हरियाणा में अब सरपंचों पर चलेगा ग्रामीणों का डंडा

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April 19, 2024

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हरियाणा में अब सरपंचों पर चलेगा ग्रामीणों का डंडा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- हरियाणा में अब निकम्मे सरपंचों पर ग्रामीणों का डंडा चलेगा। हरियाणा सरकार ने पंचायती राज से जुड़े एक विधेयक में संशोधन करते हुए तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इन फैसलों में राइट टू रीकॉल, पंचायती चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण और बीसी-ए वर्ग के पिछड़ों को भी 8 फीसदी आरक्षण दिए जाना शामिल हैं। विधानसभा में सरकार ने शुक्रवार को हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2020 पारित कर इन अहम फैसलों को लागू किया।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला ने सदन में इस संशोधन विधेयक को पेश किया। जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इस दौरान ग्राम पंचायतों के लिए ‘राइट टू रीकॉल’ विधेयक भी पटल पर रखा गया। इस विधेयक के लागू होने से काम ना करने वाले सरपंचों, ब्लाक समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है। 
विधानसभा में पास हुए ‘राइट टू रीकॉल’ विधेयक के बारे में डिप्टी सीएम ने बताया कि पंचायत विभाग के पास अकसर इस तरह की शिकायतें आती थी कि सरपंच मनमानी करके ग्रामीणों की जन भावनाओं के खिलाफ कार्य कर रहा है। हर साल इस तरह के सैकड़ों शिकायतें ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर और प्रदेश मुख्यालय तक पहुंचती है। डिप्टी सीएम ने बताया कि राइट टू रीकॉल का विधेयक पास होने के बाद अब ग्रामीणों के पास यह अधिकार आ गया है कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा रहा तो उसे बीच कार्यकाल में ही पद से हटाया भी जा सकता है।ा 
जन प्रतिनिधियों को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर दो घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी। इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधि के खिलाफ मतदान किया तो वे पदमुक्त हो जाएगा। जनप्रतिनिधि चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं पड़ते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह ‘राइट टू रीकॉल’ एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा। दुष्यंत चैटाला ने बताया कि इस विधेयक के आने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में अभूतपूर्व बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि सरपंच अब ग्रामीणों की भावना के अनुरूप ही विकास कार्यों को प्राथमिकता देंगे।

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