नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/इलाहबाद/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- असल जीवन में तो भगवान राम ने सिर्फ 14 साल का वनवास काटा था लेकिन कलयूग में तो भगवान राम को घर लौटने में लगभग 500 साल लग गये फिर भी कोई न कोई अड़चन आड़े आ ही रही थी लेकिन उनकेे बनवास की आखिरी बाधा भी अब खत्म हो गई है और पहले से तय पांच अगस्त को ही अब राम मंदिर का भूमि पूजन होगा। इलाहबाद हाईकोर्ट ने इस भूमि पूजन को रोकने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। जिससे अब मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याचिका सिर्फ आशंकाओं पर आधारित है इसमें कोई तथ्य नहीं है। साकेत गोखले की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने कहा है कि याचिका कल्पनाओं पर आधारित है। फिर भी कोर्ट ने आयोजकों व राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वे सोशल व शारीरिक दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यक्रम करेंगे।
कोर्ट ने कहा है कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की आशंका का कोई आधार नहीं है और याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस ने लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की।
दिल्ली के पत्रकार साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड-19 के अनलॉक- 2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है। कहा गया था कि भूमि पूजन में लगभग 300 लोग एकत्र होंगे, जो कोविड-19 के नियमों के विपरीत होगा। लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी। कहा गया था कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा। यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती। कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज की इजाजत नहीं दी गई है और सैकडों लोगो की उपस्थिति में कार्यक्रम होने जा रहा है।
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