मानसी शर्मा /- लद्दाख के लेह में 24 सितंबर को भड़की हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। इस घटना में अब तक चार लोगों की मौत और 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा को “सुनियोजित साजिश” करार दिया और कहा कि इसमें नेपाल और डोडा से आए बाहरी तत्वों की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कर्फ्यू लागू रहने के बावजूद स्थिति नियंत्रण में है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
उपराज्यपाल का बयान
गुप्ता ने एक साक्षात्कार में हिंसा को “दिल दहलाने वाली” घटना बताते हुए कहा कि यह किसी अचानक हुई स्थिति का नतीजा नहीं, बल्कि वेस्टेड इंटरेस्ट्स की सोची-समझी चाल है। उन्होंने बताया कि घायलों में कई लोग स्थानीय नहीं हैं, जिससे साजिश की आशंका और गहरी हो जाती है। उन्होंने युवाओं को भड़काने की कोशिशों पर चिंता जताई और कहा—”लद्दाख शांति का प्रतीक है, इसे अस्थिर नहीं होने देंगे।”
उन्होंने आश्वासन दिया कि शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का सम्मान किया जाएगा, लेकिन हिंसा फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अब तक 50 से ज्यादा संदिग्ध हिरासत में लिए जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
लेह और कारगिल में हालात
लेह में 26 सितंबर तक कर्फ्यू लागू है, जबकि कारगिल में पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक है। सभी स्कूल-कॉलेज सप्ताहांत तक बंद रहेंगे और CRPF की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात हैं। सुरक्षा बल घर-घर तलाशी ले रहे हैं। वहीं, लेह एपेक्स बॉडी ने मृतकों को “शहीद” बताते हुए पांच मौतों का दावा किया है, जबकि कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने स्वतंत्र जांच की मांग रखी है। कांग्रेस ने केंद्र से तुरंत वार्ता करने का आग्रह किया है।
हिंसा की वजह
लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के पांच साल बाद स्थानीय लोगों की पुरानी मांगें—राज्य का दर्जा, आदिवासी क्षेत्रों के लिए संवैधानिक सुरक्षा, नौकरियों में आरक्षण और अलग संसदीय सीटें—फिर जोर पकड़ने लगी हैं। इन्हीं मुद्दों पर 24 सितंबर को लेह एपेक्स बॉडी द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शन शुरू हुआ। शुरुआत में यह शांतिपूर्ण था, लेकिन जल्द ही भीड़ ने पथराव, आगजनी और सुरक्षाबलों पर हमले शुरू कर दिए। भाजपा कार्यालय को निशाना बनाया गया, एक CRPF वाहन को आग के हवाले कर दिया गया और डीजीपी की गाड़ी पर पथराव हुआ। हालात बिगड़ने पर सुरक्षाबलों ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और गोलीबारी की, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक घायल हो गए, जिनमें 40 पुलिसकर्मी शामिल हैं।
सोनम वांगचुक का रुख
इस बीच पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 35 दिनों की भूख हड़ताल समाप्त की और हिंसा की निंदा की। लेकिन केंद्र ने उनकी संस्था का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया, जिसे उन्होंने “दमनकारी कदम” बताया। उन्होंने कहा कि आंदोलन पीछे नहीं हटेगा। वहीं, कारगिल में स्थिति अपेक्षाकृत शांत रही, हालांकि सतर्कता बढ़ा दी गई है।
स्थानीय संगठनों का कहना है कि हिंसा को “पूर्व-नियोजित साजिश” बताना गलत है, और असल मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए। 06 अक्टूबर को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में इन मांगों पर विचार होने की संभावना है।


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