नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/टिकरी बार्डर/बहादुरगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पिछलें 11 दिनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बार्डरों पर आंदोलनरत किसानों को अब राजनीतिक पार्टियों व नेताओं का खुला समर्थन मिलने लगा है। किसान आंदोलन में बढ़ते राजनीतिक दखल को लेकर किसान भी सतर्क हो गये हैं और 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को लेकर बैठक पर बैठक कर रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ सड़के बंद होने से आम जन भी परेशानी में आ गया है। लोगों माने तो किसान प्रदर्शन करें लेकिन रास्ते ना रोकें।
दिल्ली को घेरकर बॉर्डरों पर हजारों किसान डटे हैं, वहीं देश के तमाम राजनीतिक दल 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद के आह्वान के पक्ष में मैदान में उतर आए हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति के बाद आम आदमी पार्टी ने भी बंद के पूर्ण समर्थन का एलान कर दिया है। उधर, हरियाणा मूल के बॉक्सर विजेंदर कुमार ने भी कृषि कानून वापस नहीं लिए जाने पर अपना खेल रत्न अवॉर्ड वापस करने की चेतावनी दी है। इधर, सिंघु बॉर्डर पर आगे की रणनीति के लिए किसानों की बैठक जारी है।
टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों का प्रदर्शन जारी
दिल्ली हरियाणा को जोड़ने वाले टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसके मद्देनजर भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। मालूम हो कि किसानों और केंद्र सरकार के बीच अगले राउंड की बातचीत 9 दिसंबर को होने वाली है।
ठंड के कहर के बावजूद किसानों आंदोलन जारी
दिल्ली में ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आज का न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस होने की संभावना है। इतनी ठंड के बावजूद भी किसान अपने प्रदर्शन स्थल पर बैठे हुए हैं।
अब भारत बंद में दिखेगी किसानों की ताकत- टिकैत
सरकार के साथ शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता में कोई हल न निकलने पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने देर रात मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार मंडी और कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर बात करना चाहती थी। लेकिन किसान प्रतिनिधिमंडल कृषि कानून वापसी पर अड़ा रहा। टिकैत ने कहा कि अब 8 दिसंबर को भारत बंद में किसानों की ताकत दिखेगी।
सड़के बंद होने से आम जन की बढ़ रही परेशानी, उठने लगी आवाज
दिल्ली की सभी सीमाऐं बंद होने से दिल्ली की आम जनता परेशानी में आ गई है। एक तरफ किसान छः महीने का राशन लेकर बैठें है तो दूसरी तरफ रोज कमाकर खाने वालों की परेशानी बढ़ गई। दिल्ली में सब्जी से लेकर दूसरी आवश्यक चींजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। और शादी ब्याह का सीजन होने के चलते लोग अपने रिश्तदारों तक को नही बुला पा रहे है। वहीं छोटे मार्गों पर अचानक बढ़ी वाहनों की संख्या से भी लोगों का आना जाना व दैनिक दिन चर्या काफी प्रभावित हो रही है जिसे देखते हुए अब स्थानीय लोग किसानों के सड़क रोकने के निर्णय को गलत मानने लगे है। हालांकि बार्डर सील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। अब देखना यह है कि किसानों के इस आंदोलन को स्थानीय लोग कब तक सहन कर पायेंगे। या फिर उनके विरोघ में सड़कों पर उतरेंगे।
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