नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- बाल अपराधियों को मुख्य धारा में लाने व उन्हे आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिल्ली पुलिस की पारस योजना का अब असर दिखने लगा है। जिसके तहत न केवल बाल अपराधी बल्कि उनके परिजन भी इस योजना में रूचि दिखाने लगे हैं और अपने बच्चों के सुनहरी भविष्य की अभिलाषा रखने लगे है। द्वारका डीसीपी एंटो अलफोंस द्वारा जमीनी स्तर पर किये गये कार्यों से पारस योजना बाल अपराधियों को खरा सोना बनाने की दिशा में काम कर रही है। बाल अपराधियों व समाज से भटके नाबालिगों को नई राह दिखाने वाली इस योजना की चारों तरफ अब प्रशंसा भी हो रही है।
दरअसल कानून व्यवस्था को सुदृढ रखने के साथ-साथ जनसेवा, लोक कल्याण एवं छोटे-मोटे अपराधों में सम्मिलित किशोर अपराधियों के पुनर्वास को प्राथमिकताओं में रखने वाले आयुक्त दिल्ली पुलिस की महत्वकांक्षी पारस योजना को अमल में लाने एवं परवान चढ़ाने की जिम्मेवारी संयुक्त पुलिस आयुक्त पश्चिम क्षेत्र श्रीमती शालिनी सिंह के निर्देशन में द्वारका जिले के तेजतर्रार एवं जीवट आईपीएस अधिकारी एंटो अलफोंस को सौंपी गई थी। आशा के अनुरूप डीसीपी द्वारका ने इस कार्य को अंजाम देने के लिए अपने नेतृत्व में कुशल एवं समर्पित टीम का गठन करके योजनाबद्ध तरीके से काम करना आरंभ किया कार्यक्रम के प्रति बाल अपराधियों की रूचि पैदा करने के लिए सर्वप्रथम जिले में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें विगत 4 वर्षों में छोटे-मोटे अपराधों में संलिप्त पाए गए किशोरों की सूची तैयार कर उन्हें कार्यक्रम में भागीदार बनने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से द्वारका जिला पुलिस मुख्यालय में बुलाकर उन के बीच कार्यक्रम के संदर्भ में जागरूकता फैलाई गई। इतना ही नहीं उन्हें अपराध रूपी अंधकार से निकालकर सामान्य जीवन जीने को प्रेरित किया गया। पुलिस की इस योजना का बच्चों के ऊपर सार्थक प्रभाव देखने को मिला तो आसपास के नागरिकों ने भी अपने भटके हुए बच्चों को इस योजना से जोड़ने के लिए पुलिस संपर्क किया और डीसीपी महोदय से अपील की। हालांकि अभी तक बाल अपराधियों को ही इस योजना में रखकर काम किया जा रहा है लेकिन आने वाले समय में पुलिस एनजीओं के माध्यम से इस तरह की योजना पर भी विचार कर सकती है।
कार्यक्रम के संदर्भ में दैनिक प्रगति का मूल्यांकन करते हुए संस्था पुलिस पश्चिमी क्षेत्र के नेतृत्व में स्वयंसेवी संस्थाओं एवं उपायुक्त पुलिस द्वारका की बैठक के दौरान तय किया गया कि इस कार्यक्रम की पायलट परियोजना के क्रियान्वयन का दायित्व पुलिस उपायुक्त द्वारका के कंधों पर होगा। कार्यक्रम में प्रथम चरण में द्वारका जिले के डाबड़ी उपखंड को प्रयोग के लिए चुना गया। 7 अगस्त को इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। इसके दौरान सभी इच्छुक किशोर अपराधियों को उनके माता-पिता के साथ कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। उनके एवं उनके माता पिता के लिए संयुक्त परामर्श का आयोजन वंदना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर-10 द्वारका के सभागार में किया गया था। इस कार्यक्रम के पहले सत्र के दौरान वक्ताओं ने सभी जेसीएल और उनके माता-पिता को अपने प्रेरणादायक व्यक्तव्यों से इस अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया। वक्ताओं में प्रमुख थे आर पी मीणा अतिरिक्त उपायुक्त द्वारका जिला, एसीपी कमल सिंह द्वारका जिला, राजेंद्र अग्रवाल अध्यक्ष सेवा भारती व डॉ रामकुमार महामंत्री सेवा भारती।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सभी प्रतिभागियों से एक-एक कर उनकी रूचि, कार्य क्षेत्र एवं उनकी वांच्छित मनोकामना के संदर्भ में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से चर्चा कर एक फाइल तैयार की गई ताकि उसका विस्तृत अध्ययन करके इनके लिए आगे की योजना का प्रारूप तैयार किया जा सके। कार्यक्रम के अंत में उपायुक्त ने सभी संबंधित व्यक्तियों से विस्तार में चर्चा कर योजनाओं के क्रियावन्यन को मूर्त रूप दिया जा सके। सेवा और सद्भाव से परिपूर्ण परियोजना की सफलता कई मायनों में इसलिए भी महत्व रखती है कि यह परियोजना न केवल बाल अपराधियों को अपराध की दुनिया से दूर रखने में सक्षम होगी। बच्चों को आत्मनिर्भर बना कर सम्मान के साथ समाज में जीने के काबिल भी बनाएगी। इस अवसर पर योजना को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए डीसीपी एंटो अलफोंस ने कहा कि नाबालिगों को इस योजना में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है और इस योजना के बाद भी उन पर ध्यान रखा जायेगा। इसके साथ ही जो लोगों ने अपील की है। उस पर भी विचार किया जायेगा।
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