पीएम मोदी ने कहा चीन व कोरोना की चुनौति से एक साथ निपट रहे हम

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July 27, 2024

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पीएम मोदी ने कहा चीन व कोरोना की चुनौति से एक साथ निपट रहे हम

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देशवासियों के साथ मन की बात की जिसमें उन्होने कहा कि ऐसे नाजुक दौर में जब विश्व पर महामारी का संकट मंडरा रहा उस वक्त में हमारा पड़ौसी जो कर रहा है वह किसी से छिपा नही नही है लेकिन हम हर परिस्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है और चीन व कोरोना की चुनौति से एक साथ हम निपट रहे है। देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना से लड़ाई का संकल्प भी दोहराया। इस बीच उन्होंने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को भी याद किया।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने की कुछ बड़ी बाते
प्यारे देशवासियों, आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रृद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी. वी नरसिम्हा राव जी की आज जन्म-शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है।
मेरे प्यारे देशवासियों, इस बार ‘मन की बात’ में कई विषयों पर बात हुई। अगली बार जब हम मिलेंगे, तो कुछ और नए विषयों पर बात होगी। आप अपने संदेश, अपने इनोवेटिव आईडियाज मुझे जरूर भेजते रहिए।
-साथियों, इस बरसात में प्रकृति की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए, हमें भी कुछ इसी तरह सोचने की, कुछ करने की पहल करनी चाहिए। इसके बीच हमें ये भी ध्यान रखना है कि मानसून के सीजन में कई बीमारियां भी आती हैं। कोरोना काल में हमें इनसे भी बचकर रहना है। आर्युवेदिक औषधियां, काढ़ा, गर्म पानी, इन सबका इस्तेमाल करते रहिए, स्वस्थ रहिए।
-साथियों देश के एक बड़े हिस्से में अब मानसून पहुंच चुका है। इस बार बारिश को लेकर मौसम विज्ञानी भी बहुत उत्साहित हैं, बहुत उम्मीद जता रहे हैं। बारिश अच्छी होगी तो हमारे किसानों की फसलें अच्छी होंगी, वातावरण भी हरा-भरा होगा। हमारे द्वारा किया गया थोड़ा सा प्रयास पर्यावरण की बहुत मदद करता है। हमारे कई देशवासी तो इसमें बहुत बड़ा काम कर रहे हैं।
-कोरोना वायरस ने निश्चित रूप से हमारे जीवन जीने के तरीकों में बदलाव ला दिया है। मैं लंदन से प्रकाशित फाइनेंशियल टाइम्स में एक दिलचस्प लेख पढ़ रहा था। इसमें लिखा था कि कोरोना काल के दौरान अदरक, हल्दी समेत दूसरे मसालों की मांग, एशिया के आलावा अमेरिका तक में भी बढ़ गई है। दूसरी ओर लोगों ने मुझसे ये भी शेयर किया है कि कैसे लॉकडाउन के दौरान, खुशियों के छोटे-छोटे पहलू भी- उन्होंने जीवन में री-डिस्कवर किए हैं।
भारत का संकल्प है- भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा। भारत का लक्ष्य हैदृ आत्मनिर्भर भारत। भारत की परंपरा है भरोसा, मित्रता। भारत का भाव है- बंधुता। हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
-अपने कृषि क्षेत्र को देखें, तो इस सेक्टर में भी बहुत सारी चीजें दशकों से लॉकडाउन में फंसी थीं। इस सेक्टर को भी अब अनलॉक कर दिया गया है। इससे एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी किसी को भी बेचने की आजादी मिली है। वहीं उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है।
कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है। इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है। आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे। ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है।
-कुछ ही दिन पहले स्पेस सेक्टर में ऐतिहासिक सुधार किए गए। उन सुधारों के जरिए वर्षों से लॉकडाउन में जकड़े इस सेक्टर को आजादी मिली। इससे आत्मनिर्भर भारत के अभियान को न केवल गति मिलेगी, बल्कि देश तकनीक में भी एडवांस बनेगा।
-हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए जिससे सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने- यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
-बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं। वो कह रहे थे अपने पोतों को भी देश की रक्षा के लिए सेना में भेजूंगा। यही हौसला हर शहीद के परिवार का है। वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है। भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है।
-लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है। भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आंख-में-आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है।
-मेरे प्यारे देशवासियो कोरोना के संकट काल में देश लॉकडाउन से बाहर निकल आया है। अब हम अनलॉक के दौर में हैं। अनलॉक के इस समय में, दो बातों पर बहुत फोकस करना है- कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, उसे ताकत देनी है। खास-तौर पर घर के बच्चों और बुजुर्गों को इसीलिए, सभी देशवासियों से मेरा निवेदन है और ये निवेदन मैं बार-बार करता हूं और मेरा निवेदन है कि आप लापरवाही मत बरतिए, अपना भी ख्याल रखिए और दूसरों का भी। इस बात को हमेशा याद रखिए कि अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं, दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं या फिर दूसरी जरूरी सावधानियां नहीं बरतते हैं तो आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं।
-आप किसी भी प्रोफेशन में हों, हर-एक जगह, देश-सेवा का बहुत स्कोप होता ही है। देश की आवश्यकता को समझते हुए, जो भी कार्य करते हैं वो देश की सेवा ही होती है। आपकी यही सेवा, देश को कहीं-न-कहीं मजबूत भी करती है। भारत का लक्ष्य हैदृ आत्मनिर्भर भारत।
-बहुत से लोग, मुझे पत्र लिखकर बता रहे हैं, कि, वो इस ओर बढ़ चले हैं। इसी तरह, तमिलनाडु के मदुरै से मोहन रामामूर्ति जी ने लिखा है कि वो भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनते हुए देखना चाहते हैं। साथियों, आजादी के पहले हमारा देश रक्षा क्षेत्र में दुनिया के कई देशों से आगे था। हमारे यहां अनेकों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। उस समय कई देश, जो हमसे बहुत पीछे थे वो आज हमसे आगे हैं।
-अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो जज्बा है- यही तो देश की ताकत है। आपने देखा होगा, जिनके बेटे शहीद हुए, वो माता-पिता, अपने दूसरे बेटों को भी, घर के दूसरे बच्चों को भी, सेना में भेजने की बात कर रहे हैं। हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने- यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
-भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज, शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मजबूत किया है। दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के कमिटमेंट को भी देखा है।
भारत में भी, जहां एक तरफ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए, यानि संकट के दौरान भी, हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही। संकट चाहे जितना भी बड़ा हो भारत के संस्कार, निस्वार्थ भाव से सेवा की प्रेरणा देते हैं।
-भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर और ज्यादा निखरकर निकलने का रहा है। सैकड़ों वर्षों तक अलग- अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया।
इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है। वाकई, एक-साथ इतनी आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं।
-अभी, कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर चक्रवात अम्फान आया, तो पश्चिमी छोर पर चक्रवात निसर्ग आया। कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाईदृबहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे।
स्वाभाविक है कि जो वैश्विक महामारी आई, मानव जाति पर जो संकट आया, उस पर हमारी बातचीत कुछ ज्यादा ही रही, लेकिन, इन दिनों मैं देख रहा हूं, लगातार लोगों में, एक विषय पर चर्चा हो रही है, कि, आखिर ये साल कब बीतेगा।

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