चला गया छग के गरीबों व दलितों का मसीहा

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चला गया छग के गरीबों व दलितों का मसीहा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/छत्तीसगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री व जेसीसी-जे सुप्रीमो अजीत जोगी का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है। जोगी को हार्ट अटैक आने के बाद श्री नारायणा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां 20 दिन तक चले इलाज के बाद आज शुक्रवार को फिर कार्डियक अरेस्ट आने से उनकी मौत हो गई है। अस्पताल प्रबंधन ने जोगी के निधन की पुष्टि कर दी है। दरअसल अजीत जोगी को हार्ट अटैक आने के बाद 9 मई को देवेंद्र नगर स्थित श्री नारायणा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिस समय उन्हें हार्ट अटैक आया, तब वो गंगा इमली खा रहे थे। इमली का बीज उनके गले में फंस गया था। अजीत जोगी शुरु से अस्पताल में कोमा में थे और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनके निधन की खबर आते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर फैल गई ।
                                 श्री जोगी के निधन को प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ,विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दस महंत पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ,नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक समेत तमाम नेताओ ने दुख प्रगट किया है । स्व श्री जोगी के पुत्र अमित जोगी ने ट्विटर पर निधन की जानकारी देते हुए बताया कि स्व श्री जोगी का अंतिम संस्कार गृह ग्राम गौरेला में कल किया जाएगा ।

जीवन परिचय-
अजीत जोगी का जन्म 29 अप्रैल 1946 को छत्तीसगढ़ के पेंड्रा रोड अंतर्गत जोगी डोंगरी गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। उनकी स्कूली शिक्षा गांव में हुई। मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी भोपाल से बी.ई. (मैकेनिकल) एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. किए। 1967-68 में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर में व्याख्याता रहे। 1968 से 1970 तक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में रहे। इसके पश्चात् 1970 से 1986 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में रहे। रायपुर व इंदौर जैसे शहरों में कलेक्टर रहे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तथा केन्द्र सरकार में मंत्री रह चुके अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। शासकीय सेवा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने राजीव गांधी के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता ली। 1986 से 98 तक राज्यसभा सदस्य रहे। 1998 में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बना। जोगी को छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ। 2004 में वे महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। 2001 में मरवाही से विधानसभा उप चुनाव लड़े थे और जीते थे। 2003 में मरवाही से फिर चुनाव जीते थे। 2004 में सांसद बनने के बाद उन्होंने मरवाही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। 2009 में मरवाही से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते। 2017 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नाम से अलग राजनीति पार्टी बना ली। 2018 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से चुनाव लड़े और जीते। इसी साल 2020 में जब गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आया उस दिन जोगी काफी प्रसन्न नजर आए थे क्योंकि अपने क्षेत्र को जिला बनते देखने का उनका पुराना सपना था।

अजीत जोगी ने अपने जीवनकाल में फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, आस्ट्रिया, अमेरिका, कनाडा, रुस, अफ्रीका, चीन, जापान, हांगकांग एवं फिलीपीन्स जैसे देशों की यात्रा की थी। घुड़सवारी में उनकी खास रुचि थी। जोगी की न सिर्फ राजनीति बल्कि साहित्य में भी दहरी दखल थी। बहुत से संस्कृत श्लोक उन्हें कंठस्थ थे। शेर ओ शायरी का भी उन्हें शौक था। नब्बे के दशक में जब वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता थे उनके लेख विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं में छपा करते थे। उनके लेखों का संग्रह ‘दृष्टिकोण’ नाम से एक पुस्तक के रूप में सामने आया। इसके अलावा उन्होंने ‘द रोल ऑफ डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर’, ‘एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ पेरिफेरियल एरियाज’, ‘सदी के मोड़ पर’, ‘मोर मांदर के थाप’, ‘फूलकुंवर’ एवं ‘स्वर्ण कण जन मेरे प्रेरणा स्त्रोत’ नाम से अलग-अलग किताबें लिखी। 2018 में श्रीमती रेणु जोगी ने उन पर ‘अजीत जोगी अनकही कहानी’ नाम से किताब लिखी। इस किताब के माध्यम से अजीत जोगी के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलू सामने आए।
                              2004 में जब वे कांग्रेस की टिकट पर महासमुन्द क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़े थे भयंकर सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे। दिल्ली से लेकर लंदन तक के अस्पताल में उनका इलाज चला, लेकिन दुर्घटना के बाद से वे कभी खड़े नहीं हो पाए, व्हील चेयर ही उनका सहारा रही। 2004 से लेकर निधन के पहले तक उनके राजनीतिक जीवन में कितने ही तूफान आए पर वे कभी विचलित नजर नहीं आए। उनके यूं चले जाने से आज छग का दलित, गरीब व मजदूर पूरी तरह से बेसहारा हो गया है। श्री जोगी ने अपनी पूरी जिंदगी में गरीबों व दलितों व असहायों को सहारा देने के काम व्यापक स्तर पर किये थे। अब लोगों को अपेक्षा है कि उनके बाद उनके पुत्र अमित जोगी उनके सपनों को गति देंगे और गरीबों व असहायों का सहारा बने रहेंगे।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox