नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/आगरा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आगरा पुलिस पिछले एक साल से महिला अपराधों के खिलाफ अभियान चला रही है। अभियान के तहत पुलिस गुमशुदा युवतियों को ढूंढकर उनके परिजनों से भी मिलाने का काम कर रही है। पिछले एक साल में पुलिस ने 714 दर्ज मुकदमों में 626 युवतियों का बरामद करने का काम किया है। लोग पुलिस के इस अभियान की खुले दिल से प्रंशसा कर रहे है।
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के पुलिस कप्तान बबलू कुमार जिले में बढ़ रही अपराधिक वारदातों पर लगाम लगाने और महिला अपराधों में कमी लाने के लिए विभिन्न अभियान चला रहे हैं। इसी के तहत जुलाई 2019 से एसएसपी बबलू कुमार ने घर से चली गईं लड़कियों को खोजने के लिए एक विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के तहत अब तक 714 मुकदमें दर्ज हुए हैं, जिनमें से 626 लड़कियों को पुलिस ने सकुशल बरामद कर उनके परिजनों को सौंप दिया है। वहीं, साल 2020 की बात की जाए तो ये आंकड़ा 485 पहुंचता है. यानी साल 2020 में ही 485 लड़कियों को आगरा पुलिस ने बरामद कर उनके माता-पिता के सुपुर्द किया है।
आगरा पुलिस की विशेष टीम का काम जिले में दर्ज गुमशुदगी के मामलों में निगरानी रखना है। थाने में दर्ज होने के बाद वो सबसे पहले वादी से मिल मामले से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी को जुटाते हैं और प्राप्त जानकारी के आधार पर थाना, सर्विलांस और क्राइम टीम से संपर्क कर जांच करते हैं।
पुलिस कप्तान बबलू कुमार ने आगरा में पद संभालते ही जिले में हो रही आपराधिक वारदातों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लाने की शपथ ली थी। अपनी इसी शपथ को पूरा करने के लिए उन्होंने कई अभियान भी चलाये। उनकी इन्हीं कोशिशों में से एक है घर से चली गई लड़कियों की सुरक्षित घर वापसी का अभियान। बबलू कुमार के निर्देशन में साल 2019 जुलाई से घर से चली गई बालिकाओं और युवतियों को बरामद कर सकुशल घर वापस लाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के तहत पुलिस विभाग में तीन लोगों की एक विशेष टीम बनाई गई है, जिनका काम जिले के सभी थानों में बालिकाओं और महिलाओं की गुमशुदगी के मामलों की निगरानी करना और इन मामलों की स्वयं जांच करना है।
टीम का नेतृत्व कर रहे राजकुमार ने बताया की कप्तान साहब के आदेशानुसार एक विशेष अभियान के तहत उन्हें घर से चली गई बालिकाओं और महिलाओं जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजकुमार ने बताया कि उनका और उनकी टीम का काम जिले में दर्ज गुमशुदगी के मामलों में निगरानी रखना है। थाने में दर्ज होने के बाद वो सबसे पहले वादी से मिल मामले से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी को जुटाते हैं और प्राप्त जानकारी के आधार पर थाना, सर्विलांस और क्राइम टीम से संपर्क कर जांच करते हैं. जरूरत पड़ने पर वह स्वयं छापेमारी और बरामदगी के लिए टीम के साथ विभिन्न स्थानों पर भी जाते हैं। उनका काम यहीं खत्म नहीं होता है। लड़कियों के वापस लौटने के बाद उनकी और उनके परिजनों की पुलिस द्वारा काउंसलिंग भी की जाती है। जिससे, उन्हें किसी प्रकार का भय न रहे और परिवार में दोबारा बसने में उन्हें कोई परेशानी न हो।
इस अभियान के तहत जुलाई 2019 से लेकर अभी तक 16 महीनों में 714 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें से 626 मामलों में पुलिस ने गुमशुदा लड़कियों की बरामदगी कर उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है। चैंकाने वाली बात तो ये है कि घर से जाने वाली लड़कियों के मामले में नबालिक युवतियों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो एक दिन में लगभग दो गुमशुदगी के हिसाब से मुकदमें दर्ज हुए हैं। इतनी बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज होने के बाद भी मामले के सफलतापूर्वक अनावरण में पुलिस टीम की भूमिका सराहनीय रही है।
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