
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नेपाल/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत से संबंधों को सुधारने के लिए बुधवार को बड़ी कार्यवाही करते हुए कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया। उन्होने भारत से संबंधों बाधा बन रहे बड़बोले देश के उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय का कार्यभार वापस ले लिया है। इस मामले से परिचित लोगों ने बताया कि माना जा रहा है कि यह कदम पड़ोसी देश भारत के साथ संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश के तहत उठाया गया है। बता दें कि पिछले कुछ समय से भारत और नेपाल के संबंधों में खटास आई हुई है।
अब प्रधानमंत्री ओली खुद इस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब तीन नवंबर को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे नेपाल के दौरे पर जाने वाले हैं। पोखरेल को प्रधानमंत्री कार्यालय से जोड़ा गया है। नेपाली मीडिया ने कहा कि इसका मतलब है कि वे बिना किसी पोर्टफोलियो वाले मंत्री बने रहेंगे।
गौरतलब है कि जनरल एमएम नरवणे नवंबर के पहले हफ्ते में नेपाल का दौरा करेंगे। इस उच्चस्तरीय दौरे के दौरान नेपाल सरकार जनरल नरवणे को ‘जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद रैंक देकर सम्मानित करेगी। दोनों देशों की सेनाओं के बीच मजबूत रिश्तों की पहचान के तौर पर दिया जाने वाला यह परंपरागत सम्मान एक समारोह में नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी जनरल नरवणे को देंगी। बता दें कि इस सम्मान की शुरुआत 1950 में की गई थी। भारत भी नेपाल सेना प्रमुख को ‘जनरल ऑफ इंडियन आर्मी’ की मानद रैंक देकर सम्मानित करता रहा है।
इस साल मई में जनरल नरवणे ने तिब्बत में कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए लिपुलेख तक बनाई जाने वाली सड़क पर नेपाल की तीखी प्रतिक्रिया में चीन की भूमिका की ओर संकेत किया था। उस समय ईश्वर पोखरेल ने दशकों से भारतीय सेना के अभिन्न अंग गोरखा सैनिकों को भड़काने की कोशिश की थी। पोखरेल ने कहा था कि जनरल नरवणे की टिप्पणी ने नेपाली गोरखा सेना के जवानों की भावनाओं को आहत किया है, जो भारत की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं। उन्होंने यह दावा किया था कि भारतीय सेना में शामिल गोरखा सैनिक जनरल नरवणे की टिप्पणी के बाद अपने वरिष्ठों का सम्मान नहीं करेंगे। इसके अलावा मंत्री ने कई अन्य आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थीं।
भारत-नेपाल संबंधों पर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पोखरेल ने हाल ही में हिमालयी देश में जनरल नरवणे की तीन नवंबर को होने वाली यात्रा का विरोध किया था। वे चाहते थे कि दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद पर बातचीत की पहल भारत की तरफ से की जाए। पोखरेल को प्रधानमंत्री ओली के भरोसेमंद में से एक माना जाता है। वे चीन से चिकित्सा उपकरणों की खरीद को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। पोखरेल के अपने सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा के साथ भी संबंध ठीक नहीं है। जनरल थापा ने लिपुलेख पर मंत्री का साथ देने से उस समय मना कर दिया था जब मंत्री चाहते थे कि वे इसपर बयान जारी करें। काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरल थापा कोविड-19 से लड़ने के लिए चिकित्सा उपकरणों की खरीद पर सशस्त्र बलों को इसमें खींचे जाने से नाराज थे।
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