नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बरोदा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- हरियाणा के सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट पर भाजपा को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा को सियासी पटखनी दे दी है। वहीं भाजपा प्रत्याशी और पहलवान योगेश्वर दत्त को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने योगेश्वर दत्त को चुनावी अखाड़े में 10496 मतों से पटखनी दी है। इससे पहले 2019 विधानसभा चुनाव में भी योगेश्वर दत्त को हार का सामना करना पड़ा था। तब भी कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा ने योगेश्वर दत्त को पटखनी दी थी।
बरोदा उपचुनाव की मतगणना जारी है। इस उपचुनाव में 14 उम्मीदवार मैदान में थे। तीन नंवबर को यहां मतदान संपन्न हुआ। लगभग 68.57 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस सीट पर भाजपा ने योगेश्वर दत्त पर दांव लगाया है। योगेश्वर दत्त ओलंपियन पहलवान हैं। वह इसी सीट से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा से चुनाव हार गए थे। भाजपा ने योगेश्व दत्त पर दोबार दांव खेला है। कांग्रेस ने इंदु राज नरवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। इंदुराज सोनीपत जिला परिषद के पूर्व सदस्य रह चुके हैं।
कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद राजकुमार सैनी भी बरोदा उपचुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल से जोगिंदर मलिक चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। इन सबके अलावा बरोदा के चुनावी समर में कई निर्दलीय भी उतरे हैं।
बरोदा में तीनों पार्टियों के बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी हुई है और इस चुनाव परिणाम से भाजपा से लेकर कांग्रेस व इनेलो तक के नेताओं का कद भी तय होगा। हुड्डा के गढ़ बरोदा में भाजपा पहली बार जीत दर्ज करती है तो सीएम समेत कई नेताओं का रुतबा बढ़ जाएगा और सोनीपत को प्रदेश सरकार में हिस्सेदारी भी मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी।
वहीं कांग्रेस की जीत होने पर हुड्डा पिता-पुत्र की साख बची रहेगी। इस तरह से हर किसी के लिए चुनाव परिणाम काफी अहम है, जो मंगलवार दोपहर तक आने की उम्मीद है।
बरोदा हलका जहां पहले इनेलो का गढ़ होता था, वहीं वर्ष 2009 से लगातार कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है। बरोदा को पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है और बरोदा से अभी तक कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक थे। श्रीकृष्ण हुड्डा का बीमारी के कारण निधन होने से वहां उपचुनाव कराया गया। इस बार बरोदा सीट केवल हार-जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि इस पर भाजपा, कांग्रेस, इनेलो के बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है।
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