दिल्ली भूकंप के सिस्मिक जोन 4 में, 7 से 8 तक हो सकती है भूकंप की तीव्रता

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

दिल्ली भूकंप के सिस्मिक जोन 4 में, 7 से 8 तक हो सकती है भूकंप की तीव्रता

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना काल में लगातार देश में महसूस किये जा रहे भूकंप के झटकों पर अब विशेषज्ञों में बड़ी बहस छिड़ गई है। हालांकि हम मौसम का पूर्वानुमान तो लगा सकते है लेकिन भूकंप का नही।भूकंप के लिहाज से देश को चार भूकंप क्षेत्रों में बांटा गया है जिसमें दिल्ली भूकंप के खतरनाक सिस्मिक जोन 4 में बताई जा रही है। वैसे तो दिल्ली-एनसीआर में पिछले दो महीनों में करीब छह बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। लेकिन भूकंप की तीव्रता बहुत तेज नहीं होने के कारण जानमाल का नुकसान नही हुआ है लेकिन फिर भी दिल्ली में विशेषज्ञों की माने तो 7 से 8 तक की तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते है जो काफी तबाही मचा सकते हंै। वैसे भी दिल्ली में 80 प्रतिशत भवन इस तरह के झटके सहने की स्थिति में नही है। लेकिन कम अंतराल में भूकंप का बार-बार आना खतरनाक भी हो सकता है।
दिल्ली में पिछले दो-तीन महीनों में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि ये सभी झटके कम तीव्रता वाले थे लेकिन वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर की हर ऊंची इमारतें असुरक्षित नहीं है वल्नेबरिलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह रिपोर्ट तैयार की है।इस रिपोर्ट को बिल्डिंग मटेरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल ने प्रकाशित किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह कहना गलत है कि दिल्ली की हर ऊंची इमारत भूकंप के कम तीव्रता के झटकों में दरक जाएगी। हालांकि, अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चेताया भी है कि इन इमारतों का गलत तरीके से निर्माण इन्हें रेत में भी धंसा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिस्मिक जोन-4 में आने वाली राजधानी दिल्ली भूकंप के बड़े झटके से खासा प्रभावित हो सकती है। अगर यहां सात की तीव्रता वाला भूकंप आया तो दिल्ली की कई सारी इमारतें और घर रेत की तरह बिखर जाएंगे। इन इमारतों में निर्माण सामग्री ऐसी है, जो भूकंप के झटकों का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। दिल्ली में मकान बनाने की निर्माण सामग्री ही आफत की सबसे बड़ी वजह है। दिल्ली की 70-80 फीसदी इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से डिजाइन ही नहीं की गई हैं। पिछले कई दशकों के दौरान यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ती गईं इमारतें पर बहुत ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि अधिकांश के बनने के पहले मिट्टी की पकड़ की जांच नहीं हुई है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। डेढ़ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हो चुकी हैं और कई मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। केवल बड़ी इमारतें ही नहीं, यदि छोटी इमारतें भी दिल्ली जिस सिस्मिक जोन में आता है, उस हिसाब से नहीं बनी तो तेज झटकों में उसे डेमेज का खतरा बना रहेगा। दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिसके चलते भविष्य में किसी बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे मुख्यतया पांच लाइन दिल्ली-मुरादाबाद, दिल्ली-मथुरा, महेंद्रगढ़-देहरादून, दिल्ली सरगौधा रिज और दिल्ली-हरिद्वार रिज मौजूद है।

भूकंप के झटके सहने के लिए देश का कौन-सा इलाका सुरक्षित है या फिर कहां भूकंप से सबसे ज्यादा क्षति हो सकती है, ऐसे कई सवाल आपके मन में आते होंगे। आज इन्हीं सवालों के जवाब देने के लिए आइए भूकंप से संबंधित कुछ रोचक जानकारियां जान लेते हैं…

भारत में कितने भूकंपीय जोन हैं?
भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे चार जोन में बांटा गया है, ये जोन हैं…
सिस्मिक जोन 5
सिस्मिक जोन 4
सिस्मिक जोन 3
सिस्मिक जोन 2
भूकंप के लिहाज से कई इलाके संवेदनशील इलाकों में आते हैं, इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना रहती है।
सिस्मिक जोन 5 में देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है।
सिस्मिक जोन 4 भी खतरनाक श्रेणी में आता है, इसमें भूकंप की तीव्रता 7.9-आठ रहती है। इसमें दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है।
सिस्मिक जोन 3 मध्यम खतरनाक होता है, इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है। इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं।
सिस्मिक जोन 2 कम खतरनाक जोन माना जाता है, इसमें वो इलाके आते हैं जो सिस्मिक जोन 5, 4 और 3 शामिल नहीं हुए हैं। यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox