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  • पीएम मोदी ने कहा, देश में आंदोलनजीवी जमात का हुआ उदय, किसानों से इन परजीवी लोगों से बचने की अपील की

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    पीएम मोदी ने कहा, देश में आंदोलनजीवी जमात का हुआ उदय, किसानों से इन परजीवी लोगों से बचने की अपील की

    पीएम मोदी ने कहा, देश में आंदोलनजीवी जमात का हुआ उदय, किसानों से इन परजीवी लोगों से बचने की अपील की-किसी भी तरह के प्रदर्शनों में दिखाई देती है यह जमात, देश के लिए आंदोलनजीवी हानिकारक
    NMnews Modiji on Farmer's Movement

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    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/राज्यसभा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आज राज्यसभा में पीएम का अलग अंदाज दिखा। मोदी ने विपक्ष की तुलना शादी में नाराज होने वाली फूफी से की, और कहा कि देश में आंदोलनजीवियों की नई जमात का उदय हुआ है। जो पूरे देश में होने वाले किसी भी तरह के प्रदर्शनों में दिखाई देती है। उन्होने किसानों से इस जमात से बचने की अपील भी की।                       

    प्रधानमंत्री मोदी आज जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तब उनका अंदाज अलग था। उन्होंने कुछ नए शब्दों का जिक्र किया। जैसे- आंदोलनजीवी, फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी और जी-23। यह भी बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आज होते तो कविता किस तरह लिखते। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने 4 पूर्व प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने अपनी आलोचना पर भी विपक्ष की चुटकी ली। बोले- मुझे आनंद हुआ कि मैं कम से कम 

    1. देश में नई बिरादरी सामने आई- आंदोलनजीवीप्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम लोग कुछ शब्दों से परिचित हैं- श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में नई जमात पैदा हुई है। एक नई बिरादरी सामने आई है- आंदोलनजीवी। आप देखेंगे कि आंदोलन चाहे वकीलों का हो, स्टूडेंट्स का हो, मजदूरों का हो, हर आंदोलन में ये जमात नजर आएगी। ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। हमें इन्हें पहचानना होगा।’ मोदी ने कहा, ‘ऐसे आंदोलनजीवी सब जगह पहुंचकर आइडियोलॉजिकल स्टैंड ले लेते हैं। नए-नए तरीके बताते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर पाते। किसी का आंदोलन चल रहा तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। ये सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।’
    2. देश में नया थ्क्प्- फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजीमोदी ने कहा, ‘देश प्रगति कर रहा है और हम फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात कर रहे हैं, लेकिन बाहर से एक नया थ्क्प् नजर आ रहा है। ये नया थ्क्प् है- फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी। इस थ्क्प् से देश को बचाने के लिए हमें और जागरूक रहने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री का इशारा क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से लेकर पॉप सिंगर रिहाना तक ऐसी विदेशी हस्तियों पर था, जिन्होंने हाल ही में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए किसान आंदोलन का समर्थन किया है।


    3. परिवार में शादी हो तो फूफी भी नाराज होती हैप्रधानमंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथ लिया। कहा- मजा ये है कि जो लोग उछल-उछलकर सियासी बयानबाजी करते हैं, जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने भी आधा-अधूरा किसानों के लिए कुछ न कुछ किया ही है। इस चर्चा में कानून की स्पिरिट पर तो किसी ने बात ही नहीं की। यही शिकायत की कि तरीका ठीक नहीं था, आपने जल्दी कर दी, इसको नहीं पूछा…। ये तो होता रहता है। परिवार में शादी होती है तो भी फूफी नाराज होती है कि हमें कहां बुलाया था। इतना बड़ा अपना परिवार है तो ऐसा होता ही रहता है।


    4. देश हर सिख पर गर्व करता हैप्रधानमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग हमारे पंजाब के सिख भाइयों के दिमाग में कुछ गलत चीजें भरने में लगे हैं। ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया इन्होंने। गुरुओं की महान परंपरा रही है। कुछ लोग सिखों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। इससे देश का भला नहीं होगा।’
    5. कांग्रेस गुलाम नबी की बात को जी-23 की राय न मान लेप्रधानमंत्री ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ की। कहा- वे मृदुता, सौम्यता से बोलते हैं। कभी भी कटु शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों की तारीफ की। इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। लेकिन मुझे डर भी लगता है। मुझे भरोसा है कि आपकी पार्टी वाले इसे उचित स्पिरिट में लेंगे। गलती से जी-23 की राय मानकर उल्टा न कर दें। यहां जी-23 से मोदी का इशारा कांग्रेस के उन 23 नेताओं की तरफ था, जिन्होंने अगस्त 2020 में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि पार्टी को फुलटाइम लीडरशिप की जरूरत है। बाद में इन नेताओं की बात को पार्टी लाइन के खिलाफ मानकर उन्हें किनारा करने की कोशिशें हुई थीं।
    6. मैथिलीशरण आज होते तो उनकी कविता कुछ ऐसी होती…मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा, ‘जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल। मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़।’
    7. मुझ पर गुस्सा निकाल लिया तो आपका मन हल्का हो गया होगाअपना भाषण खत्म करते हुए प्रधानमंत्री बोले, ‘सदन में चर्चा का स्तर अच्छा था। मुझ पर भी कितना हमला हुआ। जो भी कहा जा सकता है, कहा गया। मुझे आनंद हुआ कि मैं कम से कम आपके काम तो आया। कोरोना के कारण ज्यादा आना-जाना नहीं होता होगा। कोरोना के कारण फंसे रहते होंगे। घर में भी किच-किच चलती रहती होगी। इतना गुस्सा यहां निकाल दिया तो आपका मन कितना हल्का हो गया होगा। अब घर के अंदर कितने खुशी-चैन से समय बिताते होंगे।’

    मोदी ने शास्त्री से मनमोहन तक 4 पूर्व प्रधानमंत्रियों का नाम लिया, इनमें वाजपेयी शामिल नहीं
    1. देवेगौड़ा ने हमारी कोशिशों की सराहना कीमोदी ने कहा, ‘किसान आंदोलन पर खूब चर्चा हुई। मूल बात पर चर्चा होती, तो अच्छा होता। कृषि मंत्री ने अच्छे ढंग से सवाल पूछे, पर उनके जवाब नहीं मिलेंगे। देवेगौड़ा जी ने सरकार के प्रयासों की सराहना की, क्योंकि वे कृषि से लंबे समय से जुड़े रहे हैं।’
    2. चैधरी चरण सिंह का बयान याद दिलायामोदी बोले, ‘‘आखिर खेती की समस्या क्या है? मैं चैधरी चरण सिंह के हवाले से कहना चाहता हूं। उन्होंने 1971 में कहा था, ‘33ः किसानों का पास 2 बीघा से कम जमीन है। 18ः के पास 2 से 4 बीघा जमीन है। 51ः किसानों का गुजर-बसर जमीन से नहीं हो सकता।’ आज देश में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिनके पास 2 हेक्टेयर के कम जमीन है। ऐसे 12 करोड़ किसान हैं। हमें योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा, तभी चैधरी साहब को श्रद्धांजलि होगी।’’
    3. शास्त्रीजी को भी सोचना पड़ता थामोदी ने कहा, ‘जरा हरित क्रांति की बात सोचिए। सख्त फैसले लेने के लिए लालबहादुर शास्त्री को भी सोचना पड़ता था। तब भी कोई कृषि मंत्री नहीं बनना चाहता था, क्योंकि उन्हें लगता कि कहीं कड़े फैसलों के चलते राजनीति न खत्म हो जाए। आज जो भाषा मेरे लिए बोली जा रही है, तब उनके लिए बोली जाती थी कि अमेरिका के इशारे पर हो रहा है।’
    4. मनमोहन ने जो कहा था, मैं भी वही कर रहा हूंप्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह जी ने किसानों को भारत में एक बाजार देने की बात कही थी। जो आज यू-टर्न ले चुके हैं, वे शायद उनकी बात से सहमत होंगे। मनमोहन सिंह जी ने कहा था, ‘1930 के दशक में मार्केटिंग की जो व्यवस्था बनी, उससे मुश्किलें आईं और उसने किसानों को अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचने से रोका। हमारा इरादा है कि भारत को एक बड़ा कॉमन मार्केट की राह में मौजूद दिक्कतों को खत्म करें।’ आप लोगों को गर्व करना चाहिए कि जो बात सिंह साहब ने कही थी, वही मोदी कर रहा है।’’

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