सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक, अखिलेश यादव ने की फैसले की सराहना

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December 23, 2025

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सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक, अखिलेश यादव ने की फैसले की सराहना

मानसी शर्मा /-  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारत में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने का आदेश दिया है, जो 1अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। यह आदेश उस याचिका पर आया है जिसमें बुलडोजर द्वारा किए जा रहे ध्वस्तीकरण की कार्रवाइयों को चुनौती दी गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि बुलडोजर को हमेशा के लिए बंद होना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में न्याय का प्रतीक बुलडोजर नहीं हो सकता।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि अब सार्वजनिक अतिक्रमण के मामलों पर ही एक्शन लिया जाएगा और बुलडोजर से न्याय के महिमामंडन को बंद किया जाएगा।

‘लडोजर को न्याय का प्रतीक मानना लोकतंत्र के खिलाफ’

अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “जब से बुलडोजर चलाया गया है, हम और विपक्ष यह कहते आ रहे हैं कि यह संविधान के खिलाफ है। बुलडोजर को न्याय का प्रतीक मानना लोकतंत्र के खिलाफ है।” यादव ने अदालत के इस कदम को लोकतंत्र और न्याय की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला बताया और कोर्ट को बधाई दी।

STF पर अखिलेश यादव की टिप्पणी

अखिलेश यादव ने STFऔर बुलडोजर के बीच तुलना करते हुए कहा, “STFऔर बुलडोजर में ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों का उपयोग लोगों को डराने और दबाने के लिए किया जाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि STFमें भी सरकार के इशारों पर काम करने वाले अधिकारियों की भरमार है और एक दिन वहां भी बदलाव होगा। यादव ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर बुलडोजर का प्रचार किया ताकि लोगों को डराया जा सके, और अब सुप्रीम कोर्ट ने इसका ग्लोरीफिकेशन रोकने का आदेश दिया है।

भारत में बुलडोजर का विवाद

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले, बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्रवाई ने देशभर में विवाद पैदा कर दिया था। विशेषकर उत्तर प्रदेश में इस तरह की कार्रवाइयों को लेकर विरोध और कानूनी चुनौतियाँ सामने आईं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस विवादास्पद विधि पर रोक लगाकर न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने सुनिश्चित किया है कि अब केवल कानूनी और सार्वजनिक अतिक्रमण के मामलों पर ही कार्रवाई की जाएगी, और यह कदम संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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