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    एक आम रास्ते पर अनचाहा संघर्ष: बस और ई-रिक्शा की टक्कर

    नई दिल्ली/अनीशा चौहान/-  आज सुबह जब मैं अपने ऑफिस जा रही थी, तब द्वारका मोड़ पर एक अप्रिय घटना का साक्षी बनी। दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव हर दिन बढ़ता जा रहा है, और रक्षाबंधन के इस समय में तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। इसी दबाव के बीच, एक बस और एक ई-रिक्शा के बीच टकराव होते-होते बचा, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने यातायात की समस्याओं और लोगों के आचरण पर कई सवाल खड़े कर दिए।

    बस में भीड़ भरी हुई थी, और ड्राइवर ने बड़ी सतर्कता से ई-रिक्शा को टक्कर से बचा लिया। ई-रिक्शा चालक ने शराब का सेवन कर रखा था और उसने बस चालक से गाली-गलौज शुरू कर दी। ऐसी स्थिति में, बस ड्राइवर और कंडक्टर ने ई-रिक्शा चालक की स्थिति की जांच करने के बाद बस को आगे बढ़ा दिया। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। कुछ ही दूरी पर वही ई-रिक्शा चालक फिर से आकर बस के सामने खड़ा हो गया और उसने बस चालक के साथ मारपीट शुरू कर दी। बात इतनी बढ़ गई कि उसने पत्थर उठाकर बस के शीशे तोड़ दिए। इस अप्रिय घटना ने बस के यात्रियों में अफरा तफरी मचा दी।

    स्थिति और खराब तब हो गई जब पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने ई-रिक्शा चालक को थप्पड़ मारे और उसे वहां से हटाने की कोशिश की। इस बीच, ई-रिक्शा चालक के सिर पर हल्की चोट लग गई, जिससे खून बहने लगा। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग दो हिस्सों में बंट गए। कुछ लोग बस चालक को गालियां देने लगे क्योंकि ई-रिक्शा चालक घायल हो गया था, जबकि कुछ ने ई-रिक्शा चालक को शराब पीकर सड़क पर तमाशा करने के लिए दोषी ठहराया।

    समस्या के कारण और समाधान
    यह घटना न सिर्फ यातायात की समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक मुद्दे की ओर भी इशारा करती है—शराब पीकर वाहन चलाना और कानून का मजाक बनाना।

    शराब पीकर ड्राइविंग करना एक खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना हरकत है, जो न केवल वाहन चालक की जान को जोखिम में डालती है, बल्कि सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के जीवन के लिए भी खतरा बन जाती है। इसके बावजूद, ऐसे मामले आम होते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण कानून की अनदेखी और जागरूकता की कमी है। हमारे देश में शराब पीकर ड्राइविंग के खिलाफ कानून कड़े हैं, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करने में अब भी कमी है। पुलिस और प्रशासन को इस दिशा में सख्ती बरतनी होगी। जो लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि वे भविष्य में ऐसी गलती न करें। इसके अलावा, यातायात नियमों का पालन कराने के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियान भी जरूरी हैं।

    यह घटना यह भी बताती है कि कई लोग कानून को गंभीरता से नहीं लेते और इसका मजाक उड़ाते हैं। यदि हम सचमुच चाहते हैं कि हमारी सड़कों पर ऐसी घटनाएं न हों, तो हमें कानून के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना होगा।

    इसका समाधान सख्त कानून लागू करने में है। शराब पीकर गाड़ी चलाने पर कड़ी सजा, यातायात नियमों का सख्ती से पालन, और सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। इसके अलावा, पुलिस को भी अपने आचरण में संयम और संवेदनशीलता बरतनी चाहिए ताकि वे स्थिति को नियंत्रित करने के साथ-साथ न्यायसंगत तरीके से समस्या का समाधान कर सकें।

    यह घटना एक छोटा सा उदाहरण है कि कैसे छोटी-छोटी बातें बड़े हादसों में बदल सकती हैं। अगर हम सभी मिलकर कानून का पालन करें और सड़कों पर जिम्मेदारी से व्यवहार करें, तो इस तरह की घटनाओं को आसानी से टाला जा सकता है।

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