वाशिंगटन/देश-विदेश/शिव कुमार यादव/ – चीन द्वारा अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता देने और काबुल में अपना राजनयिक कार्यालय खोलने के बाद अब अमेरिकी विशेष दूत थॉमस वेस्ट ने तालिबान शासन को लेकर एक विशेष रिपोर्ट पेश की है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयासों में बाधा डालने वाली गंभीर चुनौतियों का जिक्र था। विशेष दूत की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश बाधाएं तालिबानी नीतियों का ही परिणाम है।
विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के वाशिंगटन स्थित स्टिमसन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम को वेस्ट ने मंगलवार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अतंरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सामान्यीकरण तब तक मुश्किल है, जब तक आबादी के प्रति उनके व्यवहार में कोई बदलाव ने आए। तालिबान को सुरक्षा कर्तव्यों को पूरा करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अमेरिका का जोर है कि तालिबानी सरकार समावेशी राजनीतिक संरचना स्थापित करे, जिससे महिलाओं की शिक्षा और काम के अधिकारों की रक्षा हो सके। अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा करते ही कठोर नियम लागू कर दिए गए, जिससे महिलाओं को शिक्षा और भविष्य संवारने जैसे सुविधाओं से वंचित किया गया। दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। युवतियां शिक्षा से वंचित हो गईं। विश्वविद्यालयों की जगह मदरसों और धार्मिक स्कूलों ने ले लिया।
बाइडन प्रशासन ने अफगानिस्तान में बड़ी गलती कीः पूर्व सैन्य कमांडर
अफगानिस्तान के एक पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हैबतुल्ला अलीजई का कहना है कि मुझे लगता है कि बाइडन प्रशासन ने उस समय या खासकर खुद बाइडन ने बड़ी गलती की है। उनके पास अफगानिस्तान के बारे में अधिक जानकारी एकत्र करने और अफगानिस्तान की स्थिति में थोड़ा और गहराई से गोता लगाने का अवसर था।
लेकिन यह फैसला इतनी जल्दी, इतनी जल्दी और यहां तक कि अफगानिस्तान में चल रही मौजूदा स्थिति के बारे में गहराई से सोचे बिना लिया गया।
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