मानसी शर्मा /- स्वस्थ रहने के लिए मुख्य रूप से खानपान का विशेष महत्व है। हम जो खाते हैं, उसका असर हमारे दिमाग, दिल, वेस्ट लाइन और मूड सभी कुछ पर पड़ता है। स्वस्थ रहने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, नट्स, सीड्स और घर के बनी चीजें खाना कितना जरूरी है। लेकिन जब अच्छा खाने का मन होता है, जब कुछ मीठा, तीखा या खट्ठा खाने की क्रेविंग होती है, तब हम भूख मिटाने वाले स्नैक्स या जंक फूड की तरफ भागते है। इस स्नैक्स या जंक फूड को खाने से भले ही बमारा मन शांत हो जाए या भूख मिट जाए। लेकिन ये सभी चीजें हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है।
पिज्जा, बर्गर, फ्राइज, पैक्ड चिप्स, रेड मीट, बेकन, हॉट डॉग्स और सॉसेज जैसे जंक और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खाने वाले लोगों की याददाश्त गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (Ultra Processed Foods) की थोड़ी-सी भी मात्रा याददाश्त कमजोर होने और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती है।
43 सालों तक चली रही रिसर्च में क्या है?
पिछले दिनों अमेरिका में अल्जाइमर्स एसोसिएशन की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 43 सालों तक चली एक रिसर्च पेश की गई थी। इस रिसर्च में बताया गया कि ज्यादा मात्रा में अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड खाने वालों में डिमेंशिया का खतरा गंभीर रूप से बढ़ सकता है। जिसमें याददाश्त और सोचने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो जाती है।
क्या कहती है मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रिपोर्ट?
डॉ. डब्ल्यू टेलर किम्बर्ली के नेतृत्व में न्यूरोलॉजी में एक रिसर्च पब्लिश की गई है। इस रिसर्च में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के साइड इफेक्ट्स के बारें में बताया गया है। इससे पहले रिसर्च में जंक फूड को मोटापे, हार्ट डिजीज और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार पाया गया था। हालांकि, एक नए अध्ययन में इसे मेमोरी से जोड़ा गया है।
जंक फूड हेल्थ के लिए सही नहीं
एक्स्पर्ट्स के अनुसार, इन सभी रिसर्च में पाया गया कि जंक फूड यानी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स दिमाग को बुरी तरह प्रभावित करती है। हालांकि, अभी इस पर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। इस रिसर्च में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स खाने और कॉन्गेटिव गिरावट या स्ट्रोक के जोखिम के बीच संबंध साबित नहीं किया लेकिन उम्र बढ़ने के साथ दिमाग की सेहत में हेल्दी आहार को महत्व को बताता है।
क्या कहती है रिसर्च?
इस रिसर्च में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स ज्यादा खाने से स्ट्रोक का रिस्क में 8 प्रतिशत तक का इजाफा देखा गया। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जितनी कम मात्रा में इस तरह की चीजें खाई जाएंगी, सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान पहुंचने का रिस्क 12 प्रतिशत और स्ट्रोक का रिस्क 9 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
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