
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/इंदौर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक आईआईटी-इंदौर में अब संस्कृत में विज्ञान की पढ़ाई की शुरुआत होने वाली है। संस्थान में प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में पढ़ाया जाएगा, जो मुख्य रूप से संस्कृत में लिखा गया था और इसलिए इसको संस्कृत में ही पढ़ाया जा रहा है। इस कोर्स के लिए दुनियाभर से कई छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।
इस कोर्स में सबसे पहले विद्वान ऋषि भास्कराचार्य के गणित पर लिखे आलेख ‘लीलावती’ के बारे में पढ़ाया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ने इसके लिए 15-15 दिनों के कोर्स तैयार किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस कोर्स के लिए अभी तक दुनियाभर से 750 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। 22 अगस्त से शुरू हुआ यह कोर्स 2 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौरान धातु विज्ञान, खगोलशास्त्र, औषधि और वनस्पति विज्ञान की पढ़ाई होगी। इन सभी कोर्स को उनके असली स्वरूप में पढ़ाया जाएगा और इस पर संस्कृत में ही चर्चा होगी।
इस प्रोग्राम में शामिल हो रहे छात्रों को पहले संस्कृत भाषा के बारे में ज्ञान दिया जाएगा, ताकि वह कोर्स के दौरान इसे आसानी से समझ सकें। इसके बाद सभी छात्रों का एक टेस्ट लिया जाएगा, जिसमें खरा उतरने वालों को ही दूसरी स्टेज के लिए आगे भेजा जाएगा, जिसमें संस्कृत भाषा में पढ़ाई और चर्चा होगी। हालांकि, जो छात्र पहले से ही संस्कृत भाषा में कुशल हैं और टेक्नीकल बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें प्रोग्राम के दूसरे चरण में सीधा प्रवेश मिलेगा। साथ ही दूसरे चरण में होने वाली पढ़ाई के दौरान संस्कृत में ही चर्चा करनी होगी. अगर कोई इसमें चूकता है तो उन्हें कोर्स का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा।
आईआईटी-इंदौर के ऑफिशिएटिंग डाइरेक्टर प्रोफेसर नीलेश कुमार ने बताया कि वह इस पहल से बेहद खुश हैं क्योंकि दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नोलॉजी में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।
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