?…

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि जायकोव-डी को पहले महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में लगाया जाएगा। सरकार ने जायकोव-डी के एक करोड़ डोज का ऑर्डर नवंबर में ही दे दिया है। सरकार ने इन राज्यों से कहा है कि वो ऐसे जिलों को आइडेटिंफाई करें जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है। उसके बाद ऐसे जिलों में 12-17 साल के लोगों को वैक्सीनेशन की शुरुआत होगी।

सरकार ने जायकोव-डी को बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए अप्रूव किया है। जायकोव डी को जायडस कैडिला ने बनाया है। क्ब्ळप् ने अगस्त में कैडिला को अप्रूवल दिया था। वैक्सीन को 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन की मंजूरी मिली है।अक्टूबर में नेशनल ड्रग्स रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोवैक्सिन को भी बच्चों के लिए इमरजेंसी यूज की सिफारिश की थी। वैक्सीन को अब तक क्ब्ळप् से अप्रूवल मिलना बाकी है। इसे 2-18 साल के बच्चों को लगाया जा सकेगा।

2-18 साल के 920 कैंडिडेट पर कोवैक्सिन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। कोवैक्सिन के 2-6, 6-12 और 12-18 साल तक के बच्चों पर अलग-अलग ट्रायल चल रहे हैं। बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन कोर्बेवैक्स के भी दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। कंपनी 5-18 साल उम्र के 920 कैंडिडेट पर ट्रायल कर रही है। अमेरिकी वैक्सीन कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भी दुनियाभर में बच्चों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है। भारत में भी 12-17 साल के लोगों पर ये ट्रायल चल रहा है।

जायडस कैडिला ने कहा है कि उसने 50 सेंटर पर 28 हजार से भी ज्यादा कैंडिडेट पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। कंपनी का दावा है कि ये सबसे बड़ा वैक्सीन ट्रायल है। जिन 28 हजार कैंडिडेट को ट्रायल में शामिल किया गया था, उनमें से 1 हजार की उम्र 12 से 18 साल के बीच की थी। कंपनी ने कहा है कि ये ट्रायल इस एज ग्रुप में भी पूरी तरह सफल रहे हैं।

ये अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि कोमोरबिडिटी वाले बच्चों को पहले वैक्सीनेट किया जा सकता है। साथ ही सरकार कोमोरबिडिटी में किन बीमारियों को जोड़ा जाए और इसके लिए किन डॉक्युमेंट्स की जरूरत होगी, इस पर अभी विचार कर रही है। गाइडलाइन जारी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

भारत में जब वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी, तब अलग-अलग प्रायोरिटी ग्रुप के आधार पर लोगों को वैक्सीनेट किया गया था। माना जा रहा है कि बच्चों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

वैक्सीन का प्राइमरी काम संक्रमण से रोकना नहीं बल्कि हॉस्पिटलाइजेशन और गंभीर लक्षणों को रोकना है। चूंकि बच्चों में ओमिक्रॉन या कोरोना की किसी भी वैरिएंट की वजह से गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं, इस लिहाज से बच्चों को वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है।साथ ही ओमिक्रॉन के आने की वजह से कोई बदलाव नहीं हुआ है। हमने देखा है कि कोरोना के ओरिजिनल स्ट्रेन के बाद कई सारे वैरिएंट आए, लेकिन सारे वैरिएंट का बच्चों पर कोई अतिरिक्त असर नहीं पड़ा।

फिलहाल हाई-रिस्क कैटेगरी के बच्चों के अलावा किसी को भी वैक्सीन की जरूरत नहीं है। हालांकि एक बार देश में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन होने के बाद बच्चों के वैक्सीनेशन पर विचार किया जा सकता है। वैक्सीन कहीं न कहीं बच्चों को प्रोटेक्ट करेगी ही।किन देशों में बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है?

दुनियाभर के 40 से भी ज्यादा देश अलग-अलग शर्तों के साथ बच्चों को कोरोना वैक्सीन दे रहे हैं। क्यूबा में 2 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है तो वहीं, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन हो रहा है। अलग-अलग देशों में वैक्सीनेशन अलग-अलग शर्तों के साथ भी हो रहा है। कहीं केवल कोमोरबिडिटी वाले बच्चों को वैक्सीनेट किया जा रहा है, तो कहीं सभी को वैक्सीन लगाई जा रही है।

इजराइल में फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद कई बच्चों के दिल की मांसपेशियों में सूजन की शिकायतें आई थीं। हालांकि इन सभी में कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। साथ ही वैक्सीन की वजह से ही सूजन आई, ये भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।इजराइल में मांसपेशियों में सूजन के केसेज को डिटेल में समझने के लिए न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने एक स्टडी की थी। स्टडी में सामने आया था कि 16-19 साल के 6,637 लोगों में से केवल 1 में ही इस तरह की शिकायत सामने आई थीं।

इसी तरह अमेरिका में दिसंबर 2020 से लेकर जून 2021 तक 687 लोगों में फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन लेने के बाद दिल की मांसपेशियों में सूजन आ गई थी। इन सभी लोगों की उम्र 30 साल से कम थी। वैक्सीन लगवाने के दो हफ्ते बाद ही ज्यादातर युवाओं में इस तरह की शिकायतें आने लगी थीं। इजराइल और अमेरिका में बच्चों को एमआरएनए वैक्सीन दी जा रही है। भारत में फिलहाल जायकोव-डी को अप्रूवल मिला है, जो डीएनए वैक्सीन है।

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