नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/गोवहाटी/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कई बार जानकारी का अभाव कहे या फिर कुछ ऐसे नाम जो कुछ गलत वाक्यों या धारणाओं को दर्शाते दिखते है उनके कारण लोगो ंको काफी नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसा ही एक वाक्या एक असम की महिला के साथ उस समय घटा जब उसने अपने समुदाय का नाम अपने नाम के साथ सरनेम के रूप में इस्तेमाल कर लिया जिसका अर्थ कंपनी नही समझ पाई और कंपनी ने अपनी सोच बदलने की बजाये उस महिला को नौकरी देने से ही तौबा कर ली।
असम की रहने वाली एक महिला ने दावा किया है कि उसके ‘सरनेम’ के कारण सरकार द्वारा संचालित एक कंपनी ने उसके जॉब ऐप्लिकेशन को अस्वीकृत कर दिया। प्रियंका चुटिया नामक इस महिला के अनुसार, पोर्टल द्वारा उसे लगातार उचित नाम डालने को कहा जा रहा था। बकौल प्रियंका, चुटिया कोई गाली नहीं बल्कि असम का एक समुदाय है। लेकिन न वह कंपनी को सही से समझा पाई और न ही कंपनी इसका अर्थ समझ पाई जिसकारण प्रियंका की जाॅब ऐप्लिकेशन अस्वीकृत कर दी गई।
देश में अपने गोत्र, गांव व समुदाय के नाम को सरनेम के रूप में प्रयोग करने का चलन काफी समय से चला आ रहा है। लोग खासकर आईएएस व आईपीएस इसका कुछ ज्यादा ही प्रयोग करते नजर आते है। हालांकि ज्यादातर महिलाये भी अब अपनी ख्याती के लिए अपने पतियों का नाम सरनेम के रूप में लगा रही है। जिनका कहीं कोई लेना देना नही होता फिर भी लोग अपनी पहचान अपने गोत्र या गांव के नाम से बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कई बार इसका कुछ उलटा रूप या गलत परिणाम भी देखने को मिलते है।
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