
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश राजधानी दिल्ली में लगातार कोरोना वायरस का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिसे देखते हुए अब केंद्र सरकार ने दिल्ली में कोरोना को काबू में करने की अपनी पहल कर दी है। जिसके तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह के बीच कई बैठके हो चुकी है। हालांकि दोनो पक्षों ने कोरोना महामारी से निपटने के अपने-अपने सुझाव रख दिये है लेकिन फिर भी आम सहमति की बजाये दोनो पक्ष एक दूसरे पर राजनीति करने के ही आरोप लगा रहे है। हालांकि कोरोना महामारी से निपटने में कई बार दोनो पक्ष आमने सामने हो चुके है। लेकिन अभी केंद्र की तरफ से दिल्ली के एलजी के नये आदेश पर एक बार फिर केंद्र व दिल्ली सरकार में तलवारे खिंच गई है। जिसे देखते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि अगर होम आइसोलेशन बंद हुआ तो दिल्ली में न केवल परेशानी बढ़ जायगी बल्कि अफरा-तफरी भी मच जायेगी जो मौजूदा स्थिति से भयानक होगी।
नये नियम के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दिल्ली में आइसोलेशन की नीति को खत्म कर नई नीति को लागू किया जाये जिसके मुताबिक अब दिल्ली में हर कोरोना पॉजिटिव को अनिवार्य रूप से कम से कम पांच दिन के लिए क्वारंटाइन सेंटर में जाना ही होगा। फिलहाल देश की राजधानी दिल्ली में जो व्यवस्था है उसके मुताबिक अगर कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति में लक्षण नहीं है या कम लक्षण हैं तो उसे होम आइसोलेशन में रहने की इजाजत मिलती है लेकिन नए आदेश के मुताबिक यह सुविधा खत्म हो जाएगी। आपको बता दें कि इस समय दिल्ली में 8480 कारोना पॉजिटिव मरीज होम आइसोलेशन में है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के मुताबिक आज दिल्ली में एंटीजैन टेस्टिंग किट के जरिए 12680 लोगों का कोरोना वायरस टेस्अ हुआ जिसमें 951 लोग पॉजिटिव पाए गए जबकि गुरुवार को दिल्ली में 193 केंद्रों पर जांच हुई जिसमें कुल 7040 लोगों का कोरोना टेस्ट हुआ जिसमें 456 लोग पाॅजिटिव पाए गए थे। साथ ही उन्होने कहा कि शुरुआती चरण में उन लोगों की जांच की जा रही है जिनके घर कंटेनमेंट जोन में आ रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को आदेश दिया कि स्वदेशी आवास के तहत प्रत्येक कोविद -19 रोगियों के लिए पांच दिनों तक संस्थागत अलगाव केंद्र में रहना आवश्यक होगा। दिल्ली सरकार ने इस फैसले को मनमाना करार दिया और कहा कि इससे राष्ट्रीय राजधानी को नुकसान होगा।
एक बयान में, दिल्ली सरकार ने कहा कि घर पर अलगाव का कार्यक्रम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे सफल अभियान है। बयान में कहा गया है कि यहां कोविद -19 रोगियों के इलाज के लिए पहले से ही डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है। कर्मियों की एक समस्या है, संक्रमण के बिना लक्षणों वाले हजारों लोगों को रखने के लिए बड़ी संख्या में अलग-अलग निवास केंद्रों की आवश्यकता होगी। गुरुवार को, दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों की संख्या बढ़कर 49,979 और 1969 हो गई। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के मनमाने फैसले से दिल्ली सरकार को काफी परेशानी होगी। इससे लोगों को मिलने वाली सुविधाओ पर तो असर पड़ेगा ही उनकी जान को भी जोखिम हो जायेगा। दिल्ली में अभी भी बेडों की संख्ंया उपयुक्त नही है और इस आदेश के बाद तो हमे तुरंत 10 हजार अतिरिक्त बेडों की जरूरत होगी। जिसके लिए सरकार अभी तैयार नही है। उन्होने कहा कि 30 जून तक दिल्ली में कम से कम पांच लाख कोरोना केस हो सकते है जिसके चलते इस नीति से तो दिल्ली की व्यवस्था ही बिगड़ जायेगी। हालांकि केंद्र के इस फैसले को भाजपा कार्यकर्ता पूरी तरह से भूनाने में लगे है और सोशल मीडिया पर इसका पूरा प्रचार-प्रसार कर रहे है जिससे भी दिल्ली सरकार घबरा गई है और अब केंद्र से दो-दो हाथ करने के मूड में आ गई है।
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