अनीशा चौहान/- हरतालिका तीज का पर्व भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। परंपरा के अनुसार इस व्रत में रेत या मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां बनाकर उनकी विधिवत पूजा की जाती है।
कब है हरतालिका तीज?
इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया की तिथि 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:34 बजे से प्रारंभ होकर 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर यह पर्व 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हरतालिका तीज के दिन प्रातःकाल स्नान करके महिलाएं स्वच्छ वस्त्र धारण करें। विशेषकर हरे या लाल रंग के वस्त्र इस दिन शुभ माने जाते हैं। पूजा स्थल पर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मिट्टी से बनी माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मूर्तियां स्थापित करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
इसके बाद गौरी-शंकर का विधिवत पूजन करें।
मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें और हरतालिका तीज व्रत कथा का श्रवण करें।
पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें, जैसे –
“ॐ पार्वत्यै नमः”
“या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता”
सिंदूर अर्पण मंत्र – “सिंदूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।”
मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए “गण गौरी शंकरार्धांगि…” मंत्र का जप करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
हरतालिका तीज का व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और सामंजस्य बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करता है।
यह जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। अतः पाठकों से अनुरोध है कि इसे सामान्य जानकारी के रूप में लें और किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।


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